रायपुर

*नौ बड़े घोटालों की कार्रवाई अधर में सिर्फ जांच जारी, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर तक अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का दिया अल्टीमेटम*

छत्तीसगढ़ उजाला

 

रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। राज्य में पिछले दो वर्षों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ईओडब्ल्यू-एसीबी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करोड़ों रुपये के कई बहुचर्चित घोटालों की जांच कर रही हैं, लेकिन अब तक इनमें से एक भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। जिन प्रमुख घोटालों की जांच चल रही है, उनमें शराब घोटाला, कोल लेवी (कोयला परिवहन), डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) फंड का दुरुपयोग, कस्टम मिलिंग, महादेव सट्टा एप, नान घोटाला, एनजीओ घोटाला, सीजीपीएससी और सीजीएमएससी में दवा व उपकरण खरीदी में हुई गड़बड़ियां शामिल हैं। इन घोटालों से जुड़े करीब 50 आरोपित रायपुर जेल में बंद हैं, जिनमें पूर्व आबकारी मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा और कई पूर्व व वर्तमान आईएएस अधिकारी शामिल हैं।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने 3,200 करोड़ के शराब घोटाले की जांच की रफ्तार पर नाराजगी जताते हुए 90 दिनों के भीतर अंतिम आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश ईडी व ईओडब्ल्यू-एसीबी को दिए हैं।

केस एक- सीजीएमएससी घोटाला

411 करोड़ का सीजीएमएससी घोटाला 2022 से 2023 के बीच हुआ था। इसमें मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा समेत छह लोग रायपुर जेल में बंद हैं। इनमें सीजीएमएससी के अधिकारी बसंत कौशिक, क्षिरोद राउतिया, कमलकांत पटनवार, डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बंधे शामिल हैं। शशांक के पिता शांतिलाल और साले शुभम बारमेटा समेत अन्य की भी जांच चल रही है।

केस दो- कोल लेवी घोटाला

570 करोड़ के कोल लेवी घोटाले की जांच ईडी और ईओडब्ल्यू कर रही है। जुलाई 2024 में ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 15 आरोपितों के खिलाफ पहला आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रहीं सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत अन्य शामिल हैं। अक्टूबर 2024 में मनीष उपाध्याय और रजनीकांत तिवारी के खिलाफ पूरक आरोप पत्र पेश किया गया। वहीं बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लेखापाल देवेंद्र डडसेना और सूर्यकांत के भाई नवनीत तिवारी के खिलाफ 1,500 पन्नों का पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को फरार बताया गया है। ईडी ने हाल ही में सरकार को पत्र लिखकर घोटाले में शामिल 10 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।

केस तीन- डीएमएफ घोटाला

550 करोड़ के डीएमएफ घोटाले की जांच ईडी और ईओडब्ल्यू कर रही है। इसमें निलंबित आईएएस रानू साहू, माया वारियर, मनोज कुमार द्विवेदी, अनवर ढेबर, सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया समेत 10 से अधिक लोगों को आरोपित बनाया गया है। कई कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश में जब्त दस्तावेजों के आधार पर उनकी संलिप्तता की जांच हो रही है। जांच एजेंसी के रडार पर छह आईएएस और 25 से अधिक सप्लायर भी आ गए हैं।

केस चार- महादेव सट्टा एप

महादेव सट्टा एप केस में आरोपित निलंबित एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, कांस्टेबल भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, सतीश चंद्राकर समेत सभी 12 आरोपितों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। ये सभी पिछले ढाई साल से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद थे। वहीं केस के मुख्य फरार आरोपित और एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और आईपीएस समेत अन्य अफसरों के खिलाफ दो साल गुजर जाने के बाद भी सीबीआई कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी ईडी ने एप के प्रमोटरों से 508 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।

केस पांच- एनजीओ घोटाला

हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने समाज कल्याण विभाग में हुए 1,000 करोड़ के एनजीओ घोटाले से जुड़े दस्तावेजों को माना स्थित विभागीय कार्यालय से जब्त किया है। इसमें सेवानिवृत्त मुख्य सचिव विवेक ढांड, सुनील कुजूर, पूर्व एसीएस एमके राउत, बीएल अग्रवाल, डॉ. आलोक शुक्ला, डिप्टी डायरेक्टर राजेश तिवारी, सतीश पांडेय, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडे और एसआरसी एनजीओ के कार्यकारी निदेशक पंकज वर्मा आदि के नाम एफआईआर में हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री रेणुका सिंह, लता उसेंडी, रमशीला साहू और अनिला भेड़िया भी विभिन्न समय पर नि:शक्तजन संस्थान की पदेन चेयरमैन रही हैं। इनसे भी पूछताछ की तैयारी है।

केस छह- शराब घोटाला

3,200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, पूर्व आबकारी अधिकारी एपी त्रिपाठी, निरंजन दास, कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन समेत 14 आरोपित जेल में बंद हैं। इस मामले की जांच ईडी और ईओडब्ल्यू कर रही है। आरोपित बनाए गए 30 आबकारी अफसर अग्रिम जमानत लेकर बाहर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर तक अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का अल्टीमेटम दिया है।

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