रायपुर

मिट्टी से बनी शक्ति का अद्वितीय स्वरूप : रायपुर की अदिति शर्मा ने प्रतिमाओं में आस्था और सच्चाई को किया जीवंत

रायपुर। नवरात्रि का पर्व जैसे-जैसे नज़दीक आता है, वैसे-वैसे पूरे समाज में श्रद्धा और उत्साह का माहौल गहराने लगता है। इस पावन अवसर पर रायपुर निवासी अदिति शर्मा ने मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को लेकर एक अद्भुत सच्चाई सामने रखी है। उनका मानना है कि कलाकार जब अपने हाथों से मिट्टी को गढ़ता है, तो वह केवल एक मूर्ति नहीं बनाता, बल्कि उसमें आस्था, विश्वास और संस्कृति की आत्मा को प्रकट करता है।





अदिति शर्मा कहती हैं – “मिट्टी से बनी शक्ति का हर रूप अद्वितीय होता है। जब कोई कलाकार मूर्ति रचता है, तो वह केवल शिल्प नहीं गढ़ता, बल्कि उसमें समाज की श्रद्धा और भक्ति का प्रतिबिंब होता है।”




नवरात्रि का महत्व और मां शक्ति के नौ रूप

नवरात्रि भारतीय संस्कृति का ऐसा पर्व है, जो केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना कर भक्त अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करते हैं।

1. शैलपुत्री – स्थिरता और दृढ़ संकल्प


2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम


3. चंद्रघंटा – शांति और साहस


4. कुष्मांडा – सृजन और ऊर्जा


5. स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा


6. कात्यायनी – न्याय और धर्म रक्षा


7. कालरात्रि – अंधकार और भय का नाश


8. महागौरी – पवित्रता और शांति


9. सिद्धिदात्री – ज्ञान और सिद्धियाँ



अदिति का मानना है कि इन नौ रूपों की पूजा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को संवारने की शिक्षा भी देती है।




मिट्टी से बनी प्रतिमाएँ – कला और भक्ति का संगम

नवरात्रि पर कलाकारों द्वारा बनाई गई मिट्टी की प्रतिमाएँ साधारण मूर्तियाँ नहीं होतीं। अदिति बताती हैं कि जब साधारण मिट्टी का ढेला कलाकार के हाथों में देवी स्वरूप ले लेता है, तो उसमें श्रद्धा और साधना का प्रकाश झलकता है। यह प्रतिमाएँ हमें यह संदेश देती हैं कि जैसे कलाकार मिट्टी को गढ़कर दिव्य रूप देता है, वैसे ही हम भी अनुशासन, भक्ति और विश्वास से अपने जीवन को सुंदर और सार्थक बना सकते हैं।




साहस, शक्ति और सुंदरता का अद्वितीय संगम

इस बार नवरात्रि की बेला पर सजने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाएँ साहस, शक्ति और सुंदरता का अनूठा संगम दर्शा रही हैं। अदिति शर्मा का मानना है कि —

साहस हमें कठिनाइयों से लड़ना सिखाता है।

शक्ति जीवन में दृढ़ता और संकल्प का भाव जगाती है।

सुंदरता हमें यह याद दिलाती है कि वास्तविक सौंदर्य आंतरिक गुणों और आस्था में निहित है।





नवरात्रि का सामाजिक संदेश

नवरात्रि केवल धार्मिक आयोजन भर नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। इन दिनों हर गली-मोहल्ले में पंडाल सजते हैं, लोग सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। महिलाएँ व्रत रखती हैं, और युवा गरबा-डांडिया जैसे उत्सवों से इस पर्व को और भी जीवंत बनाते हैं।

अदिति शर्मा कहती हैं कि असली पूजा तब होगी जब हम केवल मां दुर्गा की प्रतिमाओं की आराधना न करें, बल्कि स्त्रियों के प्रति सम्मान, सुरक्षा और समानता को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

प्रशांत गौतम

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