
देशभर से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने दर्ज की उपस्थिति
नया रायपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)-कलिंगा विश्वविद्यालय की केंद्रीय पुस्तकालय एवं शोध विभाग द्वारा एल्सेवियर के सहयोग से “प्रवृत्तियों से रूपांतरण तक: शोध प्रभाव के लिए स्कोपस और प्रकाशन अंतर्दृष्टियों का उपयोग” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 28 नवंबर 2025 को विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित हुआ, जिसमें 30 शोधार्थी और संकाय सदस्य प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए, जबकि देशभर से 70 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाइन सहभागिता की।
कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने किया। उन्होंने शोध गुणवत्ता, प्रकाशन दृश्यता और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने हेतु विश्वविद्यालय के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को शोध कार्य में नवीन तकनीकों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया। उद्घाटन सत्र में सभी अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।
कार्यशाला दो विशेषज्ञ व्याख्यान सत्रों में संपन्न हुई।
पहले सत्र का संचालन डॉ. नितिन घोषाल, कस्टमर सक्सेस मैनेजर (साउथ एशिया), एल्सेवियर ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को स्कोपस डेटाबेस नेविगेशन, एडवांस्ड सर्च तकनीकें, बिब्लियोमेट्रिक विश्लेषण, शोध प्रवृत्ति पहचान, और प्रभावी शोध सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया। सत्र ने प्रतिभागियों को शोध योजना और प्रकाशन अवसरों की पहचान से संबंधित महत्वपूर्ण कौशल प्रदान किए।
दूसरे सत्र को डॉ. अब्दुल अज़ीज़ ई. पी., सहायक प्रोफेसर, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने संबोधित किया। उन्होंने उच्च-प्रभाव वाले जर्नलों में प्रकाशन रणनीतियाँ, अकादमिक लेखन कौशल, प्रकाशन नैतिकता, पांडुलिपि अस्वीकृति के सामान्य कारण, तथा शोध में जेनरेटिव एवं असिस्टिव AI की उभरती भूमिका पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उनके व्याख्यान ने प्रतिभागियों को अपने शोध और लेखन गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए व्यावहारिक दिशा-निर्देश प्रदान किए।
कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य शोधार्थियों, संकाय सदस्यों एवं पेशेवरों को स्कोपस टूल्स, जर्नल चयन, पांडुलिपि तैयारी, प्रकाशन कार्यप्रवाह, AI एकीकरण, शोध मेट्रिक्स और नैतिकता पर व्यापक प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी शोध एवं प्रकाशन क्षमताओं को सुदृढ़ करना था।
कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. (डॉ.) मोहम्मद नासिर, विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक के मार्गदर्शन में हुआ, जबकि सह-संयोजक की भूमिका डॉ. हर्षा पाटिल, प्रभारी—रिसर्च विभाग ने निभाई।
इस कार्यशाला ने कलिंगा विश्वविद्यालय की शोध उत्कृष्टता, नवाचार और शैक्षणिक गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए प्रतिभागियों को व्यावहारिक एवं उपयोगी कौशलों से सशक्त किया।




