“20 साल पुराना SEPCCO संयंत्र ध्वस्त, कर्मचारियों ने कहा- हम बच गए; चिमनी हादसे से भी नहीं सीखा सबक, सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न”

कोरबा(छत्तीशगढ़ उजाला)-देश की शान माने जाने वाले बालको (BALCO) एल्युमिनियम प्लांट में शुक्रवार को फिर से सुरक्षा मानकों की अनदेखी उजागर हुई और बड़ा हादसा टल गया। प्लांट परिसर में लगा करीब 20 साल पुराना राख फिल्टर (Electrostatic Precipitator – ESP) अचानक ध्वस्त होकर जमीन पर गिर पड़ा। तेज धमाके की आवाज से पूरा क्षेत्र दहल उठा। सौभाग्य से उस समय आसपास कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था, जिससे जनहानि टल गई। कर्मचारियों ने राहत की सांस लेते हुए कहा – “हम बच गए,” लेकिन यह स्पष्ट है कि घटना लापरवाही का नतीजा है। इससे यह भी साफ हो गया कि चिमनी हादसे से भी प्रबंधन ने कोई सबक नहीं लिया।
सुरक्षा व्यवस्थाओं पर फिर सवाल
जानकारी के अनुसार, गिरा हुआ ईएसपी (ESP) वर्ष 2004-05 में सेपको (SEPCCO) कंपनी द्वारा लगाया गया था। लगभग दो दशक पुराने इस संयंत्र का अचानक भरभराकर गिर जाना सुरक्षा ऑडिट और रखरखाव (Maintenance) की गंभीर खामियों को उजागर करता है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि बालको प्लांट का सुरक्षा रिकॉर्ड पहले से ही खराब रहा है। चिमनी हादसे में कई लोगों की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद समय-समय पर निरीक्षण और आवश्यक मरम्मत नहीं की गई।
श्रम विभाग की भूमिका पर भी सवाल
लगातार हो रही ऐसी घटनाएँ केवल प्लांट प्रबंधन की लापरवाही ही नहीं, बल्कि श्रम विभाग की उदासीनता को भी उजागर करती हैं। कर्मचारियों का कहना है कि अगर सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन कराया जाता, तो इतनी पुरानी संरचना अचानक न गिरती। इस हादसे ने एक बार फिर श्रमिकों की जान पर मंडरा रहे खतरे को सामने ला दिया है। अब उच्च स्तरीय जाँच की मांग जोर पकड़ रही है।
हादसे के बाद प्लांट परिसर में अफरा-तफरी का माहौल रहा। प्रबंधन ने तुरंत गिरे हिस्से की सफाई और तकनीकी जाँच शुरू कराई है। घटना ने एक बार फिर ‘जीरो एक्सीडेंट’ के दावे की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।