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केबिनेट मंत्री देवांगन का शपथग्रहण के बाद न्यायधानी में हुआ गर्म जोशी के साथ भव्य स्वागत, लखनलाल देवांगन एक करिश्माई नेता की कहानी, लगातार जीतने वाले नेताओं को चुनावी मैदान में दी पटखनी

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संवाददाता – प्रतीक सोनी

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। कांग्रेस सरकार में सबसे शक्तिशाली मंत्रियों में से एक जयसिंह अग्रवाल को हराने वाले विधायक लखनलाल देवांगन को विष्णुदेव साय कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। शुक्रवार को विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल में लखनलाल देवांगन को जगह मिली। लेकिन जिस मुकाम पर आज लखनलाल पहुंचे हैं, वहां तक का सफर आसान नहीं था। राजधानी में कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने के बाद लखन लाल देवांगन न्यायधानी बिलासपुर पहुंचने पर उनके समर्थकों ने बाजा-गाजे फूल मालाओं से गर्मजोशी के साथ भव्य स्वागत किया और लोगों को मिठाई बांटी।

 

स्वागत कि कड़ी में उपस्थित हाईटेक बस स्टैंड बिलासपुर के सामने रूपसिंह, मीनू गुप्ता, दिलीप पांडे, गौतम कौशिक, जितेंद्र, नन्हे सिंह, बिप्पू शर्मा, प्रभात सिंह ठाकुर, नीरज रजक, सुनील नायडू, पंकज रेड्डी, नरेन्द्र सिंह राणा, अक्षय, शशि, राजकुमार, सोनू कौशिक आदि भारी संख्या में कैबिनेट मंत्री देवांगन के समर्थक मौजूद रहे।

कौन हैं लखनलाल देवांगन ?: लखनलाल देवांगन का जन्म 12 अप्रैल 1962 को कोरबा में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय तुलसी राम देवांगन हैं। लखन लाल देवांगन ने बीए प्रथम वर्ष तक की शिक्षा हासिल की है। उनका विवाह 15 अक्टूबर 1982 को रामकुमारी देवांगन के साथ हुआ था। उनकी लखन लाल देवांगन के एक पुत्र और तीन पुत्रियो के पिता हैं। आईए जानते हैं लखनलाल देवांगन के राजनीतिक सफर को।

मुफलिसी में गुजरा जीवन : कोरबा के एक छोटे से वार्ड कोहड़िया में रहने वाले लखन का राजनीतिक सफर पार्षद से शुरू हुआ था। आज वो मंत्री बन गए हैं। एक समय ऐसा था जब लखन के पिता ने फुटपाथ पर दुकान लगाकर कपड़े बेचते थे। लखन भी इस व्यवसाय से जुड़े। परिवार ने विस्थापन का दंश भी झेला। लेकिन लखन ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा आएगा कि जिस फुटपाथ पर वो कपड़े बेच रहे हैं। वहां जनता ने उन्हें अपने कंधों पर बिठाएगा।

पार्षद से मंत्री तक का सफर : लखन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत पार्षद के पद से की थी। जब कोरबा नगर पालिका निगम का गठन हुआ, तब साल 2000 से लेकर 2005 तक वह अपने निवास स्थान कोहड़िया से पार्षद निर्वाचित हुए। इसके बाद 2005 से लेकर 2010 तक वह नगर पालिका निगम कोरबा के महापौर निर्वाचित हुए। इसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन पर भरोसा जताते हुए कटघोरा विधानसभा से टिकट दिया।लखनलाल ने 2013 का चुनाव जीता। कटघोरा से विधायक के साथ ही साथ वह संसदीय सचिव भी रहे। इसके बाद 2018 में लखनलाल कटघोरा से ही विधानसभा चुनाव हार गए।

2013 में भी किया था चमत्कार : 2013 में भी लखनलाल देवांगन ने वरिष्ठ आदिवासी नेता और 7 बार के विधायक बोधराम कंवर को हराया था। लेकिन 2018 में बोधराम के बेटे पुरुषोत्तम कंवर से लखनलाल चुनाव हार गए थे। लखन लाल देवांगन कोरबा नगर पालिका निगम कोरबा के मेयर भी रहे हैं। लेकिन जब विधायक का टिकट मिला, तब उन्हें 2013 में कटघोरा भेज दिया गया। तब भी लखन के बारे में कहा गया कि कटघोरा में वह चुनाव हार जाएंगे‌। लेकिन सबको चौंकाते हुए वो चुनाव जीत गए।

2018 में हार के बाद गई राजनीति : 2018 में उनके चुनाव हारने के बाद लखनलाल ने 5 साल तक वनवास काटा। इसके बाद 2023 में फिर उनकी सीट बदलकर वापस कोरबा लाया गया। हर जगह एक ही बात थी कि जयसिंह अग्रवाल का मुकाबला कैसे करेंगे। क्योंकि बीजेपी ने एक हारे हुए प्रत्याशी को तीन बार के विधायक के सामने खड़ा किया था। लेकिन मेहनत के आगे आशंकाएं धरी रह जाती है। चुनाव के नतीजे जब आए तो कद्दावर मंत्री का कद छोटा हो चुका था। क्योंकि एक बार फिर लखनलाल का सूरज परवान पर था। लखनलाल ने सारी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए जयसिंह अग्रवाल का बोरिया बिस्तर गोल कर दिया था। अब लखनलाल को उनकी मेहनत का फल भी मिला है। अब वे छत्तीसगढ़ सरकार के केबिनेट मंत्री हैं।

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