अमृत सरोवर ने बदली तस्वीर : अकलासरई गाँव में हरियाली और आत्मनिर्भरता की नई कहानी….

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार आज ग्रामीण विकास और जनकल्याण की दिशा में नई इबारत लिख रही है। इसी कड़ी में कोरिया जिले का अकलासरई गाँव मिशन अमृत सरोवर योजना के तहत आज प्रगति और आत्मनिर्भरता की अनूठी मिसाल बनकर उभरा है। कोरिया जिले का छोटा-सा अकलासरई गाँव अब राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण सफलता की मिसाल बनता जा रहा है। जहाँ कभी खेत सूख जाते थे और तालाब गर्मी आते-आते खाली हो जाता था, आज वही तालाब गाँव की खुशहाली और आत्मनिर्भरता का नया आधार बन चुका है।
ग्राम पंचायत अकलासरई का पुराना बंधवागढ़ा तालाब वर्षों से गाद से भरकर बेकार हो चुका था। न तो सिंचाई हो पाती थी और न निस्तार के लिए पानी बचता था। मनरेगा योजना से लगभग 10 लाख रुपये खर्च कर तालाब का जीर्णाेद्धार और गहरीकरण किया गया, जिससे अब तालाब में पानी ठहर रहा है। किसानों का कहना है कि अब एक ही तालाब ने उनकी फसलों की किस्मत बदल दी। पहले केवल खरीफ की बोवाई होती थी, अब रबी की फसल भी बोई जा रही है। लगभग 15 एकड़ से अधिक खेत इस तालाब से सिंचित हो रहे हैं। किसान कुलदीप ने बताया कि “अब सूखे खेतों की जगह हरियाली दिखती है और खेती से आमदनी दोगुनी हो रही है।”
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की प्राथमिकता हमेशा से महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर रही है। गाँव की महिलाओं के लिए भी यह तालाब वरदान साबित हुआ है। तालाब को माँ नर्मदा स्व-सहायता समूह को मछली पालन के लिए लीज पर दिया गया। समूह की अध्यक्ष बसंती देवी बताती हैं कि पिछले साल उन्होंने 45 हज़ार रुपये की कमाई की और इस साल 5 से 8 क्विंटल मछली मिलने की उम्मीद है। आज यही आमदनी महिलाओं को बच्चों की शिक्षा, घर-परिवार और अपने सपनों को पूरा करने की शक्ति दे रही है।
बसंती देवी कहती हैं- “पहले हम सिर्फ़ मजदूरी करते थे, आज हम अपने पैरों पर खड़े होकर पूरे गाँव का सहारा बन रहे हैं।” अकलासरई का अमृत सरोवर अब केवल पानी का स्रोत नहीं है, बल्कि गाँव की समृद्धि, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक शक्ति का प्रतीक बन चुका है। यह कहानी दिखाती है कि सही योजना और सामूहिक प्रयास से ग्रामीण भारत अपने संसाधनों से ही विकास की नई राह बना सकता है।
यह सफलता सिर्फ़ अकलासरई तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार गाँवों तक विकास की रोशनी पहुँचा रही है। सरकार का यह प्रयास स्पष्ट करता है कि विकास केवल शहरों तक नहीं, बल्कि हर गांव, पंचायत, हर खेत और हर किसान तक पहुँचाना ही उनकी प्राथमिकता है।