छत्तीसगढ

*सरकार ने हाईकोर्ट में प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर दिया शपथ पत्र……* *हाईवे पर खड़े वाहन व मवेशी हादसों के कारण….*●शासन का परिवहन विभाग चीरनिद्रा में…….●*

*सरकार ने हाईकोर्ट में प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर दिया शपथ पत्र*

*हाईवे पर खड़े वाहन व मवेशी हादसों के कारण….*

बिलासपुर छत्तीसगढ़ उजाला● प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर मंगलवार को राज्य शासन, नेशनल हाईवे प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया। हादसों के लिए मवेशियों, खड़े व वाहनों को जिम्मेदार बताते हुए इनको हटाने के लिए कार्रवाई की जानकारी दी। इसके लिए बैठक और सतर्कता उपाय करने की जानकारी दी गई। परिवहन विभाग को भी जवाब देने के निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 30 जुलाई को तय की है। बढ़ते हादसों और इस पर रोक न लगा पाने पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसके लिए हर संभव उपाय करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने मीटिंग लेने के साथ ही हादसे रोकने के लिए फील्ड पर काम करने के भी निर्देश दिए। बता दें कि कवर्धा हादसे पर स्वतः संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की है। 24 मई को सुनवाई के दौरान राज्य में दुर्घटनाओं पर रोक न लगने पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिंह वास जस्टिस पी साहू की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और नेशनल हाईवे अथॉरिटी से पूछा कि सड़क हादसे रोकने के लिए उपाय क्यों नहीं किया जा रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब तक आप लोगों ने क्या अमल किया। इन सभी कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता से पूछा था कि क्या प्रदेश में रोड सेफ्टी कमेटी है अगर है तो यह कमेटी क्या कर रही है प्रदेश सरकार ने दुर्घटनाएं रोकने के लिए अब तक कितने निर्देश जारी किए हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करने के लिए अब तक क्या किया गया है कोर्ट ने राजमार्ग पर स्पीड पर कंट्रोल के लिए एनसीआर में ऑटोमेटिक सिस्टम का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां क्यों नहीं हो सकता वाहनों की फिटनेस पर भी सवाल उठाते हुए कोर्ट ने 15 साल पुराने वाहनों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते सवाल किया कि क्या यहां ऐसी कोई जांच और प्रक्रिया की जाए।

परिवहन व यातायात विभाग चीर निद्रा में……●

कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो छत्तीसगढ़ सरकार का परिवहन व यातायात विभाग चिरनिद्रा में पड़ा हुआ है।प्रदेश में आये दिन दुर्घटनाओं के मामले सामने आते है।पर परिवहन विभाग के बड़े अफसर राजधानी के वातानुकूलित कक्ष में आराम करते हुए नजर आते है।वैसे भी इस विभाग की अपनी अलग ही कहानी है।इस विभाग के ऊपर अकसर बड़े खेल के आरोप भी लगते है।अभी परिवहन में एक आईएएस व आईपीएस पदस्थ है।नई सरकार में नए अफसरों की अलग कहानी है।परिवहन विभाग में बडी फ़ौज भी पदस्थ है।पर इनका क्या काम रहता है वो आसानी से समझा जा सकता है।राजधानी के सभी रिंग रोड में ट्रकों का जमावड़ा लगा रहता है पर इन अफसरों को यह दृश्य नजर नही आता है।अपनी जेबें भरने के अलावा इनको और कुछ शायद करना ही नही है।अब शायद हाईकोर्ट के कड़े शब्दों के बाद कुछ फर्क परिवहन विभाग व यातायात विभाग की कार्यशैली में नजर आ जाये।

Anil Mishra

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