*स्वक्षता के दावों की खुल गई पोल: विद्यालय परिसर में कीचड़ जमा, नालियां साफ नहीं और बच्चे इन्हीं हालात में पानी पीने को मजबूर, जमीनी हकीकत को किया जा रहा अनदेखा*
छत्तीसगढ़ उजाला

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। सरकारी स्कूलों में जहां जर्जर भवनों में पढ़ाई मजबूरी बन चुकी है, वहीं न्यायधानी के बीचोंबीच स्थित स्वामी आत्मानंद डा. बीआर. आंबेडकर उत्कृष्ठ हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम शाला मगरपारा की हालत भी चौंकाने वाली है। यहां गंदगी और कीचड़ का आलम देखकर स्वच्छता के तमाम दावे हवा हो जाते हैं। न्यायधानी के बीच बसे आत्मानंद स्कूल मगरपारा का दृश्य किसी सरकारी लापरवाही की मिसाल बन चुका है।
बच्चे कीचड़ के बीच पानी पीने को मजबूर
परिसर में कीचड़ जमा है, नालियां साफ नहीं, और बच्चे इन्हीं हालात में पानी पीने को मजबूर हैं। मौसमी बीमारियों के बढ़ते खतरे के बीच भी यहां सफाई व्यवस्था का कोई ठोस इंतजाम नजर नहीं आता। विडंबना यह कि यह वही स्कूल है जिसे उच्चस्तरीय शिक्षा और बेहतर वातावरण के लिए आत्मानंद योजना के तहत विकसित किया गया था। मगर यहां सफाई स्टाफ की भारी किल्लत है।
प्राचार्य कक्ष का प्लास्टर तक गिर चुका है, जिसे लकड़ी का बोर्ड लगाकर ढंकने की कोशिश की गई है। अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन दिखावे के लिए निरीक्षण करता है, जमीनी हकीकत को अनदेखा किया जाता है। जब बच्चों की पढ़ाई और सेहत दांव पर हो, तो किसी भी तरह की लापरवाही माफ नहीं की जा सकती। यह स्थिति न केवल आत्मानंद स्कूल की गरिमा पर सवाल उठाती है, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है।