राजधानी रायपुर के आमातालाब में छठ महापर्व की तैयारियाँ चरम पर — आस्था, भक्ति और दिव्यता का अद्भुत संगम

रायपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)-छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का सबसे पवित्र और कठिन पर्व माना जाता है। यह पर्व देशभर में अपार श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। राजधानी रायपुर का आमातालाब घाट इस पर्व की भव्यता और अद्भुत दृश्य के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ सूर्यास्त और सूर्योदय के समय भक्तों की आस्था का ऐसा अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है, मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।
दीपावली के बाद शुरू होने वाला यह चार दिवसीय व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को अपने चरम पर पहुँचता है। इसी तिथि पर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है, जिसके कारण इसे “छठ व्रत” कहा जाता है। यह पर्व चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।
रायपुर विश्वकर्मा समाज के अध्यक्ष श्री रमेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी (शनिवार, 25 अक्टूबर) से हुई है। इस दिन व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे “नहाय-खाय” कहा जाता है। इसके साथ ही निर्जला उपवास का संकल्प भी प्रारंभ हो जाता है। रायपुर की महिलाओं ने इस दिन से ही छठ के प्रसाद की तैयारी शुरू कर दी है। प्रसाद के लिए मिट्टी के चूल्हे, अलग बर्तन और पूर्ण शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रती और उनके परिवारजन इस दौरान लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करते।
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल षष्ठी (सोमवार, 27 अक्टूबर) की संध्या को शाम 6:30 बजे डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जबकि कार्तिक शुक्ल सप्तमी (मंगलवार, 28 अक्टूबर) को प्रातः 6 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा।
आमातालाब घाट पर भव्य छठ पूजा के लिए साफ-सफाई, विद्युत व्यवस्था, पूजन सामग्री और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यापक तैयारियाँ की गई हैं। समाज के युवा सदस्य — सुरज शर्मा, विनय शर्मा, रोहित विश्वकर्मा, संतोष विश्वकर्मा, शंकर शर्मा, सुनील शर्मा, सन्नी शर्मा, आकाश शर्मा और अन्य सक्रिय रूप से आयोजन में जुटे हैं।
समाज ने राजधानी के सभी वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों से आग्रह किया है कि वे इस पवित्र आयोजन में उत्साहपूर्वक भाग लें और आस्था, श्रद्धा एवं सामूहिकता का यह अनुपम पर्व मिलकर मनाएँ।




