*गणेश चतुर्थी: शुभ मुहूर्त पर बिराजमान होगें गणपति बप्पा, पूजा विधि और मंत्र उच्चारण से ऐसे होगी पूजा अर्चना*
छत्तीसगढ़ उजाला

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। गणेश चतुर्थी पर भक्तगण अपने घरों और मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करेंगे। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार, गणेश जी का विसर्जन डेढ़ दिन, तीसरे, सातवें या दसवें दिन करते हैं। इस अवसर पर चलिए जानते हैं गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र, जिससे आपकी पूजा सफल और मंगलमय होगी।
गणेश जी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर गणेश जी का ध्यान करें। स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। घर और पूजा स्थल की अच्छी सफाई करें। शुभ मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना करें।
पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें:
पंचामृत, जनेऊ, हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत
पीले फूल, फल, धूप, दीप, वस्त्र, दूर्वा और शमी के पत्ते
भोग के रूप में मोदक और लड्डू
पूजा के अंत में परिवार के साथ गणेश जी के मंत्रों और आरती का पाठ करें और प्रसाद बांटें।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक
गणेश जी के मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश
ग्लौम गणपति, ऋदि्धपति। मेरे दूर करो क्लेश।।
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
गणेश जी की आरती:-
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
पान चढ़े, फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।