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*मनीषियों ने भव्य समारोह में डॉ. रामप्रवेश पंडित की ‘वाणी वंदना’ का किया लोकार्पण*

औरंगाबाद(छत्तीसगढ़ उजाला)=हिन्दी साहित्य भारती के तत्वावधान में विमला पांडेय मेमोरियल ज्ञान निकेतन विद्यालय, मेदिनीनगर के सभागार में शिक्षक एवं कवि डॉ. रामप्रवेश पंडित के काव्य संग्रह ‘वाणी वंदना’ का भव्य लोकार्पण समारोह गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी, विशिष्ट अतिथि रांची विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ. जंग बहादुर पांडेय, समाजसेवी ज्ञानचंद पांडेय, ज्ञान निकेतन विद्यालय के अध्यक्ष बलिराम शर्मा, प्रभारी मनोज श्रीवास्तव, साहित्यकार सुरेंद्र कुमार मिश्र एवं डॉ. राम विनय तिवारी, ज्योतिर्विद विजयानंद सरस्वती, काष्ठ कलाकार प्रेम प्रकाश भसीन, साहित्यकार बलराम पाठक, कवि राकेश कुमार, अनुज कुमार पाठक, नीरज कुमार पाठक, रमेश कुमार सिंह, सत्येंद्र चौबे ‘सुमन’ और विजय कुमार पाठक ‘द्विज’ सहित अनेक मनीषियों ने संयुक्त रूप से पुस्तक का लोकार्पण किया।

समारोह की अध्यक्षता संस्था के प्रांतीय मार्गदर्शक श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने की। संचालन कवि राकेश कुमार एवं विषय-प्रवेश परशुराम तिवारी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसे सत्येंद्र चौबे ‘सुमन’ ने प्रस्तुत किया। स्वागत उद्बोधन नीरज कुमार पाठक ने दिया जबकि धन्यवाद ज्ञापन रमेश कुमार सिंह ने किया।

मुख्य अतिथि इंदर सिंह नामधारी ने कहा

> “नेहरू जी के आह्वान पर मैं इंजीनियर बना, पर साहित्य के प्रति मेरा लगाव विद्यार्थी जीवन से रहा है। डॉ. रामप्रवेश पंडित की कविताओं में जो ‘भुजंग प्रयात’ छंद की सहजता और भावनात्मक गहराई है, वह अद्भुत है। मैं इस पुस्तक से अत्यंत प्रभावित हूं।”



डॉ. जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि ‘वाणी वंदना’ में कवि की वाणी का रस और अभिव्यक्ति दोनों ही उत्कर्ष पर हैं।
श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डॉ. पंडित ने विविध छंदों में उत्कृष्ट काव्य रचना की है, जिसमें संयम, प्रेम और कर्म का सशक्त संदेश निहित है।
ज्ञानचंद पांडेय ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “अब वे धन और शक्ति की देवी पर भी काव्य रचें।”
विद्यालय अध्यक्ष बलिराम शर्मा ने डॉ. पंडित को शिक्षा और साहित्य जगत का “हीरा” बताते हुए ₹5000 का पुरस्कार देने की घोषणा की।

साहित्यकार सुरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा

> “‘वाणी वंदना’ को पढ़कर लगता है कि डॉ. रामप्रवेश पंडित सच्चे अर्थों में ‘ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय’ के मूर्त रूप हैं।”


विजयानंद सरस्वती ने कहा कि डॉ. पंडित की कविताएं व्यक्ति से समष्टि की ओर जाने की प्रेरणा देती हैं। परशुराम तिवारी ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि पुस्तक का शीर्षक ‘वाणी वंदना’ ही इस बात का प्रतीक है कि वाणी से ही प्रेम और संवाद का जन्म होता है।

काष्ठ कलाकार प्रेम भसीन ने कविताओं को प्रेम और मानवीय मूल्यों का संदेशवाहक बताया, जबकि बलराम पाठक ने उन्हें अद्भुत काव्य प्रतिभा का धनी कहा। गुरु डॉ. राम विनय तिवारी ने कहा कि उनके शिष्य की कविताएं “स्वतः स्फूर्त और भावनाओं से ओतप्रोत” हैं।

कार्यक्रम में डॉ. धनंजय पाठक, प्रेम प्रकाश दुबे, अनुपमा तिवारी, रीना प्रेम दुबे, वंदना श्रीवास्तव, अंजनी कुमार दुबे, राजीव द्विवेदी ‘सागर’, सुनील कुमार विश्वकर्मा, सिद्धेश्वर सिंह, प्रेम प्रकाश दुबे सहित अनेक कवियों ने ‘वाणी वंदना’ से चयनित कविताओं का पाठ किया।

समारोह में प्रशांत पंडित, अखिलेश पंडित, माया पंडित, सुमित कुमार, अनीश पांडेय, आर.के. दुबे, रघुवंश सिंह, संतोष पाठक, श्रीकांत शर्मा, अखिलेश दुबे, विजय दुबे, उपेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा, सुमित दुबे, आशुतोष पांडेय, जावेद सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के अंत में भावविभोर डॉ. रामप्रवेश पंडित ने सभी अतिथियों, आयोजकों और उपस्थित जनों का हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा—

> “‘वाणी वंदना’ मां सरस्वती की कृपा का परिणाम है। यह संग्रह लोककल्याण और जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति है।”


कवि संगम त्रिपाठी ने प्रेरणा परिवार की ओर से डॉ. रामप्रवेश पंडित को बधाई देते हुए कहा कि ‘वाणी वंदना’ एक “अनमोल काव्य-संग्रह” है, जो साहित्य जगत को नई दिशा देगा।

प्रशांत गौतम

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