बिलासपुर

सक्षम हितग्राहियों के राशन कार्ड को कूटरचना कर बीपीएल कार्ड में बदलने का बड़ा मामला आया सामने, विभागीय जांच में भ्रष्टाचार की खुल सकती है पोल

छत्तीसगढ़ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। ज़िले में खाद्यान घोटाले के कई मामले सामने आए है मगर हम जो खबर बता रहे है वह चौकाने वाला है और इसमें संगठित गिरोह के शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता मामला यह है कि शहर में एक दो नहीं बल्कि कई कई राशन दुकान दुकान चलाने वाले कुछ लोग और खाद्य विभाग का अमला मिलीभगत करके शहर के अनेकों धनाढ्य परिवारों को महागरीब बना दिया इस बात की खबर उन धनाढ्य परिवारों को है ही नही मगर उन धनाढ्य परिवारों का ए पी एल राशन कार्ड नवनी करण के नाम पर सुनियोजित ढंग से बीपीएल कार्ड में बदल दिया गया और तीन साल से इन धनाढ्य परिवारों के नाम पर बी पी एल कार्ड का राशन उठाया जा रहा है। इन तीन साल में कई फूड कंट्रोलर और जिला खाद्य अधिकारी आ चुके।लेकिन जांच किसी ने नहीं करवाई ।जिनके कार्यकाल में इस गड़बड़ झाले की शुरुवात हुई वे सेवानिवृत हो चुके है। सक्षम परिवारों के नाम पर कूट रचना कर बीपीएल कार्ड बनाने की जालसाज़ी का यह मामला बड़ा गंभीर है इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कुछ दुकान संचालक तो अपने को डंके की चोट पर मीडिया/पोर्टल का होना बता इस गड़बड़ी में शामिल हैं।

बिलासपुर शहर में सक्षम, साधन संपन्न परिवारों की महिलाओं के नाम पर कूट रचना कर एपीएल कार्ड को बीपीएल कार्ड बनाकर ग़रीबों के चॉंवल में बड़े पैमाने पर हर माह लाखों की हेराफेरी किए जाने की जानकारी मिल रही है।

हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक राशन कार्ड नम्बर:-

223754568024,
223758632487,
223755651261,
223754568024,
223753990155,
223756304958,
223756580793,
223759023902,
223759912037,
223756428867,
223757699854,
223753435214,
223759760140,
223757526162,
223755183815,
समेत सैकड़ों कार्ड में कूट रचना किए जाने की पुख़्ता जानकारी मिली है।संपन्न लोग खाद्य विभाग और राशन दुकान संचालकों के धत कर्म से गरीब और महागरोब हो चुके है और उनके गरीबी राशन कार्ड का राशन कोई और डकार रहा है।
चटर्जी, अग्रवाल, जाजोदिया, गुप्ता , सोनी , जैन, द्विवेदी, पांडेय, सालुंके, पवार, सूरी , सरनेम वाले परिवारों के नाम पर बीपीएल कार्ड बनना अनेक संदेहों को जन्म दे रहा है !
उल्लेखनीय है कि इस जालसाज़ी को कार्ड नवीनीकरण के नाम पर जनवरी 2022 से सितंबर-अक्टूबर 2023 के दौरान अंजाम दिए जाने की संभावना है…
मज़ेदार बात है कि कार्डधारियों को भी पता नहीं है कि कूटरचना कर उन्हें बीपीएल कार्ड धारी हितग्राही बना दिया गया है !
सवाल जो उठ रहे है…
शहर में वर्ष 2022 में जाजोदिया, सोनी, गुप्ता जैसे सरनेम वालों का बीपीएल कार्ड बना है या नहीं ? जय माता दी खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति मर्यादित विनोबा नगर दुकान ID401001121और
संस्कृति महिला समूह डीपूपारा
ID – 401001025 के बीपीएल कार्ड की जाँच हुई है या नहीं ?

दूसरा सवाल- जाजोदिया, सोनी , गुप्ता वग़ैरह सरनेम वालों के नवीनीकृत कार्ड में पुराना कार्ड नंबर विलोपित क्यों हुआ? पुराना कार्ड नंबर विलोपित करने की अनुमति किसनेदीया अनुमोदन किस अधिकारी ने किया?

तीसरा सवाल- संपन्न नागरिकों के राशन कार्ड एपीएल को बीपीएल कन्वर्ट किस ID से हुआ ?
आईपी ऐड्रेस क्या है ?

चौथा सवाल- जब संपन्न घरों के एपीएल कार्ड को बीपीएल में कन्वर्ट हुए तब FC-FI पद पर कौन कौन पदस्थ रहे ? उस दौरान पदस्थ FC-FI की तथाकथित एपील to बीपीएल के खेल में क्या भूमिका है ? अगर FC – FI की भूमिका नहीं है तो ज़िम्मेदार कौन है? बताया जाता है कि इस षड्यंत्र में एक से अधिक और निलंबित दुकान को भी चलाने का ठेका लेकर बैठे एक काइयां संचालक की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

सवाल लाख टके का- शहर में ( विशेषकर जय माता दी खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति मर्यादित विनोबा नगर एवं संस्कृति महिला समूह डीपूपारा) नवीनीकरण के बाद बने बीपीएल कार्ड की विस्तृत जाँच कर बड़े भ्रष्टाचार/घोटाले से पर्दा उठाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा.?

जनवरी 2022 से सितंबर अक्टूबर 2023 तक के खाद्यान्न वितरण और एपीएल/बीपीएल कार्डो की सूक्ष्मता से जांच में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। संपन्न परिवारों की महिलाओ का उप नाम वाले राशन कार्डो की सत्यता की जांच हो जाए तो पता लग पाएगा कि कितने संपन्न परिवारों को गरीब-महागरीब अभी तक बनाया जा चुका है और उनके नाम का राशन कहां गायब किया या खपाया जा रहा है। इस बारे में सत्यता जानने खाद्य नियंत्रक और खाद्य अधिकारी से उनके मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क किया गया लेकिन या तो उनका मोबाइल बिजी बताता रहा या फिर उन्होंने रिसीव नहीं किया।

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