सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शनिवार को जम्मू का दौरा करेंगे और वहां के सुरक्षा हालात की समीक्षा करेंगे। उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा कब्जे में लिए जा रहे इलाकों के बारे में फॉर्मेशन कमांडरों द्वारा जानकारी दी जाएगी। वहीं डोडा इलाके में आतंकियों की मूवमेंट को देखते हुए चंडीमंदिर में मुख्यालय वाली पश्चिमी कमान की 26 इन्फेंट्री डिवीजन की कुछ टुकड़ियों को डोडा क्षेत्र में भेजा गया है, जहां देसा जंगल में बड़े स्तर पर तलाशी अभियान चल रहा है। वहीं सूत्रों ने बताया कि पकड़े गए आतंकियों के मददगार एक ओवर ग्राउंड वर्कर ने पूछताछ में खुलासा किया है कि आतंकी पंजाब की तरफ से जम्मू में दाखिल हुए हैं। सेना के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि जम्मू क्षेत्र में आतंकियों के मददगार ओवर ग्राउंड वर्कर्स एक्टिव हो गए हैं। ये न केवल आतंकियों को सेना की मूवमेंट की सटीक जानकारी देते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर आतंकियों के लिए जंगल और पहाड़ों में हाइडआउ्टस जैसे गुफा वगैरहा भी तैयार करते हैं। इसके अलावा उनके लिए रसद-पानी का इंजताम भी करते हैं। डोडा मुठभेड़ के बाद कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स की धड़पकड़ की गई है। उन्हीं में से एक आतंकियों के मददगार ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि 10 राष्ट्रीय राइफल्स हमला करने वाले एक आतंकी ने उसे बताया था कि वे पंजाब की तरफ से जम्मू क्षेत्र में दाखिल हुए हैं। पकड़े गए ओजीडब्ल्यू में से एक शौकत अली ने पूछताछ में माना था कि सोमवार को डोडा के देसा जंगलों में हुई मुठभेड़ से पहले आतंकियों को कई दिन तक पनाह दी थी और इंटरनेट मुहैया कराया था और अपने घर के वाई-फाई से आतंकियों से पाकिस्तान में उनके आकाओं से बात करवाई थी। सैन्य सूत्रों ने बताया कि इसे पहले भी कई बार पंजाब में आतंकी देखे जा चुके हैं। डोडा मुठभेड़ से पहले जून के आखिर में पंजाब के जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की सीमा से सटे पठानकोट के कोट भट्टियां इलाके में हथियारों के साथ आतंकियों को घूमते देखा गया था। उनकी मूवमेंट कठुआ के कोट पन्नू गांव की तरफ थी। सूत्रों ने बताया कि पंजाब में तो बीएसएफ और पंजाब पुलिस इस समय हाई अलर्ट पर हैं, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आतंकी लंबे वक्त से इस इलाके में छुपे हों। इससे पहले 12 जून को सुरक्षा बलों ने कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में स्थित सियाडा सुखपाल गांव में दो आतंकवादियों को मार गिराया था और माना जा रहा था कि वे पाकिस्तान से घुसपैठ कर आए थे।
नगरोटा मुठभेड़ में पंजाब से घुसे थे आतंकी
चार साल पहले नवंबर 2020 में हुए नगरोटा मुठभेड़ में भी यह बात सामने आई थी कि बन टोल प्लाजा पर जैश ए मोहम्मद के चार आतंकी जिस ट्रक में छिपकर पहुंचे थे, उसमें उनके छिपने के लिए एक खास बंकर बना हुआ था, और उस पर फर्जी प्लेट लगी हुई थी। मुठभेड़ से पहले वह ट्रक पंजाब गया था और पंजाब में कई दिनों तक ठहरने के बाद वह जम्मू की तरफ आया था। इन आतंकियों ने सुरंग के जरिए पंजाब के बमियाल सेक्टर में घुसपैठ की, और ट्रक में सवार हो गए। बन टोल प्लाजा पर चेकिंग के लिए जब ट्रक को रोका गया, तो उन्होंने गोली चला दी। इस मुठभेड़ में सारे आतंकवादी मार गिराए गए थे। उस समय यह खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान खालिस्तानी आतंकियों के जरिए कश्मीरी आतंकवादियों की मदद कर रहा है।
नार्को टेररिज्म का पैसा आतंकियों के पास
यह पूछने पर कि आतंकियों के पास ओजीडब्ल्यू को देने के लिए पैसा कहां से आ रहा हैं, तो इस पर सैन्य सूत्र ने बताया कि पंजाब में पिछले कुछ सालों से नार्को टेररिज्म जोरों पर है, जो सीधे-सीधे जम्मू-कश्मीर में पनप रहे आतंकवाद से जुड़ा है। पंजाब में पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में रोजाना ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी होती है। ज्यादातर ड्रोन को बीएसएफ मार गिराती है। लेकिन बीएसएफ के अलर्ट होने के बावजूद रात के अंधेरे का फायदा उठा कर ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी हो ही जाती है। हाल ही में पाकिस्तानी सीमा से सटे पंजाब के फिरोजपुर इलाके में बीएसएफ के तलाशी अभियान में खेतों में करोड़ों रुपये की ड्रग्स बरामद हुई थी। बरामद पैकेट पर पीले रंग की टेप लिपटी थी और साथ में एक छोटी प्लास्टिक की टॉर्च भी बंधी हुई थी। अलग-अलग सर्च अभियानों में 6 किलोग्राम से ज्यादा की ड्रग्स बरामद की गई थी। ड्रग्स के अलावा ड्रोन से हथियार भी गिराए जाते हैं। ड्रग्स की यह साजिश सीमा पार पाकिस्तान में बैठे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के साथ खालिस्तानी आतंकी संगठनों के गुर्गे अंजाम दे रहे हैं। ड्रग्स का यह पैसा आतंकियों को पहुंचाया जाता है, जहां वे इसे ओजीडब्ल्यू को देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
6,000 रुपये के बदले दी आतंकियों को शरण
हाल ही में हुए कठुआ एनकाउंटर में मुठभेड़ में मारे गए आतंकी के पास से बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। 19 जून को रियासी हमले के बाद एक ओजीडब्ल्यू हकीमदीन ने पुलिस पूछताछ में बताया था कि तीनों आतंकवादियों ने उसके घर में शरण ली थी और बदले में उसे 6,000 रुपये दिए थे। वह उनके गाइड के रूप में काम करता था और उसने उन्हें जंगलों के रास्ते हमले की जगह तक पहुंचाने में आतंकियों की मदद की थी। 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर डिविजन के बारामूला में 26, हंदवाड़ा में 496, कुपवाड़ा में 32, रियासी में 182, कुठआ में 135, डोडा में 74, राजौरी में 80 और किश्तवाड़ 135 में ओवर ग्राउंड वर्कर एक्टिव हैं।
26 इन्फैंट्री डिवीजन की कुछ टुकड़ियों को डोडा भेजा
वहीं, सैन्य सूत्रों ने बताया कि जम्मू डिविजन में सक्रिय आतंकवादियों के खतरे से निपटने के लिए 26 इन्फैंट्री डिवीजन की कुछ टुकड़ियों को डोडा क्षेत्र में भेजा गया है। चंडीमंदिर में बेस्ड वेस्टर्न कमांड की 26वीं इन्फैंट्री डिवीजन, जो कठुआ और चिनाब के दक्षिणी तट के बीच के इलाके में तैनात है, जिसका लगभग 130 किलोमीटर का इलाका नदी और पहाड़ी है। इस कमान में तीन कोर हैं- 2 स्ट्राइक कोर अंबाला, 11 कोर जालंधर और पालमपुर के पास, योल में तैनात 9 कोर। 9 कोरे में 26 इन्फैंट्री डिवीजन को राष्ट्रीय राजमार्ग की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। आतंकवादियों के सफाए के लिए 170 किलोमीटर के इलाके में सेना के 2000 जवानों ने घेरा डाल रखा है और चप्पे-चप्पे की तलाशी ली जा रही है। सैन्य सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर के बाहर से एक ब्रिगेड मुख्यालय, तीन इनफैंट्री बटालियन और लगभग 500 पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो को तैनात किया गया है। ये अतिरिक्त सैनिक जम्मू क्षेत्र में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों में मदद करेंगे। सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) जवानों को भी शामिल किया जा रहा है। मई 2020 में चीनी घुसपैठ के बाद सेना की विशेष आतंकवाद रोधी राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की "यूनिफॉर्म फोर्स" (लगभग 18,000 जवानों के साथ) को पूर्वी लद्दाख में भेजने के बाद जम्मू डिविजन में सैनिकों की संख्या में कमी आई थी। सेना के पास, अभी भी आरआर की रोमियो फोर्स (राजौरी, पुंछ रियासी) और डेल्टा फोर्स (डोडा, उधमपुर और किश्तवाड़) हैं, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 15,000 जवान हैं, साथ ही जम्मू क्षेत्र में नियमित इनफैंट्री बटालियन भी तैनात है।