केंद्र सरकार की कैबिनेट में कितने मंत्री बनाए जा सकते हैं, कितनी तरह के मंत्री होते हैं, क्या होती है इनकी जिम्मेदारी?
केंद्रीय कैबिनेट में ज्यादा से ज्यादा कितने मंत्री बनाए जा सकते हैं, कितनी तरह के मंत्री होते हैं, क्या होती है इनके पास जिम्मेदारी?
Cabinet Minister : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनने जा रही है. इसके साथ ही गठबंधन के सभी घटक दल की मांगें सामने आने लगी हैं. सब पार्टियां केंद्र में ज्यादा से ज्यादा और महत्वपूर्ण मंत्री पद पाना चाहती हैं. लेकिन केंद्र में कुल कितने मंत्री बनाए जा सकते हैं? आइए समझते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनने जा रही है. गठबंधन के सभी घटक दलों ने उनको लोकसभा में नेता चुनने का समर्थन दिया है. इसके बाद वह 9 जून की शाम को शपथ ग्रहण करेंगे. संभावना है कि उनके साथ ही मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ ले सकते हैं. पर केंद्र में कुल कितने मंत्री बनाए जा सकते हैं और कितनी तरह के मंत्री बनाए जाते हैं? आइए समझते हैं.
एनडीए के सरकार बनाने की घोषणा के साथ ही इसके सभी घटक दलों की मांगें सामने आने लगी हैं. एनडीए में शामिल सभी पार्टियां केंद्र में ज्यादा से ज्यादा और महत्वपूर्ण मंत्री पद पाना चाहती हैं. हालांकि, हर किसी को मंत्री बना दिया जाए, ऐसा संभव ही नहीं है. केंद्र में मंत्री बनाने के लिए नियम तय है और उसी हिसाब से एक निश्चित संख्या में ही मंत्री बनाए जा सकते हैं.
केंद्र सरकार में इतने मंत्री बनाए जा सकते हैं
संविधान के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या के हिसाब से तय होती है. लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15 फीसदी सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. यानी लोकसभा में 543 सदस्यों की संख्या के 15 फीसदी मंत्री केंद्र में हो सकते हैं. यानी इस आधार पर प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में 81-82 मंत्री अधिकतम हो सकते हैं.
भारतीय संविधान के अनुसार होता है कैबिनेट का गठन
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74, 75 और 77 के अनुसार ही केंद्र में मंत्रिमंडल का गठन होता है. अनुच्छेद 74 में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद का गठन राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं. इस अनुच्छेद के मुताबिक मंत्रिपरिषद के सर्वोच्च पद पर प्रधानमंत्री होते हैं. उनकी सहायता और सलाह मशवरों पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल के गठन को सहमति देते हैं. संविधान का अनुच्छेद 75(1) कहता है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं. मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों के बारे में प्रधानमंत्री के साथ विचार करते हैं और मंत्रिमंडल के विस्तार में भी उनका विशेषाधिकार होता है.
लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है केंद्रीय मंत्रिमंडल
संविधान के अनुच्छेद 77 के अनुसार सरकारी मंत्रालयों या विभागों का गठन किया जाता है. यह काम भी प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं और प्रधानमंत्री की सलाह पर ही वह प्रत्येक मंत्रालयों को सौंपते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है. मंत्रियों की नीतिगत मामलों और सामान्य प्रशासन पर सहायता करने के लिए हर विभाग में एक सचिव भी प्रभार में होते हैं. प्रधानमंत्री और मंत्री के पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति द्वारा ही उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है
केंद्र में तीन तरह के मंत्री बनाए जाते
भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्रालयों के महत्व और कार्यभार को देखते हुए तीन तरह के मंत्री बनाए जाते हैं. इनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शामिल हैं. इनमें से सबसे ज्यादा महत्व कैबिनेट मंत्री का होता है. कैबिनेट मंत्री अपने मंत्रालय के मुखिया होते हैं और ये सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. इसलिए प्रधानमंत्री अपने सबसे योग्य सांसद को कैबिनेट मंत्री बनाने की सलाह राष्ट्रपति को देते हैं. इनके पास एक से ज्यादा मंत्रालय भी हो सकते हैं. केंद्र सरकार की ओर से सभी फैसले कैबिनेट की बैठक में लिए जाते हैं. इसलिए कैबिनेट मंत्री का कैबिनेट की बैठक में शामिल होना अनिवार्य होता है.
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सीधे पीएम को रिपोर्ट करता है
इसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा होता है. इनके पास छोटे या थोड़े कम महत्व वाले मंत्रालय होते हैं. वैसे तो हर मंत्रालय का अपना महत्व होता है, लेकिन इनके मंत्रालयों में अपेक्षाकृत कम जिम्मेदारी होती है. यानी किसी कैबिनेट मिनिस्टर के बिना भी राज्यमंत्री की बदौलत मंत्रालय चलाया जा सकता है. ऐसे मंत्रालयों का प्रभार राज्यमंत्रियों को स्वतंत्र रूप से दिया जाता है और ये किसी कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करने के बजाय कैबिनेट मंत्री की ही तरह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. हालांकि, ये कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं.