बिलासपुर

एसबीआर कॉलेज जमीन की खरीदी-बिक्री मामले में हाईकोर्ट ने 11 खरीददारों से मांगा जवाब, कोर्ट को तीन सप्ताह के भीतर देना है जबाव

छत्तीसगढ उजाला

बिलासपुर (छत्तीसगढ उजाला)। शहर के एसबीआर कॉलेज जमीन की खरीदी-बिक्री मामले में हाईकोर्ट ने सभी 11 खरीददारों से जवाब मांगा है। इसके लिए कोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दिया है। इससे पहले भी जवाब मांगा गया था, जो प्रस्तुत नहीं किया जा सका। दूसरी ओर अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर ने एसबीआर महाविद्यालय मैदान खरीदी मामले में पेश नामांतरण आवेदन को खारिज कर दिया है। इसकी जानकारी शासन की ओर से कोर्ट को दी गई। तहसीलदार ने आदेश में कहा है कि मामला इस समय हाईकोर्ट में है और साथ ही जमीन खरीदने वालों ने कोर्ट के आदेश का सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, इसलिए नामांतरण आवेदन को खारिज करते हुए प्रकरण को नस्तीबद्ध किया जाता है। हाईकोर्ट द्वारा मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी जारी रहेगा।
उल्लेखनीय है कि एसबीआर कॉलेज मैदान खरीदी मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में चल रही है। इसके पहले सिंगल बेंच ने अतुल बजाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रस्ट की जमीन खरीदने वालों के पक्ष में फैसला दिया था। सिंगल बेंच ने जरूरी निर्देशों का पालन करते हुए मैदान की जमीन को कलेक्टर के निर्देश पर नीलाम कराने कहा था। मामले में अतुल बजाज, अमित बजाज, सुमित और संतोष बजाज ने दोबारा याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जमीन कलेक्टर की है। ट्रस्ट ने साल 1992 में जमीन कलेक्टर को दी है। इसलिए सरकारी जमीन बेचने का अधिकार ट्रस्ट को नहीं है और ना ही जमीन पर ट्रस्ट का दावा बनता।
ऑनलाइन भुइया आइडी में पंजीकृत विक्रय विलेख के माध्यम से जरहाभाठा स्थित खसरा नंबर 107/3 रकबा 0.0400 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 108/3 रकबा 0.9220 हेक्टेयर का पंजीयन कार्यालय से रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण के लिए आवेदन किया था। नामांतरण आवेदन पर अतुल बजाज ने आपत्ति पेश करते हुए बताया था कि उक्त जमीन शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा कालेज की संपत्ति है और कालेज के आधिपत्य में है। इससे संबंधित रिट अपील हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। इसके बाद उक्त अपील के सुनवाई दौरान संपत्ति को अवैधानिक प्रक्रिया द्वारा विक्रय करना माना गया। तहसीलदार ने अपने फैसले में कहा है कि हाईकोर्ट द्वारा छह जनवरी 2023 को पारित किए गए आदेश और दिए गए निर्देशों का नीलामी में पालन नहीं किया गया है।

Related Articles

Back to top button