ब्रांडेड दवा घोटाला: ESIS में कमीशनखोरी पर श्रममंत्री की कड़ी कार्रवाई, दवा खरीदी पर रोक

ब्रांडेड दवाओं की खरीद पर रोक के बाद भी हो रही करोड़ों की खरीद: श्रम मंत्री ने दिए जांच के आदेश
रायपुर(छत्तीसगढ़ उजाला)- राज्य कर्मचारी बीमा सेवाएं (ESI) में दवा खरीद को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। ब्रांडेड दवाओं की खरीद पर लगी सरकारी रोक के बावजूद अधिकारियों द्वारा घोटाले को जारी रखने की शिकायतों पर श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने वर्ष 2025-26 के लिए ब्रांडेड दवाओं की खरीद के प्रस्तावित इंडेंट को तत्काल निरस्त करते हुए संबंधित अधिकारियों पर कमीशनखोरी की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
जनता से रिश्ता ने 31 अक्टूबर के अपने अंक में पूर्व मंत्री एवं विधायक ननकीराम कंवर के पत्र का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। कंवर ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया था कि अधिकारी–कर्मचारियों की सांठगांठ से वर्षों से ब्रांडेड दवाइयों की खरीद कर भारी-भरकम कमीशनखोरी की जा रही है।
50 करोड़ की दवा 5 करोड़ में भी उपलब्ध — फिर क्यों ब्रांडेड खरीद?
शिकायतों के अनुसार,
जिन दवाओं की कीमत जेनेरिक में लगभग 5 करोड़ है
वही दवाइयां 50 करोड़ में ब्रांडेड रूप में खरीदी जा रही हैं
बाजार में नहीं चलने वाली व एक्सपायरी के कगार पर पहुंच चुकी दवाओं को खरीद कर 50-60% तक कमीशन लिया जा रहा है
राज्य भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन
कंवर ने आरोप लगाया कि
छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 को दरकिनार किया जा रहा है
सीजीएमएससी के जरिए जेनेरिक दवाओं की खरीद का प्रावधान होने के बावजूद
सीधे कंपनियों से महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदी जा रही हैं
जांच पर भी उठे सवाल
हालांकि मंत्री ने दवा खरीद पर रोक लगाई है,
लेकिन जिस विभाग पर आरोप है,
उसी के अधिकारियों को जांच सौंपे जाने से निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
मांग है कि जांच उच्च स्तरीय अधिकारी या स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।
डॉक्टरों को भी ब्रांडेड दवाएं लिखने पर रोक
केंद्र व राज्य सरकार ने ब्रांडेड दवा लिखने और वितरित करने पर प्रतिबंध लगाया है
जन औषधि केंद्रों के जरिए सस्ती दवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य
इसके बाद भी 40 से अधिक ESI डिस्पेंसरी में ब्रांडेड दवाओं का वितरण जारी
डॉक्टर भी प्रतिबंध के बावजूद ब्रांडेड दवाएं प्रिस्क्राइब कर रहे
कई वर्षों से चल रहा है 50 करोड़ से अधिक का वार्षिक भ्रष्टाचार
ESI अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में
श्रमिकों और उनके परिजनों के लिए प्रतिवर्ष 100 करोड़ से अधिक की दवा खरीद
जिसमें 50 करोड़ से ज्यादा की कथित कमीशनखोरी
जनहित में जरूरी है कठोर कार्रवाई
यह पूरा मामला यह दर्शाता है कि
श्रमिकों के स्वास्थ्य अधिकारों के नाम पर
नियमों को ताक पर रखकर
भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है
अब निगाहें इस बात पर हैं कि
क्या दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होती है या मामला फाइलों में ही दब जाएगा।




