मध्यप्रदेशमध्यप्रदेश जनसंपर्क

*प्रदेश में किसानों को रूला रही खाद, डिमांड और सप्लाई में जमीन आसमान का अंतर… जानिए जमीनी हकीकत*

छत्तीसगढ़ उजाला - प्रतीक सोनी

देवराजनगर/मैहर (छत्तीसगढ़ उजाला)। यह पहला साल नहीं हैं जब मध्य प्रदेश में खाद की किल्लत हो रही है। रबी सीजन हो या खरीफ सीजन हर बार, हर साल किसान खाद के लिए मारामारी करता है, लंबी लाइन लगाता है, डंडे खाता है, कई दिन इंतजार करता है और नतीजा ये रहता है कि किसान को यदि खाद मिल भी जाती है तो उसे जितनी चाहिए उतनी नहीं। मजबूरन किसान दोगुने दामों में बाजार से खाद खरीदता है। इधर खाद व्यापारी भी कालाबाजारी करने से नहीं चूकते। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि देश के लिए अन्न उगाने वाले अन्नदाता को समय पर पर्याप्त खाद नहीं मिल पाती।

खाद की मारामारी
प्रदेश के मैहर जिले के देवराज नगर में इन दिनों खाद की मारामारी है। जहां तस्वीरें साफ कह रही है कि किसान खाद की किल्‍लत से जूझ रहे हैं। मैहर जिले का देवराज नगर ऐसा इकलौता जिला नहीं है जहां किसानों को खाद के लिए लंबी कतारों के साथ कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा हो। कई जिलों की लंबी फेहरिस्त है जहां खाद के लिए अन्नदाता को जूझना पड़ रहा है। कई जिलों में खाद वितरण के दौरान एसडीएम और अपर कलेक्टर को पहुंचकर मोर्चा संभालना पड़ रहा है। हालत ये हैं कि कई जगह किसान बारिश में भीगते हुए सुबह 4 बजे से सरकारी वितरण केंद्रों में लाइन में लग रहे हैं, लेकिन टोकन मिलने के बावजूद खाद नहीं मिल पा रही है।

डिमांड और सप्लाई में अंतर
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में खरीफ 2025 के लिए 36 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसमें यूरिया की खपत 17.40 लाख मीट्रिक टन बताई जा रही है। एसएसपी के लिए 6.50 लाख मीट्रिक टन, डीएपी के लिए 7.50 लाख मीट्रिक टन, एमओपी के लिए 5 हजार मीट्रिक टन और एनपीके के लिए 86 हजार मीट्रिक टन की डिमांड है।
इधर, यदि प्रदेश में खाद सप्लाई यानि वितरण की बात की जाए तो यह व्यवस्था सहकारी समितियों और सरकारी केंद्रों के माध्यम से की जाती है‌। किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद उपलब्ध कराने के लिए सरकार विभिन्न उपाय कर रही है जैसे खाद वितरण केंद्रों की संख्या बढ़ाना, कालाबाजारी रोकनाऔर टोकन सिस्टम लागू किया गया है। प्रदेश में सहकारी समितियों और सरकारी केंद्रों के माध्यम से खाद वितरण किया जाता है। ये समितियाँ किसानों को खाद, बीज और अन्य कृषि चीजें उपलब्ध करवाती हैं।

सरकार हर जिले में वहां किसानों की संख्या के आधार पर खाद का रैक उपलब्ध कराती है लेकिन हर साल किसानों को उनकी जरुरत के अनुसार खाद नहीं मिल पाती।

खाद की कालाबाजारी रोकने के प्रयास
खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए भी सरकार सख्त कदम उठा रही है। इस संबंध में अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। कई जिलों में किसानों को खाद के लिए टोकन जारी किए जाते हैं। जिससे किसानों को व्यवस्थित रूप से खाद मिले। कलेक्टरों को खाद वितरण की लगातार मानिटरिंग करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद मिल सके। सहकारी समितियों में तकनीकी समस्याओं के कारण खाद वितरण में होने वाली देरी के कारण भी कई परेशानियां हैं।

Related Articles

Back to top button