*महादेव सट्टा एप मामले में सीबीआई के छापे से पुलिस महकमे में मचा हड़कंप, प्रति माह लाखों रुपए संरक्षण मुद्रा लेते थे आईपीएस,* *एसएसपी से अधिक रुपए पहुंचते थे एएसपी को सीबीआई ने किया बंगला सील, अब गिरफ्तारी का डर सता रहा*
छत्तीसगढ़ उजाला

रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। महादेव सट्टा एप मामले में बुधवार को सीबीआई के छापे से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। सट्टेबाजों से प्रोटेक्शन मनी के तौर पर हर माह लाखों रुपये लेने वाले चार आईपीएस, दो एडिशनल एसपी, दो इंस्पेक्टर समेत दो हवलदारों को अब गिरफ्तारी का डर सताने लगा है।
दरअसल, राज्य वित्त आयोग के पूर्व सदस्य और अधिवक्ता नरेशचंद्र गुप्ता ने महादेव ऑनलाइन सट्टे को लेकर 18 फरवरी, 2025 को सीबीआई के डायरेक्टर को शिकायत पत्र सौंपा था, जिसमें पुलिस अफसरों की संलिप्तता का जिक्र करते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
गुप्ता की इस शिकायत को सीबीआई की छापे की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है। अधिवक्ता नरेशचंद्र गुप्ता ने सीबीआई डायरेक्टर को दिए गए शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि महादेव बेटिंग एप सट्टे के केस में रायपुर जेल में बंद एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, असीम दास और महादेव एप के प्रोपराइटर शुभम सोनी आदि के बयान ईडी ने दर्ज किए थे।
4 आईपीएस अधिकारियों पर लगे थे आरोप
इसमें आरोपितों ने बताया था कि चार प्रभावशाली आईपीएस समेत अन्य अधिकारियों के संगठित सिंडीकेट ने राजनेताओं के साथ मिलीभगत कर ऑनलाइन सट्टेबाजी के खेल को बढ़ावा देने के एवज में हर महीने लाखों रुपये लिए हैं। सट्टेबाजी के पैसे आतंकवाद और नार्को फंडिंग से जुड़े होने की संभावना है।
महादेव एप के प्रमोटर शुभम सोनी ने वर्ष 2023 में वीडियो जारी कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संरक्षण राशि के रूप में 508 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आरोप लगाया था।
एप के प्रमोटरों के संपर्क में थे आईपीएस
अधिवक्ता गुप्ता ने आगे बताया कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ईडी की हिरासत में कबूल किया था कि हवाला चैनलों के माध्यम से दुबई से उसने 81 करोड़ से अधिक प्राप्त किए थे। इस रकम को आईपीएस समेत पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को वितरित किया।
मई 2022 से पहले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल सीधे तौर पर आईपीएस आनंद छाबडा, दुर्ग के एसएसपी प्रशांत अग्रवाल, अभिषेक पल्लव, रायपुर के एसएसपी शेख आरिफ और प्रशांत अग्रवाल के संपर्क में थे। दरअसल, उस समय उनके पास छोटे स्तर का व्यवसाय था और उन्हें उनसे सुरक्षा मिली हुई थी।
जैसे-जैसे इनका क्षेत्र पूरे छत्तीसगढ़ में फैलता गया, पुलिस कार्रवाई से सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री के ओएसडी की भागीदारी जरूरी हो गई। इसके बाद सभी अफसरों ने पद का दुरुपयोग करके उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करना शुरू कर दिया और बदले में उन्होंने उनसे लाखों की रिश्वत ली।
सीबीआई को नहीं मिला कोई सदस्य तो घर सील कर लौटे
सीबीआई की टीम ने रायपुर और राजनांदगांव स्थित एएसपी अभिषेक माहेश्वरी के घर भी दबिश दी। मगर, इस दौरान वहां कोई नहीं था। इसके बाद टीम ने उनके दोनों घरों को सील कर दिया है। वहीं, भिलाई स्थित आईपीएस अभिषेक पल्लव के घर पर जब सीबीआई की टीम पहुंची, तो वे ड्यूटी के लिए निकलने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही उन्हें घर में ही रोक लिया। रायपुर में दो इंस्पेक्टर, दो हवलदार के घर भी दबिश दी।
इन आईपीएस अधिकारियों को मिलती थी इतनी रकम
आनंद छाबड़ा (2001 बैच आईपीएस)
मूलतः पंजाब निवासी। महासमुंद, दुर्ग, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कवर्धा के एसपी रहे। दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर आइजी और दो बार राज्य के इंटेलिजेंस चीफ रहे।
-आईपीएस आनंद छाबड़ा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में रायपुर आइजी थे और इन पर इंटेलिजेंस का भी जिम्मा था। छाबड़ा को 20 लाख रुपये हर महीने मिलते थे। यह पैसे एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी पहुंचाते थे।
अभिषेक पल्लव (2010 बैच आईपीएस)
मूलतः बिहार निवासी। आईपीएस अभिषेक पल्लव का जीवन उनके काम के अंदाज की तरह ही अलग रहा है। उन्होंने पहले गोवा यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की और बाद में एम्स दिल्ली से मनोचिकित्सा में एमडी की।
इसके बाद साल 2012 में डाक्टरी की पढ़ाई छोड़कर यूपीएससी की परीक्षा पास की। वे छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस हैं। नक्सल क्षेत्र में एसपी रहे। फिर जांजगीर-दुर्ग और कवर्धा एसपी बने।
-अभिषेक पल्लव तत्कालीन एसपी दुर्ग थे। इन्हें 10 लाख रुपये महीने दिए जाते थे। इन तक पैसे पहुंचाने का काम कांस्टेबल भीम यादव का था।
आरिफ शेख (2005 बैच आईपीएस)
मूलतः महाराष्ट्र निवासी। पहले मणिपुर कैडर के आईपीएस थे, फिर छत्तीसगढ़ कैडर आए। बालोद, जगदलपुर, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर, रायपुर, बलौदाबाजार एसपी रहे। रायपुर आईजी, एसीबी व ईओडब्ल्यू चीफ रहे।
-आरिफ शेख तत्कालीन एसएसपी रायपुर थे। बाद में एसीबी-ईओडब्ल्यू के भी चीफ रहे। इन्हें 10 लाख रुपए महीने मिलते थे। यह पैसे भी एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी पहुंचाते थे।
प्रशांत अग्रवाल (2008 बैच आईपीएस)
मूलतः सूरजपुर जिले के निवासी है। नक्सली इलाकों से लेकर बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर जैसे बड़े शहरों में एसएसपी रहे।
-प्रशांत अग्रवाल तत्कालीन एसपी दुर्ग थे। इन्हें 10 लाख रुपये महीने भेजे जाते थे। यशवंत साहू इन पैसों की डिलीवरी करता था।
एसएसपी से अधिक पैसे दो एडिशनल को
राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अभिषेक माहेश्वरी को सबसे तगड़ा कमीशन मिलता था। इनके पास तत्कालीन समय में एडिशनल एसपी इंटेलिजेंस और एडिशनल एसपी रायपुर का जिम्मा था। ये 35 लाख रुपये महीना लेते थे। ये पैसा कांस्टेबल संदीप दीक्षित, रोहित उप्पल, राहुल उप्पल और प्रशांत त्रिपाठी पहुंचाते थे।
वहीं, राज्य पुलिस सेवा के दूसरे अधिकारी संजय ध्रुव तत्कालीन एएसपी दुर्ग के प्रभार में रहे हैं। इन्हें 20 लाख रुपये महीने मिलते थे। इन तक ये पैसे कांस्टेबल अमित दुबे पहुंचाता था।
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया, करीबी विजय भाटिया और बघेल के ओएसडी रहे डा.सूरज कुमार कश्यप को 35-35 लाख रुपये क्रमश: मनीष उपाध्याय, रोहित उप्पल,राहुल उप्पल और प्रशांत त्रिपाठी हर महीने पहुंचाते थे।