मध्यप्रदेशराज्य

मकान पर किराएदार नहीं कर सकेगा कब्जा

मानसून सत्र में किराएदारी अधिनियम विधेयक ला सकती है सरकार

भोपाल । मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवाद खत्म करने के लिए मप्र सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में मप्र किराएदारी अधिनियम ला सकती है। इसके लागू होने पर मकान मालिक बिना अनुबंध के किराएदार नहीं रख पाएंगे। अनुबंध की जानकारी किराया प्राधिकारी को दो माह के भीतर देनी होगी। कोई भी किराएदार मकान पर कब्जा नहीं कर सकेगा। निर्धारित अवधि के बाद उसे मकान खाली करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो शिकायत होने पर सुनवाई करके बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मकान मालिक भी किराएदार को अनावश्यक रूप से तंग नहीं कर सकेगा। आवश्यक सेवाओं को बाधित करने पर मालिक के विरद्ध कार्रवाई होगी।
प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मकान किराए पर दिए जाते हैं। मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद के मामले न्यायालय और पुलिस के पास पहुंचते हैं। केंद्र सरकार ने भूस्वामी और किराएदार के अधिकारों के संरक्षण के लिए सभी राज्यों को कानूनी प्रविधान करने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। इसके अनुरूप नगरीय विकास व आवास विभाग ने नया मध्य प्रदेश किराएदारी अधिनियम का प्रारूप तैयार किया है। मकान मालिक और किराएदार को लिखित अनुबंध करते हुए इसकी जानकारी दो माह के अंदर किराया प्राधिकारी को देनी होगी।

अनुबंध के अनुसार बढ़ाया जाएगा किराया

अनुबंध के अनुसार किराया बढ़ाया जाएगा और यदि किराएदार देने से इन्कार करता है तो इसकी शिकायत किराया अधिकरण में की जा सकेगी। भूस्वामी मकान के लिए दो माह और गैर आवसीय भूखंड के लिए छह माह का अग्रिम ले सकेगा। अनुबंध समाप्ति के समय या तो समायोजित किया जाएगा या फिर इसे वापस किया जाएगा। निर्धारित अवधि के बाद किराएदार को मकान या भूखंड खाली करना होगा। युद्ध, बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिति है तो अवधि समाप्त होने पर भी किराएदार से मकान खाली नहीं कराया जाएगा, पर उसे अनुबंध के अनुसार किराया देना होगा। किराएदार की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को रहने का अधिकार होगा, पर उसे भी अनुबंध का पालन करना होगा।

किराएदार किसी और को नहीं बना सकते उप किराएदार

किराएदार बिना भूस्वामी की सहमति के किसी और को किराएदार नहीं रख सकेगा। यदि दोनों के बीच सहमति बनती है तो उप किराएदार रखा जा सकता है और इसकी सूचना भी किराया प्राधिकारी को देनी होगी। किराएदार अनुबंध समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं करता है तो प्रथम दो माह तक दोगुना और इसके बाद चार गुना मासिक किराया देना होगा।

मकान मालिक कभी भी नहीं कर सकेगा प्रवेश

मकान किराए पर देने के बाद मकान मालिक को यह अधिकार नहीं रहेगा कि वह कभी भी परिसर में प्रवेश करे। यदि आवास में मरम्मत या अन्य कार्य करवाने, निरीक्षण या अन्य किसी कारण से प्रवेश करना है तो कम से कम 24 घंटे पहले सूचना देनी होगी। किराएदार को तंग करने के लिए भूस्वामी आवश्यक सेवा (जल, विद्युत, पाइप कुकिंग गैस की आपूर्ति, मार्ग, लिफ्ट, सीढिय़ों पर प्रकाश, सफाई व्यवस्था, पार्किंग, संचार माध्यम, स्वच्छता सेवाएं और सुरक्षा संबंधी सुविधाएं) की आपूर्ति नहीं रोकेगा। ऐसे मामले में शिकायत होने पर किराया प्राधिकरण उसकी जांच करके सेवाओं की आपूर्ति बहाल करने का आदेश देगा। किराया प्राधिकारी डिप्टी कलेक्टर स्तर से कम का अधिकारी नहीं होगा। प्रत्येक जिले में जिला या अपर जिला न्यायाधीश को किराया अधिकरण नियुक्त किया जाएगा। इन्हें 60 दिन के भीतर आवेदन का निराकरण करना होगा। आदेश का पालन करने के लिए स्थानीय निकाय या पुलिस की सहायता ले सकेंगे। परिसर का कब्जा दिलाने या वसूली के लिए कुर्की भी करा सकेंगे।

केंद्र सरकार ने दिए थे निर्देश

केंद्र सरकार ने मकान मालिक और किराएदार के अधिकारों के संरक्षण के लिए सभी राज्यों को कानूनी प्रावधान करने के लिए दिशा निर्देश दिए थे। इसके अनुसार, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अधिनियम का प्रारूप तैयार किया है। इसमें मालिक और किराएदार को लिखित अनुबंध करके जानकारी दो माह के अंदर किराया प्राधिकारी को देनी होगी। निर्धारित अवधि के बाद किराएदार को मकान या भूखंड खाली करना होगा। आपदा की स्थिति में अवधि समाप्त होने पर भी किराएदार से मकान खाली नहीं कराया जाएगा पर उसे अनुबंध के अनुसार किराया देना होगा। किराएदार की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को रहने का अधिकार होगा पर उसे भी अनुबंध का पालन करना होगा।

News Desk

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