*प्रोफेसर पद पर प्रमोशन पाने IAS अधिकारियों का धौंस दिखाकर संविदा सह प्राध्यापक डॉ. कमलेश जैन ने डीन से की बदसलूकी…..सीएम सचिवालय पहुचा मामला…..*
कार्यालय में विवाद के बीच डीन डॉक्टर विवेक चौधरी ने गार्ड बुलाकर कमलेश जैन को निकलवाया बाहर...... खुद को प्रोफेसर प्रमोट करने आईएसएस अफसरों के नाम से डीन पर बना रहे दबाव......

रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला।
पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कार्यरत संविदा पर नियुक्त सह प्राध्यापक डॉक्टर कमलेश जैन ने डीन डॉक्टर विवेक चौधरी से बदसलूकी की। विवाद इतना बढ़ा कि डीन को गार्ड बुलाकर सह प्राध्यापक को निकलवाना पड़ा।आखिर इस प्रकार का दुर्व्यवहार किसकी शह पर कमलेश जैन के द्वारा किया जा रहा हैं.मामलें की चर्चा को दबाने का काफी प्रयास भी करवाया गया पर इस प्रकार के मामले सामने आ ही जाते है.
मेडिकल कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार कॉलेज कम्यूनिटी मेडिसिन में संविदा नियुक्ति पर कार्यरत सह प्राध्यापक डॉक्टर कमलेश जैन वर्षों से स्वास्थ्य सेवाएं विभाग में प्रतिनियुक्ति पर है। जबकि ये अपना वेतन मेडिकल कॉलेज रायपुर से प्राप्त कर रहे हैं। दो दिन पूर्व ही कमलेश जैन डीन कार्यालय पहुंचे और प्राध्यापक बनाने दबाव बनाने लगे। इस बीच कार्यालय में काफी हंगामा हुआ। कर्मचारियों के बीच चर्चा भी इस बात की रही कि जैन लगातार आईएएस अफसरों का नाम लेकर डीन पर दबाव बना रहे कि उनका प्रमोशन किया जाए। ऐसे में नियमों का हवाला देते हुए डीन ने शासन के नियम के दायरे में रहकर काम करने की बात कही। संविदा सह प्राध्यापक जैन बिफर पड़े, जिसके बाद डीन के निर्देश से उन्हें कार्यालय से बाहर किया गया।
डॉक्टर कमलेश जैन ने सही आचरण का पालन नहीं किया, उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा गया है।
– डॉक्टर विवेक चौधरी, डीन, मेडिकल कॉलेज रायपुर
नियम विरुद्ध स्वास्थ्य सेवाएं विभाग में बन गए प्रोफेसर…
इधर मेडिकल कॉलेज में सह प्राध्यापक पद पर कार्य कर रहे कमलेश जैन स्वास्थय सेवाएं विभाग में प्रोफेसर वन गए हैं। जबकि न तो संविदा कर्मचारियों के प्रतिनियुक्ति का नियम है। और ना ही स्वास्थय विभाग में प्रोफेसर का पद है। चर्चा है कि आई ए एस अधिकारियों के सह पर डॉक्टर कमलेश जैन को नियम विरुद्ध पद दिया गया है। जिसका कोर रिकॉर्ड ही नहीं है।
कमलेश जैन हमेशा से सुर्खियों में रहे हैं विभाग के लोगों का कहना भी है कि इस अफ़सर पर बड़े आईएएस अफसरों का हाथ हैं.उसके लिए मंत्रालय में बैठे आईएएस सहयोग करते हैं.क्योंकि इन अफ़सरान की सेवा बेहतरीन तरीके से करने में य़ह महाशय आगे रहता हैं.अभी के अफसरों से भी इसका ग़ज़ब सम्बन्ध हैं.स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसरों को य़ह अपने हिसाब से ही संचालित करता हैं.सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य सचिव सहित एनआरएचएम के अफसरों के द्वारा भी डीन को बार बार कॉल किया जा रहा था.साथ ही कमलेश जैन को सहयोग करने की बात कही जा रही थी.अब यहां पर यह समझने की जरूरत है कि आखिर डॉ कमलेश जैन के पास कौन सी पुड़िया है जिस पर य़ह नौकरशाह फिदा हैं.सरकारे आती और जाती रही पर इस कमलेश जैन की दुकान आज भी चली आ रही हैं.भ्रष्टाचार के खेल की जांच सूबे के मुखिया अगर करवाते हैं तो बहुत से मामले उजागर होंगे.
इस मामले को लेकर डॉ प्रियंका शुक्ला आईएएस से भी संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनसे भी सम्पर्क नहीं हो सका.
भ्रष्टाचार को लेकर चाणक्य नीति में कहा गया है……
ज्ञान और कौशल की कमी, आलस्य, लोलुपता, अतिभोग, कामुकता, क्रोध, भय, लालच तथा ज्ञान, शक्ति और पद का दुरुपयोग सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार के स्रोत हैं।
स्वास्थ्य विभाग में इस अफसर पर नौकरशाही की मेहरबानी इतनी ज्यादा है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते.संविदा में बच्चों को पढ़ाने वाले एसोसिएट प्रोफेसर पर स्वास्थ्य विभाग की बहुत सी जिम्मेदारी किसके इशारे में दी गई हैं य़ह भी जांच का विषय है.पढ़ाने के अलावा बाकी सारा काम इस अधिकारी के द्वारा किया जाता हैं इनके पास जिन विभागों की जिम्मेदारी है उन सभी की सरकार अगर जांच करवाये तो करोडों के खेल उजागर होंगे. शव वाहन का मामला भी हमने उठाया था उस मामले में भी आज तक विभाग के उच्च अधिकारियों ने अब तक कोई कार्रवाही कमलेश जैन के ऊपर नहीं की.न ही उस जिम्मेदारी से इसको हटाया गया हैं.आखिर मंत्रालय में बैठे नौकरशाही की इतनी मेहरबानी इस अफसर पर क्यूँ ऐसे बहुत से सवाल अब उठने लगे हैं