*●सियासत●* *●आंखों ही आंखों में सारी रात जाएगी………* *●कल भी सूरज निकलेगा, कल भी पंछी गाएंगे…*
●सियासत●
(अनिल मिश्रा)
रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला। कल भी सूरज निकलेगा, कल भी पंछी गाएंगे, सब तुमको दिखाई देंगे, पर हम न नजर आएंगे… अस्सी के दशक की हिंदी फिल्म प्रेम रोग का यह तराना, ये गलियां, ये चौबारा, यहां आना न दोबारा, आज बड़ी शिद्दत से याद आ रहा है। आज की सुहानी शाम ढलने के बाद रात गहराएगी, मगर आंखों ही आंखों में सारी रात जाएगी, खोया खोया चांद, खुला आसमान, ऐसे में कैसे नींद आएगी। क्योंकि कल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना के परिणाम आने वाले हैं। मिजोरम में इनके एक रोज बाद नतीजे सामने आएंगे। राजस्थान की बात करें तो भाजपा की उम्मीदें सातवें आसमान पर हैं।
मध्यप्रदेश में भी भाजपा और कांग्रेस दोनों पीछे हटने तैयार नहीं हैं। तेलंगाना में बीएसआर और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वह तेलंगाना फतह कर लेगी। क्या हुआ, अब यह सामने आने का वक्त एक एक सेकंड करीब आ रहा है। छत्तीसगढ़ की बात करें तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा बल्कि सौ फीसदी भरोसा है कि वह शानदार तरीके से सत्ता में दोबारा आ रही है। सारे चुनावी सर्वे कांग्रेस की सरकार बना रहे हैं तो यह उत्साह लाजिमी है। मगर भाजपा परिणाम से पहले कहां हार मानने वाली है। उसके प्रदेश अध्यक्ष सांसद अरुण साव कह चुके हैं कि एग्जिट पोल का दायरा सीमित है। भाजपा का कैनवास काफी बड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का दावा भी सामने है कि कांग्रेस 40 सीटों पर ठहर जाएगी। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी दावा कर रहे हैं कि सारे चुनावी पूर्वानुमान ध्वस्त हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ में कमल खिलेगा। कांग्रेस की ओर से दो तिहाई सीट का दावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव दोनों ही कर रहे हैं।
कांग्रेस के उत्साही संगठन को तीन चौथाई सीट सपने में दिख रही हैं। आज की रात बड़ी देर के बाद आई है। आज की रात नींद ही नहीं आएगी तो भी सपने देखे ही जाएंगे। जागती आंखें भी सपने बुनती हैं। इसी उधेड़बुन में ये रात गुजर जाएगी। 3 दिसंबर का सूरज निकलेगा तो छत्तीसगढ़ में कमल खिलेगा, यह बात भाजपा चुनावी कार्यक्रम की शुरुआत से ही कर रही है। अब यहां कांग्रेस और भाजपा में से जनता की मोहब्बत किस के लिए जवान हुई है, यह सामने आने का वक्त आ रहा है। कल का सूरज आसमान के बीच आते आते इशारा कर देगा कि ईवीएम के गर्भ से क्या निकलने वाला है और विदा लेता सूरज मुनादी पीट जाएगा कि कमल खिला या हाथ भारी पड़ा। वैसे भाजपा को तो परिणाम आने के पहले तक यही लगने वाला है कि कमल खिलेगा।कांग्रेस भी यह मान रही है कि भाजपा हार गई तो भी वह हार मानने वाली नहीं है। फिलहाल तो प्रसव पीड़ा का समय है। परिणाम की प्रतीक्षा है।
एग्जिट पोल ने जो सोनोग्राफी की है, वह कितनी सही है और कितनी गलत, यह जनादेश के जन्म के बाद साफ हो ही जाना है। कई बार मीडिया के अनुमान को जनता पलट देती है। एग्जिट पोल एक रुझान की नुमाइश के सिवा कुछ और नहीं होते। जनता के मन में क्या है, यह जान लेने का दावा कोई भी नहीं कर सकता। मीडिया जो सर्वे करता है, वह राजनीतिक दलों के सर्वे की टक्कर नहीं ले सकता। यह बात अलग है कि राजनीतिक दल अपने सर्वे का पूरा सच कभी जाहिर नहीं करते। जानकारी उन्हें पूरी रहती है। प्रदर्शित केवल उतनी ही की जाती है, जितनी जरूरी हो। लेकिन असल जानकारी के आधार पर आगे की तैयारी शुरू कर दी जाती है। अब अगर सूपड़ा ही साफ हो तो बात अलग है। मगर इस बार छत्तीसगढ़ में ऐसा बिल्कुल नहीं है। सावधानी में ही सुरक्षा है। सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। भाजपा की हर सम्भव कोशिश है कि मतगणना के दौरान कोई खेल न हो।
कांग्रेस अपनों की सुरक्षा को लेकर कितनी फिक्रमंद है, यह भी मीडिया में ऐसे बताया जा रहा है, जैसे कांग्रेस से थोड़ी थोड़ी देर में अघोषित ब्रेकिंग लीक हो रही हो। यही स्थिति भाजपा की तरफ भी है। मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि कांग्रेस ने कर्नाटक को नवजात विधायकों का पालनाघर के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी की है। यह भी कहा जा रहा है कि कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पांचों राज्यों के कांग्रेस विधायकों को सम्हालने तैयार हैं। इधर यह भी खबरें हैं कि भाजपा ने बहुजन समाज पार्टी, जोगी कांग्रेस और निर्दलीयों से सम्पर्क स्थापित कर लिया है। छत्तीसगढ़ में कमल तो खिलेगा। इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है। सरकार किसकी बनती है, यह अलग बात है। हमारा आशय यह है कि इस बार कमल अच्छी तरह खिलने के संकेत से ही तो कांग्रेस सावधान है। लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत होना जनता के लिए सबसे बेहतर स्थिति है। नतीजे ऐसे भी नहीं होने चाहिए कि राजनीतिक अस्थिरता का खतरा हो। वैसे जनता का हुक्म सिर माथे पर। अभी तो यही हसरत है कि जो हो, वह छत्तीसगढ़ के लिए अच्छा हो।