बिलासपुर

मामला विचाराधीन होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी नई जेल के लिए 131 करोड़ का टेंडर निरस्त

छत्तीसगढ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ उजाला)। जिले के बैमा में प्रस्तावित केंद्रीय जेल के निर्माण पर एक बार फिर संकट के बादल गहराने लगे हैं। टेंडर प्रक्रिया को लेकर हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारियों ने 131 करोड़ में टेंडर जारी कर दिया। इधर, पूर्व में इस काम के लिए टेंडर लेने वाले फर्म ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने का आदेश जारी किया है।
केंद्रीय जेल में कैदियों की बढ़ती संख्या के बीच नई जेल की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से बैमा में 50 एकड़ जमीन का चयन किया गया है। जेल की क्षमता 1,500 कैदी है। टेंडर की प्रक्रिया प्रमुख अभियंता कार्यालय से अक्टूबर 2022 में शुरू हुई थी। शहर के एक फर्म मां भगवती कंस्ट्रक्शन को इसका ठेका 110 करोड़ में मिला था। जेल भवन की नींव रखी जा रही थी कि मां भगवती कंस्ट्रक्शन के खिलाफ गलत दस्तावेज के आधार पर ठेका हथियाने की शिकायत हुई। जांच के बाद मां भगवती का ठेका निरस्त कर उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। इसके खिलाफ मां भगवती कंस्ट्रक्शन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को गुण दोष के आधार पर मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए।

इस बीच पीडब्ल्यूडी संभाग क्रमांक एक के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता बीएल कापसे ने टेंडर को रीओपन कर दिया। इस मामले की भी शिकायत हुई। प्रमुख अभियंता कमलेश पिपरी ने ठेका निरस्त कर बीएल कापसे को संस्पेंड कर दिया। 24 जनवरी को फिर से जेल के लिए टेंडर जारी हुआ है। इस बार इसकी लागत 110 करोड़ से बढ़कर 131 करोड़ हो गई थी। टेंडर जशपुर निवासी विनोद जैन को मिला था। इसे लेकर मां भगवती कंस्ट्रक्शन के कर्ताधर्ताओं ने एक बार फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर कोर्ट ने मां भगवती कंस्ट्रक्शन के पक्ष में फैसला दिया है।

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