*वनकर्मियों की हड़ताल से वन अफसरों की चिंता भी बढ़ी, वनकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, जंगल व वन्य प्राणियों पर मंडराया खतरा*
छत्तीसगढ उजाला
बिलासपुर (छत्तीसगढ उजाला)। वनकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल गुरुवार से शुरू हो गई है। प्रदेश स्तरीय इस हड़ताल के समर्थन में 12 हजार कर्मचारी जंगल की ड्यूटी बंद कर दिए हैं। मैदानी अमले के अभाव में जंगल व वन्य प्राणी दोनों पर सुरक्षा मंडराने लगा है। विभाग के इन्हीं कर्मचारियों के भरोसे जंगल की सुरक्षा होती है।
हड़ताली वनकर्मियों ने स्पष्ट भी कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, वह काम पर नहीं लौटेंगे।
वन कर्मचारी संघ के बैनर तले आयोजित इस हड़ताल में बिलासपुर वनमंडल कार्यालय के सामने भी बड़ी संख्या में वनकर्मी बैठे रहे। हड़ताली वन कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल पर जाने से पहले मांगों को सरकार के समक्ष रखा गया। इसके अलावा 25 जनवरी तक का अल्टीमेटम भी दिया गया था। इस अवधि तक भी मांगों को लेकर किसी तरह का आश्वासन नहीं मिला। इसीलिए तय अवधि में गुरुवार से हड़ताल की शुरुआत कर दी गई है।
वनकर्मियों की हड़ताल से वन अफसरों की चिंता भी बढ़ गई है। सबसे ज्यादा जंगल और वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर है। पिछली बार जब हड़ताल हुई तो बड़े पैमाने पर जंगलों में कटाई हुई थी। शिकार की सूचना सामने आई थी।
ये हैं प्रमुख मांगें
1. लघु वनोपज संघ में 180 पदों की संविदा पर नियुक्ति तत्काल बंद हो।
2. वनरक्षकों को 2,400 रुपये, वनपाल को 2,800 रुपये व उप वनक्षेत्रपाल को 4,200 रुपये का नया ग्रेड-पे स्वीकृत किया जाए।
3. पुनरीक्षित विभागीय सेटअप तत्काल लागू किया जाए।