
पूर्व की भूपेश सरकार का एक बड़ा खेल उजागर हो गया.स्कूल की मरम्मत में 1500 करोड़ का खेला हो गया.इतना बड़ा खेल बिना अफसरों की मिलीभगत से नहीं हो सकता है.इस मामले की सही जाँच हो जाये तो प्रदेश के कई आईएएस निपटेंगे.अब सुशासन वाली विष्णुदेव सरकार इस मामले पर क्या फैसला करेगी.जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए पूर्व की भूपेश सरकार में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की शुरुआत की गई थी. इस मामले में सीएम विष्णुदेव साय ने योजना के स्कूलों में हुए कार्य को लेकर नाराजगी भी जताते हुए कलेक्टरों को योजना में हुए कार्यों की जांच के आदेश दे दिये हैं. वहीं अब मुंगेली सहित कई जिलो में निर्माण एजेंसी RES विभाग द्वारा योजना में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है, शिक्षा विभाग के जांच रिपोर्ट और RES की तरफ से सौंपी गई काम के रिपोर्ट में काफी अंतर पाया गया है. जिसके बाद कलेक्टर ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है.
स्कूल जतन योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे को सुविधाजनक बनाना और विकसित करना है। 2033 करोड़ रुपये के बजट के साथ, इस योजना का उद्देश्य छात्रों के लिए सुविधाजनक और अनुकूल वातावरण बनाना है।
भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान, राज्य भर में स्कूल भवनों और छात्रावासों की मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए सत्ताईस हजार से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, साथ ही 26388 स्कूलों के सौंदर्यीकरण से संबंधित कार्यों को भी शामिल किया गया था। तत्कालीन सरकार ने दावा किया था कि इस योजना के तहत स्कूल भवनों, छात्रावासों और आश्रम शाला भवनों की मरम्मत का काम पूरा किया गया है।
दरअसल RES विभाग ने किये गए काम के रिपोर्ट में जिन स्कूलों को प्रगतिरत बताया है, वहां काम की शुरुआत भी नहीं हुई है. वहीं जिन स्कूलों में मरम्मत कार्य कराया गया है, वहां स्कूल प्रबंधन ने असंतुष्टि जाहिर की है. इस मामले में अब कलेक्टर ने कार्यो की समीक्षा करते हुए जांच के लिए जिला स्तरीय और ब्लाक स्तरीय जांच टीम गठित की है जो 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे.
पिछली सरकार ने जर्जर स्कूल पर अतिरिक्त भवन एवं मरम्मत करके एक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करके बच्चों को सुव्यवस्थित भवन में शिक्षा देने के लिए पिछली सरकार ने मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत मुंगेली जिले के 541 स्कूलों को चिन्हांकित करके अतिरिक्त भवन निर्माण एवं मरम्मत कार्य की स्वीकृति मिली थी. इसके लिए शिक्षा विभाग ने योजना की निर्माण एजेंसी RES विभाग को 15 करोड़ 41 लाख 75 हजार रुपये का भुगतान किया था.
वहीं शिक्षा विभाग ने जिले के तीनों ब्लाक के BEO और BRC से भौतिक सत्यापन करके रिपोर्ट मंगवाए गए थे, जिसपर RES विभाग और शिक्षा विभाग के रिपोर्ट में भारी भिन्नता पाई गई. RES विभाग ने अपने रिपोर्ट में 541 स्कूलों में जिन 27 स्कूल को अप्रारंभ बताया गया लेकिन शिक्षा विभाग के रिपोर्ट पर इसके अलावा भी 62 स्कूल में कार्य अप्रारंभ और जर्जर हालत पाया गया है, जिन स्कूलों में RES विभाग ने कार्य पूर्ण बताया है.
कागजो में कार्य का हुआ भुगतान
जर्जर स्कूलों में पढ़ते बच्चो की व्यवस्था को सुधारने में भी भ्रस्टाचार का खेल हुआ था.पूर्व सरकार के कारनामो की जाँच करने की आवश्यकता है. स्कूल में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत छत ढलाई सहित मरम्मत कार्य के लिए 4 लाख 62 हजार रुपये आए थे लेकिन RES विभाग ने पूर्ण बताकर कागजो में राशि का आहरण भी कर लिया है…इस स्कूल के प्रधान पाठक एवं संकुल समन्यवक बताते है कि स्कूल संचालन करने में बड़ी दिक्कत होती है वही स्कूल जतन योजना में कार्य की शुरुआत करने के लिए जो मटेरियल लाया गया था वह सही तरीके से निर्माण करने की बात पर निर्माण एजेंसी RES विभाग के ठेकेदार द्वारा मटेरियल उठाकर वापस ले गए और कार्य अप्रारंभ स्थिति में पड़ा हुआ है जिसकी जानकारी विभाग को दी गई है…!इस मामले के सामने आने से पूर्व की भूपेश सरकार का बड़ा कारनामा दिख गया.अब इस मामले में प्रदेश की सुशासन वाली सरकार क्या कार्रवाही करेगी यह देखना बाकि है.शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है.इस मामले की जाँच को लेकर अब बहुत सी चर्चाये बाजार में होने लगी है.