शिकायत के बाद भी आरोपियों को जिम्मेदारी, फिर दोहराया गया फर्जीवाड़ा – CEO की भूमिका पर उठे सवाल

गौरेला(छत्तीशगढ़ उजाला)जनपद पंचायत गौरेला में 15वें वित्त की राशि के फर्जी उपयोग का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। हैरानी की बात यह है कि पहली शिकायत दर्ज होने के बाद भी आरोपियों को न सिर्फ बचाया गया बल्कि उन्हें दोबारा वही जिम्मेदारी सौंप दी गई, और परिणामस्वरूप 15वें वित्त की राशि में एक बार फिर फर्जी भुगतान कर दिया गया।
—जुलाई में दर्ज हुई थी शिकायत
जनपद पंचायत उपाध्यक्ष गायत्री राठौर ने 29 जुलाई 2025 को लिखित शिकायत जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) गौरेला को दी थी। इस शिकायत में स्पष्ट आरोप लगाया गया था कि दीपक जायसवाल ने डिजिटल सिग्नेचर (DSC) का दुरुपयोग कर लाखों रुपये का फर्जी आहरण किया। शिकायत की प्रति कलेक्टर और जिला सीईओ को भी भेजी गई थी।
—फिर भी अगस्त में दिया गया वही प्रभार
चौंकाने वाली बात यह है कि शिकायत की जानकारी होने के बावजूद 13 अगस्त 2025 को CEO जनपद पंचायत गौरेला ने पुनः दीपक जायसवाल को 15वें वित्त शाखा का प्रभार सौंप दिया।
यानी जिस कर्मचारी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप थे, उसी को विकास निधि का जिम्मा दोबारा दे दिया गया।
—सितंबर में दोहराया गया भ्रष्टाचार
इसके बाद आशंका के अनुरूप 12 सितंबर 2025 को नेवरी नवापारा, पकरिया और अन्य पंचायतों से अन्य फर्म के जरिए फिर से फर्जी भुगतान कर दिया गया। यह पूरा आहरण दीपक जायसवाल के माध्यम से ही किया गया। यानी शिकायत के बावजूद न केवल भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगी बल्कि खुलेआम उसकी पुनरावृत्ति हुई।
—CEO की भूमिका पर सवाल
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि शिकायत की जानकारी होने के बावजूद दीपक जायसवाल को पुनः प्रभार देना और उसके बाद दोबारा फर्जी भुगतान होना, CEO की भूमिका को संदिग्ध साबित करता है। गंभीर आरोप यह है कि प्रशासन आरोपियों पर कार्रवाई करने की बजाय उन्हें संरक्षण देता दिख रहा है।
—विकास की राशि से खिलवाड़
गौरतलब है कि 15वें वित्त आयोग की राशि गाँवों में सड़क, नाली, पेयजल और बुनियादी सुविधाओं के लिए जारी होती है। लेकिन बार-बार उजागर हो रहे इस फर्जीवाड़े से स्पष्ट है कि विकास निधि ग्रामीणों तक पहुँचने की बजाय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।