गौरेला पेंड्रा मरवाहीछत्तीसगढ

कुड़कई पंचायत में फिर मचा घोटाला! सचिव संतराम यादव पर ठेका, नाली निर्माण और नहर सफाई में अनियमितता के आरोप — ग्रामीण बोले, “भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश”



पेंड्रा। ग्राम पंचायत कुड़कई एक बार फिर भ्रष्टाचार की चर्चाओं में है। पंचायत सचिव संतराम यादव पर लगातार तीसरे वित्तीय घोटाले के आरोप लगे हैं। पहले पशु पंजीयन ठेका और नाली निर्माण में गड़बड़ी का मामला सामने आया था, अब ग्रामीणों ने नहर सफाई के नाम पर राशि गबन का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि सचिव यादव अपने ऊपर लगे पुराने आरोपों से ध्यान हटाने और खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश में लगे हैं।

₹61 लाख के पशु पंजीयन ठेका पर सवाल

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2024-25 में पंचायत क्षेत्र के पशु पंजीयन ठेका की कुल राशि ₹61 लाख तय की गई थी। इसमें से ठेकेदार ने सिर्फ ₹33.22 लाख ही जमा किए, जबकि शेष ₹27.78 लाख रुपये आज तक पंचायत खाते में जमा नहीं हुए। उस समय सचिव संतराम यादव ने खुद को “हड़ताल पर” बताया था, लेकिन जांच में सामने आया कि ठेका स्वीकृति और वसूली की फाइलों पर उन्हीं के हस्ताक्षर हैं। इससे उनकी भूमिका पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है।

ठेकेदार भरत कश्यप का आरोप: “सचिव ने वसूली कर रकम हड़प ली”

पशु पंजीयन ठेका से जुड़े ठेकेदार भरत कश्यप ने आरोप लगाया कि सचिव ने ठेका प्रक्रिया में अवैध वसूली की।
उनके अनुसार —

> “पंचायत से मेरा कोई लिखित अनुबंध नहीं था, फिर भी मैंने राशि जमा की। सचिव संतराम यादव ने मुझसे ठेका के नाम पर अतिरिक्त पैसे लिए। ठेका निरस्त होने के बाद पंचायत ने एक महीने तक बाजार की वसूली खुद की, लेकिन उस रकम का कोई हिसाब नहीं दिया गया। बाद में मेरे पिता को ठेका दे दिया गया।”



ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा मामला सचिव और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत को उजागर करता है। पुराने बकायेदारों को फिर से ठेका देना पंचायत की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

नाली निर्माण में भी हुई गड़बड़ी

अक्टूबर 2024 में दर्ज शिकायत के मुताबिक, 15वें वित्त आयोग से देवीप्रसाद के घर से माताचौरा मार्ग तक बनी नाली में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि नाली निर्माण के कुछ महीनों के भीतर ही दीवारें टूटने लगीं और सीमेंट उखड़ गया। एक साल बीत जाने के बावजूद शिकायत की जांच अधूरी है, जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ गया है।

अब नहर सफाई में भी धांधली का आरोप

ग्रामीणों का कहना है कि हाल ही में सचिव संतराम यादव ने बिना ग्राम सभा और बिना पंचायत प्रस्ताव के ₹20,000 की राशि “चनवारी खार नहर सफाई” के नाम पर आहरित की।
नहर लगभग 4 फीट चौड़ी और 100 मीटर लंबी है, जिसमें केवल घास और झाड़ियाँ उगी थीं। ग्रामीणों का आरोप है कि इतनी मामूली सफाई के लिए ₹20,000 की निकासी सीधा भ्रष्टाचार है।

ग्रामीणों के शब्दों में —

> “नहर में कोई मरम्मत नहीं हुई, सिर्फ घास हटाई गई। फिर भी ₹20,000 का भुगतान कर दिया गया — ये साफ संकेत है कि सचिव ने यहाँ भी रकम हड़प ली।”



यह ताजा प्रकरण दर्शाता है कि सचिव पर लगे भ्रष्टाचार के मामले थमे नहीं हैं, बल्कि लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

पुराने विवादों को झूठा बताने की कोशिश

ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव अब पुराने मामलों को “झूठा” बताकर अपनी छवि सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।
लोग सवाल उठा रहे हैं —

> “क्या पंचायत भवन में शराब पीने की घटना झूठी थी?”
“क्या उनका नशे की हालत में वायरल वीडियो भी फर्जी था?”
“क्या नाली निर्माण में घोटाले की शिकायत भी मनगढ़ंत थी?”



ग्रामीणों का कहना है कि हर बार संतराम यादव “मुझे जानकारी नहीं है” कहकर जिम्मेदारी से बचते हैं, जबकि सभी दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर मौजूद रहते हैं।


कुड़कई पंचायत: भ्रष्टाचार की पाठशाला बनती जा रही है

लगातार सामने आ रहे घोटालों ने कुड़कई पंचायत की साख पर सवाल खड़ा कर दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि सचिव की मनमानी, सरपंच की चुप्पी और अधिकारियों की निष्क्रियता ने पंचायत को “भ्रष्टाचार का गढ़” बना दिया है।
लोग अब जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता वापस लाई जा सके।

प्रशांत गौतम

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