गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : कुड़कई पंचायत में ठेका घोटाला उजागर – बकाया राशि वसूले बिना फिर उसी परिवार को ठेका सौंपा गया

पेंड्रा। जनपद पंचायत पेंड्रा के ग्राम पंचायत कुड़कई में पशु पंजीयन ठेका प्रकरण में बड़े स्तर पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां लाखों रुपये की पंचायत निधि बकाया रहते हुए भी उसी परिवार को दोबारा ठेका दे दिया गया, जबकि जिम्मेदार सचिव, सरपंच और अधिकारी अपनी जवाबदेही से किनारा करते नज़र आ रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2024-25 में ग्राम पंचायत कुड़कई में पशु पंजीयन ठेका ₹61,00,100 में दिया गया था। उस समय ठेकेदार भरतलाल कश्यप ने मात्र ₹33,22,000 जमा किए, जबकि शेष ₹27,78,100 की बड़ी राशि बकाया रह गई। यह रकम पंचायत के विकास कार्यों में उपयोग होनी थी, लेकिन न तो वसूली की गई और न ही किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई हुई।
चौंकाने वाली बात यह है कि सचिव संतराम यादव लगातार जिम्मेदारी से बचते हुए कह रहे हैं – “मुझे कोई जानकारी नहीं है।” वहीं इस बार जब ठेका प्रक्रिया हुई, आवेदनकर्ता हड़ताल पर थे, जिसके चलते सचिव ने अपनी भूमिका नगण्य बताई और पूरा मामला सरपंच की जिम्मेदारी पर डाल दिया।
इस साल वही ठेका राधेश्याम कश्यप (भरतलाल के पिता) को करीब ₹61 लाख में दिया गया। लेकिन अब तक लगभग ₹24 लाख ही जमा हुए हैं, जबकि अगस्त में देय ₹18 लाख की किश्त आज तक नहीं भरी गई। ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि जब बेटे की लाखों की बकाया राशि नहीं वसूली गई, तो पिता को ठेका कैसे सौंप दिया गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि यह सीधा-सीधा पंचायत निधि की लूट और भ्रष्टाचार का उदाहरण है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जनांदोलन की राह पकड़ेंगे।
ग्रामीणों की मांग है कि तत्काल जांच दल गठित कर कार्रवाई की पूरी प्रक्रिया और उसके परिणाम से जनता व आवेदनकर्ताओं को अवगत कराया जाए। उनका कहना है कि सरपंच, सचिव और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी गड़बड़ी संभव ही नहीं थी।
यह मामला सिर्फ ग्राम पंचायत कुड़कई ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद में पंचायत निधि के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही की गंभीर तस्वीर पेश करता है। अब देखना यह है कि लाखों की रकम की वसूली, जिम्मेदारों की पहचान और कानूनी कार्रवाई के मामले में प्रशासन अपनी जवाबदेही कैसे निभाता है।
ग्रामीणों का आक्रोश –
“जब बेटे ने ₹27 लाख बकाया छोड़ा, तो पिता को ठेका देने का औचित्य क्या है?”
“हमें जांच प्रक्रिया और उसके नतीजों की जानकारी चाहिए, वरना आंदोलन करेंगे।”
यह पूरा मामला साफ दिखाता है कि पंचायत निधि प्रबंधन में गंभीर खामियां हैं और यदि समय रहते प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो भ्रष्टाचार का यह खेल लगातार जारी रहेगा।