मुक्तांजलि एंबुलेंस में करोडों के फर्जीवाड़े पर चुप्पी….अंदरखाने लेनदेन से सेटलमेंट की चर्चा…….क्या मंत्री पर भारी है नौकरशाही……

मुक्तांजलि एंबुलेंस में फर्जीवाड़े की फाइल अधिकारियों ने दबाई, अंदरखाने बड़े लेनदेन करके सेटलमेंट के चर्चे…..
ये कैसा सुशासन : जब गरीब मरीजों की लाशों का सौदा करने वालों को स्वास्थ्य विभाग बिठा रहा सर आंखों पर
योजना मे 100 करोड़ के भ्रष्टाचार की सीएम साय से शिकायत,अब तक कोई कार्रवाई नहीं……
इस बड़े खेल को करने वाला अधिकारी आज भी लगा है अपने खेल में.....
रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला।
सरकारें तो आती जाती हैं पर सिस्टम को संचालित करने वाले वो ही महानुभाव रहते हैं.प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हमेशा चर्चा में रहता है.इतने महत्वपूर्ण विभाग में अफसरों की मनमानी बंद होने का नाम ही नहीं ले रही.जनता को मिलने वाली सुविधाओं में कैसे खेल किया जा रहा हैं इसकी बात आज हर किसी के जुबान में हैं.हमने इस बात की जानकारी अपने पूर्व के समाचार में भी बताया था.हमने इस मामले की ख़बर उठाई थी. हमे इस ख़बर को नहीं लगाने के लिए कई लोगों के द्वारा मना भी किया गया था पर हमने उन भ्रष्ट लोगों की बात को अनसुना करके अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाया.पर इस ख़बर के बाद इस मामले में भी अन्य मामलों की तरह लीपापोती शुरू कर दी गई.
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित मुक्तांजलि एंबुलेंस 1099 में लाशों की सौदेबाजी कर करोड़ों के भ्रष्टाचार की फाइल दबा दी गई है। इधर मामले को दबाने 5 करोड़ रुपए के खेल से सेटलमेंट होने चर्चा बाजार में गर्म है।गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा मुक्तांजलि एंबुलेंस सेवा 1099 में फर्जी बिल लगाकर हर महीने करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के खुलासे लगातार हुए। इस मामले के सामने आते ही स्वास्थ्य संचालक आईएएस प्रियंका शुक्ला और योजना के राज्य नोडल अधिकारी ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के कहने पर जांच तो कराई और इस मामले में नामित अधिकारी को क्लीनचिट दे दिया। स्वास्थ्य विभाग में फिर फर्जीवाड़े का बड़ा मामला खुला। तो स्वास्थ्य मंत्री ने जांच के फिर आदेश दिए।चर्चा य़ह है कि स्वास्थ्य अधिकारी मामले को दबाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस वजह से अभी तक एक भी कार्रवाई इस खेल में नहीं हुई हैं। मामले में एंबुलेंस का संचालन कर रही कंपनी कैंप फर्जीवाड़े को लगातार अंजाम दे रही। जिसमें उसे अधिकारियों का खुलकर संरक्षण मिल रहा है। बड़े भ्रष्टाचार को लेकर योजना के नोडल अधिकारी कमलेश जैन की शिकायत ACB, EOW और मुख्यमंत्री से की गई है।इसके बावजूद अधिकारी को अब तक हटाया नहीं जा रहा है। जबकि अधिकारी दूसरे विभाग मेडिकल कॉलेज का संविदा शिक्षक है। मामले में करोड़ों के भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को लेकर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से अधिकारियों के मिलीभगत को पुष्ट करता नजर आ रहा।क्या स्वास्थ्य विभाग में बैठे नौकरशाह सुशासन की सरकार के मंत्री की भी नहीं सुनते हैं.अब ऐसी चर्चा बाजारों में घूमने लगी हैं.
मामले में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने फिर से कार्रवाई करने की बात की है। लेकिन जिस तरह से मामले को दबाया जा रहा उससे य़ह तो साफ जाहिर हो रहा है कि इस पूरे भ्रष्टाचार में कई बड़े अफसरों के द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है.सुशासन की सत्ता में अफसरों की ऐसी मनमानी आने वाले समय में सत्ताधारी दल के लिए गले की हड्डी न बन जाए.सूबे के मुख्यमंत्री को तत्काल ऐसे मामलों की जांच सीबीआई या ईडी को सौप देनी चाहिए.इस विभाग के कारनामे खुलकर सामने आयेंगे.इससे सुशासन की साख भी बरकरार रहेगी.