कोल घोटाले में बड़ा खुलासा: रायपुर कोर्ट ने EOW-ACB को किया नोटिस जारी, आरोपी का बयान फर्जी तरीके से पेश करने का आरोप – भूपेश बघेल बोले, “अब जांच एजेंसियां सुपारी ले रही हैं क्या?”

रायपुर(छत्तीशगढ़ उजाला)-
छत्तीसगढ़ कोल स्कैम मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। रायपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उस शिकायत के बाद जारी हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जांच एजेंसी ने सह-आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान कोर्ट में पेश करने के बजाय, पहले से तैयार टाइप्ड बयान को न्यायालय में जमा कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, कोल स्कैम केस (क्रमांक 02/2024 और 03/2024) में मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया। EOW/ACB द्वारा कोर्ट में धारा-164 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत आरोपी निखिल चंद्राकर का कथित बयान पेश किया गया, जिसे बाद में फर्जी और मनगढ़ंत बताया गया।
❖ फर्जी बयान का खुलासा
अधिवक्ता गिरीश चंद्र देवांगन ने इस संबंध में उच्च न्यायालय बिलासपुर के सतर्कता विभाग को लिखित शिकायत दी है।
उनका आरोप है कि विवेचकों ने निखिल चंद्राकर का बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज ही नहीं कराया, बल्कि अपने कार्यालय में कंप्यूटर से दस्तावेज तैयार कर उसे कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया।
फोरेंसिक परीक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि उक्त दस्तावेज का फॉन्ट और प्रारूप न्यायालय के अधिकृत दस्तावेजों से पूरी तरह भिन्न है। यहां तक कि दस्तावेज में मिश्रित फॉन्ट का उपयोग किया गया था, जो कथित रूप से जालसाजी का संकेत देता है।
❖ न्यायालय की सख्ती
इन गंभीर आरोपों के बाद रायपुर की न्यायिक मजिस्ट्रेट आकांक्षा बेक की अदालत ने संज्ञान लेते हुए
EOW/ACB के निदेशक अमरेश मिश्रा,
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश ठाकुर
और उप पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा
को नोटिस जारी कर 25 अक्टूबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।
❖ भूपेश बघेल ने उठाए गंभीर सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ (X) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने लिखा —
> “अब जांच एजेंसियां झूठे बयान और सबूत खुद ही बनाने लगी हैं क्या?
किसी को भी फंसाने के लिए क्या अब जांच एजेंसियां सुपारी ले रही हैं?
अदालत के साथ आपराधिक धोखाधड़ी की शिकायत बेहद गंभीर मामला है।”
बघेल ने आगे लिखा कि यह देश की न्यायिक व्यवस्था के इतिहास में पहला मामला है, जब किसी जांच एजेंसी ने अभियुक्त का वास्तविक बयान दर्ज कराने की बजाय, अपने कार्यालय से टाइप्ड बयान लाकर कोर्ट में पेश कर दिया और सिर्फ हस्ताक्षर करवाए।
उन्होंने कहा कि “ऐसी हरकतों से न्याय की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं। उम्मीद है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों इस पर स्वतः संज्ञान लेंगे।”
पृष्ठभूमि: क्या है छत्तीसगढ़ कोल स्कैम केस
कोल ब्लॉकों के आबंटन और रॉयल्टी वसूली में कथित अनियमितताओं को लेकर EOW/ACB ने वर्ष 2024 में दो प्रमुख केस दर्ज किए थे। इसमें व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी, नौकरशाहों और कुछ राजनेताओं के नाम सामने आए थे। वर्तमान में यह मामला रायपुर की विशेष अदालत में विचाराधीन है।
न्यायिक सूत्रों का कहना है कि कोर्ट की सख्ती के बाद EOW/ACB की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब 25 अक्टूबर को एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत के सामने अपना पक्ष रखना होगा।