रायपुर

मरवाही वनमंडल के भ्रष्टाचार की गूंज सदन में, ऐसा अनोखा वनमंडल जहाँ रेंजर बना डीएफओ मामला इतना गंभीर की जाँच के लिए जाना होगा दुबई, ईडी जांच की उठी मांग आठ साल रेंजर रहे संजय त्रिपाठी को वहीं बनाया एसडीओ, फिर डीएफ़ओ का दिया प्रभार : – अब खुद प्रतिवेदन देते हैं, खुद अप्रूवल

छत्तीसगढ उजाला

 

रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन मरवाही वनमंडल के अंतर्गत भ्रष्टाचार का मामला सदन में उठा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के ने विधानसभा में मरवाही वनमंडल को लेकर कहा कि लिखित जवाब में कहा गया है कि वनमंडल के 72 प्रकरण जांच के लिये लंबित है. लगभग 40 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप है। ये मेहरबानी किसके लिये है। पुराने मुख्यमंत्री के लिए. नये मुख्यमंत्री के लिए है?या किसी और के लिये है?
नेता प्रतिपक्ष जवाब में वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि ये पूरा मामला हमारे संज्ञान में आया है। सभी मामलों में जल्द से जल्द जांच पूरी कर कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दे मरवाही वनमंडल मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा पिछली सरकार में भी तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष वर्तमान नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने उठाया था मामले में भरे सदन से टीएस सिंह देव तत्कालीन मंत्री ने 16 अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा की थी उक्त मामले में छोटे अधिकारी कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर कार्रवाही तो कर दी गई मगर इतने गंभीर वित्तीय अनियमितता में उच्चाधिकारी जिनके निर्देशन में भ्रष्टाचार हुआ उनपर कार्रवाही नही की गई जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष ने पिछली सरकार को तंज कसते हुए वर्तमान सरकार से कार्रवाही की मांग की है।

वन विभाग में प्रभाववाद का मामला गुंजा सदन में : –

बीजेपी विधायक धर्मजीत सिंह ने मरवाही वनमंडल के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मरवाही ऐसा अनोखा वनमंडल है जहाँ रेंजर और एसडीओ डीएफ़ओ के पद पर बैठे थे। ये इतना बड़ा मामला है कि जांच के लिये दुबई तक जाना होगा। ईडी की तरह जांच विस्तृत करना होगा।

बताते चले उक्त संदर्भ उपवनमण्डाधिकारी कटघोरा संजय त्रिपाठी के लिए कही गई जो 8 साल तक मरवाही वनमंडल के मरवाही पेण्ड्रा एवं खोडरी में रेंजर रहे फिर उन्हें मरवाही वनमंडल में एसडीओ बनाया गया फिर मरवाही वनमंडल में ही प्रभारी DFO बना दिया गया यह जादुई अधिकारी खुद ही प्रतिवेदन देते हैं और खुद ही अप्रूवल ले लेते थे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त अधिकारी संजय त्रिपाठी को तत्कालीन सरकार के समय में बहुचर्चित नेचर कैम्प घोटाले के मामले में तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय शुक्ला द्वारा निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्रवाही के लिए अनुशंसा दिनांक 6/03/2023 को पत्र क्रमांक 2343 में की गई थी मगर पता नही किसकी मेहरबानी से यह जादुई अधिकारी हर भ्रष्टाचार के बाद खुद को बचाने में सफल हो जाते है जबकि मरवाही वनमंडल में इनके पदस्थ अवधि की अगर जाँच कराई जाए तो शायद मरवाही एकलौता ऐसा वनमंडल होगा कि जहाँ भ्रष्टाचार की पूरी गाथा लिखी जा सकती है इसलिए तो भाजपा नेता धर्मजीत सिंह ने मामले में ईडी की तरह विस्तृत जांच कराए जाने की मांग सदन में उठाई।

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