रायपुर

—कोरबा कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर भड़के ननकीराम कंवर, 4 अक्टूबर से सीएम निवास के सामने देंगे धरना



कोरबा/रायपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)-। छत्तीसगढ़ की सियासत में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। राज्य के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 4 अक्टूबर से मुख्यमंत्री निवास रायपुर के सामने धरने की घोषणा की है। कंवर कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत के खिलाफ की गई शिकायतों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज हैं। उन्होंने धरने की लिखित सूचना रायपुर कलेक्टर, पुलिस प्रशासन और भाजपा संगठन को भी भेज दी है।



ननकीराम कंवर ने जानकारी दी है कि उन्होंने 21 और 22 सितंबर को मुख्यमंत्री को एक पत्र सौंपकर कलेक्टर वसंत के खिलाफ 14 बिंदुओं में गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने तीन दिन की समय सीमा देते हुए तत्काल तबादले की मांग की थी, लेकिन तय समय गुजरने के बाद भी न जांच शुरू हुई और न ही कोई निर्णय लिया गया। इस निष्क्रियता से आहत होकर उन्होंने धरने का फैसला लिया है।

पूर्व मंत्री ने कलेक्टर अजीत वसंत पर भ्रष्टाचार, मनमानी और हिटलरशाही रवैये का आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार उन्हें संरक्षण दे रही है। उनका दावा है कि मुख्यमंत्री तक सही जानकारी नहीं पहुंचाई जा रही और कुछ प्रभावशाली आईएएस अधिकारियों के दबाव में सरकार गुमराह होकर फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, तो आम जनता की शिकायतों पर क्या संज्ञान लिया जाता होगा, इसका अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है।

कंवर ने अपने पत्र में कई पुराने चर्चित घोटालों का भी जिक्र किया है, जिनमें पीएससी परीक्षा घोटाला, शराब घोटाला, दवा खरीदी घोटाला, कोयला घोटाला, डीएमएफ फंड और एनएचएआई सड़क मुआवजा घोटाला शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन मामलों में उन्होंने पहले भी केंद्र सरकार को शिकायतें भेजीं, जिसके आधार पर कई बड़े अधिकारियों और नेताओं पर कार्रवाई हुई थी।

पूर्व मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री निवास के सामने धरने का यह एलान भाजपा के लिए भी एक असहज स्थिति पैदा कर रहा है। पार्टी के भीतर की खामोश असहमति अब सार्वजनिक हो चुकी है। आने वाले समय में यह धरना भाजपा सरकार की छवि और प्रशासनिक पारदर्शिता के मुद्दे पर नई बहस छेड़ सकता है। अब देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस विरोध को किस रूप में लेता है और क्या कोई सुलह की कोशिश होती है या मामला और तूल पकड़ता है।

प्रशांत गौतम

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