छत्तीसगढ

सरकार में निगम मंडल को लेकर फिर शुरु हुई चर्चा……बड़े साय के पास जुगत लगाते कार्यकर्ता…..

सांय सांय का असली मतलब अब समझ मे आया.वैसे इस सरकार में बड़े साय का ही जलवा हैं.य़ह जलवा देखकर पहले के सुपर सीएम कहे जाने वाले सौदान सिंह की याद ताज़ा हों जाती हैं.बड़े सांय के पास राज्य के बड़े नौकरशाहों व अफसरों को भी देखा जाता हैं.

●छत्तीसगढ़ उजाला● रायपुर

साय सरकार को सत्ता में सवा साल हो गये पर अब तक निगम,मंडल और आयोग में नियुक्ति नहीं हुई.भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं में सरकार के ढीले रवैये को लेकर अब बात भी उठनी लगी हैँ.काफी समय से केवल चर्चायें ही हो रही हैं कि बहुत जल्द नियुक्तियां होने वाली हैं.फिर एक बार यह चर्चा तेज हो गई है.अब शायद पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. संगठन के बड़े साय इसकी तैयारी कर लिए हैं.सत्ता के साय से संगठन के साय की बातचीत हो गयी हैं.वैसे भी साय के ऊपर बड़े साय ही जाने जाते हैं.

सरकार अब इसमें फैसला करने के मूड में हैं. चर्चा यह भी  है कि इस काम को सरकार जल्द करेगी.30 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के बाद सूची जारी कर दी जाएगी. मंत्री के नाम के साथ ही निगम, मंडल और आयोग का फैसला कर लिया जाएगा. इसमें आने की जुगत में बैठे नेता अपने गुणा-भाग में लग गए हैं. ऐसी चर्चा भी है कि  प्रदेश की साय सरकार में संगठन मंत्री की ही ज्यादा चलती है.वैसे पार्टी के लोग प्रदेश अध्यक्ष व विधानसभा अध्यक्ष के पास भी अपना बायोडाटा लेकर नजर आ रहे है.प्रदेश की राजनीति में बड़े साय के पास भीड़ ज्यादा दिखाई देती है. कुछ मंत्री भी बड़े साय के पास अपने लोगों का नाम भी देने जा रहे है,सब अपने लोगों के लिए लगे हुए हैं.पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता अब आस लगाना ही छोड़ चुका है.

वैसे वास्तविकता यह है कि पार्टी के अंदर बहुत से लोग नाराज भी चल रहे हैँ.उन सभी को सत्ता में बैठे लोगों के ऊपर भरोसा नहीं रहा.राजनीति में उनको आज कोई देख नहीं रहा है, आज की भाजपा में बदलाव आ गया है.आज  सेटिंग का जमाना हैं.इसमें जिसको महारत हासिल है वो  आगे आकर सत्ता की मलाई खाता है. आजकल पार्टी के लिए काम करने वाला बेहतरीन नहीं माना जाता.जिसके पास खर्च करने का जिगरा हो साथ ही व्यवस्था देने में आगे हो उसका बोलबाला ही होता है. अब किसको क्या मिलेगा य़ह केवल बड़े साय ही तय करेंगे.वैसे कुछ नेता दबी जुबान से यह भी कहते है कि पूर्व की रमन सरकार में जैसे सौदान सिंह फैसले लेते थे आज भी वैसा नजारा नजर आता है.बड़े सांय के दरबार में अक्सर नौकरशाही नजर आती हैं.साहब अक्सर हेलिकॉप्टर में ज्यादा उड़ते हैं.वैसे इनके खासमखास लोगों का नाम ही आयोग की सूची में रहेगा ऐसा पार्टी नेताओं को अनुमान हैं. नीति नियम की बाते अब शायद लुप्त हो चुकी हैं.खैर जो हो जल्दी हो कम से कम पार्टी के कुछ और लोगों को भी सत्ता का सुख मिल सके.वो भी इसी सुख के आस में टकटकी लगाए बैठे हैं.

 

Anil Mishra

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