. ब्रेकिंग : अकलतरा में एसीबी का छापा, कोयला व्यापारी के घर से मिले अहम दस्तावेज

रविवार को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) के साथ एसीबी की टीम भी एक्शन मोड में दिखाई दी। अकलतरा के अंबेडकर चौक स्थित एक कोयला व्यापारी के निवास पर एसीबी ने तड़के छापा मारा। सुबह से ही चल रही इस कार्रवाई में अधिकारियों द्वारा घोटाले से जुड़े कागजातों की बारीकी से जांच की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, जिस घर पर दबिश दी गई है, उसके मालिक जयचंद कोसले कांग्रेस सरकार के दौरान सचिवालय में सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदस्थ रहे थे। फिलहाल उनका बेटा कोयले का कारोबार करता है। डीएसपी अजितेश सिंह के नेतृत्व में एसीबी की टीम मौके पर मौजूद रहकर दस्तावेजों को खंगाल रही है।
ईओडब्ल्यू की समानांतर कार्रवाई
जहां अकलतरा में एसीबी की टीम कोयला घोटाले से जुड़े पहलुओं की जांच कर रही है, वहीं दूसरी ओर ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में शराब कारोबारियों के करीब 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। राजधानी रायपुर के शिव विहार कॉलोनी में शराब कारोबारी अवधेश यादव के घर पर भी दबिश दी गई है।
कोयला लेवी घोटाले की हकीकत
दरअसल, राज्य के कुछ प्रभावशाली राजनेताओं और अफसरों की मिलीभगत से कोयला परिवहन पर अवैध वसूली का खेल लंबे समय तक चलता रहा। ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को जानबूझकर ऑफलाइन कर दिया गया, ताकि हर टन कोयले पर 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली जा सके।
खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर बिश्रोई ने इस प्रक्रिया को ऑफलाइन करने का आदेश दिया था। पूरे खेल का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना जाता है। आरोप है कि जिसने रिश्वत दी, केवल उसी को परिवहन पास और पीट परमिट जारी किया जाता था। इस अवैध वसूली से करीब 570 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए।
कहां गया यह काला धन
जांच में यह तथ्य सामने आया है कि घोटाले की कमाई का बड़ा हिस्सा सरकारी अधिकारियों और नेताओं को घूस देने में खर्च हुआ। इसके अलावा चुनावी गतिविधियों को भी इस रकम से वित्तीय मदद दी गई। कई आरोपियों ने इस पैसे से महंगी संपत्तियाँ भी खरीदीं।