*मुस्लिम नेताओं ने कहा – औरंगजेब से कोई संबंध नहीं है और वे शांत हैं और निष्पक्ष जांच की मांग की, बोले- निर्दोष लोगों के खिलाफ नहीं हो कार्रवाई*
छत्तीसगढ़ उजाला

नागपुर (छत्तीसगढ उजाला)। नागपुर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विदर्भ के सबसे बड़े शहर में हुई हिंसा की निंदा की है। उन्होंने इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि पुलिस की ओर से समय पर कार्रवाई किए जाने पर इस घटना को रोका जा सकता था।
गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुस्लिम नेताओं ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को शांति स्थापित करने के लिए दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलना चाहिए। सोमवार शाम को नागपुर के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर पथराव और आगजनी की खबरें आई। यह हंगामा उस वक्त शुरू हुआ जब यह अफवाह फैली कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के विरोध प्रदर्शन के दौरान पवित्र शिलालेखों वाली एक चादर को जलाया जा रहा है।
डॉ. मोहम्मद औवेस हसन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पिछले दो-तीन सालों में मुस्लिम समुदाय को भड़काने की कई कोशिशें की जा रही हैं। एक मंत्री लगातार औरंगजेब का मुद्दा उठा रहे हैं। मुस्लिम समुदाय का औरंगजेब से कोई संबंध नहीं है और वे शांत हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी संगठनों ने इस्लामी आयतों वाली चादर जलाई, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुलिस से संपर्क कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हालांकि, जब पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया, तो उनमें से कुछ लोग भड़क गए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने वाले कुछ लोगों ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पुलिस की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की, लेकिन आरोप लगाया कि हिंसा की जांच के तहत कुछ निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच, महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख प्यारे खान ने गुरुवार को एक बैठक की, जिसमें पुलिस आयुक्त और जिला कलेक्टर सहित अन्य लोग शामिल हुए। उन्होंने पुलिस से आग्रह किया कि निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने प्रशासन से मोमिनपुरा और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू में ढील देने को कहा, क्योंकि रमजान चल रहा है और कारोबार प्रभावित हो रहा है। सोमवार की हिंसा में तीन डीसीपी रैंक के अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
पुलिस के अनुसार, हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान और पांच अन्य के खिलाफ देशद्रोह और सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। हिंसा के तीन दिन बाद शहर के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू हटा लिया गया या उसमें ढील दी गई।