डीएमएफ वाले बडे जिले कोरबा की बदहाल व्यवस्था हुई उजागर….जिले के इन गांवों में आज भी अंधेरा…. आजादी के बाद भी गांववाले अंधेरे में जीने को मजबूर….
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●छत्तीसगढ़ उजाला कोरबा●
डीएमएफ वाले बडे जिले कोरबा की बदहाल व्यवस्था हुई उजागर….जिले के इन गांवों में आज भी अंधेरा…. आजादी के बाद भी गांववाले अंधेरे में जीने को मजबूर….
एक कहावत है दीया तले अंधेराःकोरबा में यह बात आज भी नजर आ रही है। जहां प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाले जिले में आज भी ग्रामीण अंधकार में जीने को मजबूर है।जिले के कई कलेक्टर आये पंर कभी इन ग्रामीणों की सुध नही ले सके।पूरे देश को बिजली देने वाला जिला आज भी विकास से कोसो दूर है।बड़ी बड़ी बात करने वाले अफसरों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है।एयरकूल्ड चेम्बर में बैठने वालों को आम जनता की समस्या कभी नजर ही नही आई।बड़े मिनरल फंड वाले जिले के ग्रामीण आज भी रोशनी को तरस रहे है।
कोरबा के सभी कलेक्टर डीएमएफ की योजना तो जरूर बनाये पर आज तक इन गाँव वालों की समस्या किसी भी कलेक्टर को नही दिखी।वातानुकूलित कक्ष में बैठकर योजना बनाने वालों अब धरातल में उतरकर जनता की समस्याओं को देखने की आवश्यकता है।अपनी कड़क व ईमानदारी वाली कार्यशैली को दिखाने के बजाय कलेक्टर साहब इन ग्रामीणों की समस्याओं को भी देखो।सबसे ज्यादा डीएमएफ वाले जिले में अब तक कैसा विकास हो रहा था इसकी पोल अब खुलकर सामने आ रही है।यह वही जिला है जिसके डीएमएफ के घोटाले में आज एक कलेक्टर जेल यात्रा में है।आखिर इतने वर्षों के डीएमएफ के पैसे का क्या खेल हो रहा है अब यह समझ मे आने लगा है।
कोरबा से पूरे देश को बिजली दी जाती है, प्राकृतिक संसाधन से भरपूर कोरबा जिला विकास की मुख्यधारा से कोसो दूर है। अलग-अलग विकासखंडों में आज भी कई ऐसे गांव है, जहां के लोगों ने कभी बिजली नहीं देखी है।यह हाल तब है जब प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन कोरबा में ही होता है। इन लोगों तक सरकार की योजनाएं नहीं पहुंच सकी है। एक ऐसा ही गांव है कोरबा जिले के विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत स्थित गांव बुरनीझरिया। इस गांव में उरांव और पंडो जनजाति के लोग रहते हैं।
गांव में रहने वाले लोगों ने बताया कि उनके गांव में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। इस अवधि में उनके गांव तक कोई सांसद भी नहीं पहुंचा है। गांव के लोगों ने बताया कि हम लोग विकास नामक बात की परिभाषा ही जान सके। गांव के लोगों ने विधायक से बिजली को मांग की थी। विधायक ने आश्वासन दिया था पर आज तक कोई नही आया।अब हम लोग अपनी समस्या के समाधान की उम्मीद भी छोड़ चुके है। हमारे गांव तक बिजली नहीं पहुंची। अब ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ऐसे समय जब लोकसभा का चुनाव सपन्न होने वाला है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में आज तक कोई सांसद भी नहीं पहुंचा है। चाहे वह किसी भी पार्टी का हो।
*विकास के नाम पर प्रशासन ने किया करोड़ों खर्च,गांव आज भी अंधकार में*
कोरबा जिले के ग्रामीण आज भी विकास से कोसो दूर है।अब यहाँ रहने वाले प्रशासन से उम्मीद रखना भी छोड़ चुके है।आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत स्थित गांव बुरनीझरिया जहां बिजली नहीं है।बिजली पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से प्रदेश सरकार ने कई कोशिशें की ऐसा प्रशासन के अफसर कहते है। आज भी लोग अंधकार में अपना जीवन जीने को मजबूर है। सरकारी योजना का लाभ पूरी तरह आदिवासी बाहुल्य इलाके में नहीं पहुंचा। आज भी कोरबा जिले में कई गांव है। जहां बिजली नहीं है। इसमें कोरबा जिला मुख्यालय से कोसों दूर स्थित तग्राम बगदरीडांड भी शामिल है।साफ पीने का पानी भी इन लोगो को नही मिलता है।
संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा के गांव सरडीह को भी बिजली और प्रदेश सरकार की योजनाओं का बर्षो से इंतजार है। ग्रामीण लोगो का कहना है कि सरकार के लोग कभी हमसे मिलने नही आते है।बड़े साहब लोग अपने महंगे ऑफिस में बैठकर योजना बनाते है।आज तक हम लोगो के पास विकास नही पंहुचा है। इस बात से नाराज हैं कि आजादी के अमृत काल के बाद भी हम लोग अंधेरे में जीने को मजबूर है।कुल मिलाकर जनता का विकास आज तक हुआ नही पर यहाँ पदस्थ रहे अफसरों का विकास बहुत तेज गति से हुआ है।सूबे के नए मुख्यमंत्री को इस ओर नजर इनायत करने की आवश्यकता है।