बिलासपुर आरटीओ ओवरलोड वाहनों से प्रत्येक गाड़ी से वसूली कर रहे हैं 20 हजार रुपये महीना ……… ट्रांसपोर्टरो ने किया मुख्यमंत्री साय से शिकायत:
बिलासपुर आरटीओ ओवरलोड वाहनों से प्रत्येक गाड़ी से वसूली कर रहे हैं 20 हजार रुपये महीना ……… ट्रांसपोर्टरो ने किया मुख्यमंत्री साय से शिकायत:
बिलासपुर छत्तीसगढ़ उजाला :
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय बिलासपुर मलाईदार विभागों में से एक है। जहाँ के अधिकारी कर्मचारी ट्रांसपोर्टरों पर इतने ज्यादा मेहरबान है कि ओवरलोड गाड़ियों के खिलाफ शिकायत मिलने पर भी कार्यवाही करने से परहेज करते है। एनटीपीसी से राखड़ सप्लाई करने वाले ठेकेदार धड़ल्ले से कानून को ठेंगा दिखा रहे है। 10 टन से भी अधिक ओवरलोड वाहन आरटीओ अधिकारी कर्मचारियों के संरक्षण में सड़कों पर दौड़ रहे है ? फिर भी कानून को ठेंगा दिखाने वाले ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद भी उन पर कार्यवाही करने से आरटीओ अधिकारी कर्मचारियों के पसीने छूट रहे है? या माजरा सेटिंग का है? बहरहाल क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोशिएशन सीपत ने दावा किया है कि आरटीओ अधिकारी कर्मचारियों की ओवरलोड वाहन चलवाने वाले ट्रांसपोर्टरों से तगड़ी सेटिंग है। स्थानीय ट्रांसपोर्टरों के द्वारा इसके खिलाफ कलेक्टर से लेकर सीएम तक न कि शिकायत किया गया, बल्कि ओवरलोड और बिना तिरपाल ढके चलित ओवरलोड वाहनों के खिलाफ साक्ष्य भी दिए गए है।
ओवरलोड वाहनों की क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टरों ने की जाँच
स्थानीय ट्रांसपोर्टर ओवरलोड वाहनों के खिलाफ मोर्चा भी खोल चुके है। जिस दौरान ओवरलोड वाहनों को काटा करते कैमरे में कैद किया गया। कई ओवरलोड वाहनों का सड़कों में परिवहन करते वीडियो रिकॉर्ड भी किया गया। इसके बाद इसकी शिकायत आरटीओ अधिकारी कर्मचारियों को किये गए लेकिन कार्यवाही करने की बजाए आरटीओ के अधिकारी ओवरलोड ट्रकों के ट्रांसपोर्टरों पर जबरदस्त मेहरबान है। इन पर कार्यवाही करने की बजाए स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को गोलमोल घुमा रहे है।
अंडरलोड प्रक्रिया के तहत ठेका (टेंडर) लेकर ओवरलोड वाहन चलाना असंवैधानिक
संघ के अध्यक्ष शत्रुहन लास्कर ने बताया कि NTPC सीपत के सभी राखड़ डेम व सेलों से प्रतिदिन करीब 500 से 600 गाड़ियां ओवरलोड होकर निकलती हैं। ओवरलोड गाड़ियां चलाना कानूनन रूप से असंवैधानिक हैं और इससे क्या -क्या हानियां है। जिसकी जानकारी जिला के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को भलीभांति रूप से है। राखड़ परिवहन कार्य में लगे सभी ठेकेदारों के द्वारा अंडरलोड प्रक्रिया के तहत ठेका (टेंडर) लिया गया है लेकिन जब से ठेका लिया गया है तबसे आज दिनांक तक सभी ट्रांसपोर्टरों के द्वारा ओवरलोड परिवहन किया जा रहा है। ओवरलोड वाहन चलाने के लिये ही उनके द्वारा ज्यादा क्यूबिक मीटर का बड़ा – बड़ा ट्राला बनवाया गया है।
वजन के आधार पर ट्रांसपोर्टरों को दिया जाता है भाड़ा
उन्होंने बताया ओवरलोड परिवहन कर रहे गाड़ियों का कांटा (वजन)श्रीराम वेट ब्रिज रायपुर रोड अमनपुर, अरोरा कंप्यूटराइज वेट ब्रीज सांकरा रायपुर रोड के धर्मकांटा में वजन कराया गया है व कराया जा रहा है। इसी वजन के आधार पर सभी ठेकेदारों के द्वारा राखड़ परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टरों को भाड़ा दिया जा रहा है। जिसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि कई लाखों टनों का ओवरलोड असंवैधानिक कार्य कर करोड़ों – अरबों रुपए का भ्रष्टाचार कई सालों से ओवरलोड गाड़ियां चलवाकर किया गया है।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और कर्मचारियों का पूरा संरक्षण, ओवरलोड गाड़ी चलने देने का मोह नहीं छोड़ पा रहे
उन्होंने बताया कि ओवरलोड गाड़ियां चलने – चलाने, ओवरलोड को बढ़ावा देने में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और कर्मचारियों के पूरे संरक्षण में यह कार्य हमेशा से चल रहा है। उन्होंने कहा कि ओवरलोड गाड़ियों को हमारे जिले से अन्य जिलों, राज्य मार्ग, राष्ट्रीय राज्य मार्ग में बिना रोक-टोक के बिना कार्यवाही किये धड़ल्ले से क्यों चलने दिया जा रहा है ? इस कार्य में लगे ट्रांसपोर्टरों, ठेकेदारों व परिवहन अधिकारियों का नार्को टेस्ट कराया जाए जिससे किस स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है वह सब उजागर हो जाएगा, इसके निष्पक्ष जांच होने पर सब पता चल जाएगा कि प्रतिगाड़ी – प्रतिमाह का कितना रुपया लेनदेन का सौदा किया गया है। इसीलिए तो बार बार ओवरलोड परिवहन बंद कराने की लिखित सूचना देने के बाद भी इसे बंद नहीं कराना इसका पक्का सबूत है। ये ओवरलोड गाड़ी चलने देने का मोह नहीं छोड़ पा रहे है। प्रतिमाह-प्रतिगाड़ी की जाने वसूली केवल क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, कर्मचारी ही हजम नहीं कर रहे वरन यह वसूली कई विभागों व चैनलों में जा रहा है। जो ओवरलोड गाड़ी चलाने वाले प्रतिमाह सौदे के हिसाब से पेमेंट कर देते है उनकी ओवरलोड गाड़ियां खुलेआम उनके सामने से गुजरता है और कोई कार्यवाही नहीं की जाती और जिनके द्वारा प्रतिमाह सौदे वाली राशि नहीं दी जाती उनके गाड़ी को पकड़कर, जब्त कर नजदीकी थाना या आरटीओ में खड़ा करा दिया जाता है।
ओवरलोड के लिए स्पेशल ट्राला
ट्रांसपोर्टरो के ओवरलोड ट्रकों की इस तस्वीरों को देखकर आप समझ सकते है कि किस तरह से मोटर वाहन अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ट्रांसपोर्ट कंपनी और आरटीओ अधिकारियों की साठगांठ के बिना सड़को पर इस तरह से ट्रकों का परिवहन मुमकिन प्रतीत नही होता है। स्थानीय ट्रासंपोर्ट संचालकों ने इसकी भी जानकारी आरटीओ अधिकारी को दी है लेकिन आरटीओ ओवरलोड ट्रक संचालकों पर इतने ज्यादा मेहरबान है कि ट्रकों की डाला के अतिरिक्त ऊँचाई भी उनको नज़र नही आ रही है।
गुंडागर्दी का लगा आरोप
राखड़ सप्लाई करने वाले एनटीपीसी के ठेकेदारों एवं ओवरलोड परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टरों पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि लोगों को शराब पिलाकर यहाँ ओवरलोड परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक गुंडागर्दी करवाते है साथ ही उनके आड़े आने वाले क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टरो को धमकाते है। इसकी खिलाफ भी लिखित शिकायत कलेक्टर से लेकर सीएम तक की गई है।
ट्रांसपोर्ट संघ की बात पर विभाग क्या कार्रवाई करेगा?
इनको केवल ईंट, रेती, गिट्टी, मुरूम में ही चलने वाले गाड़ियों में ही क्यों असंवैधानिक रूप से कानून का उल्लंघन दिखाई पड़ता है ? लेकिन ओवरलोड राखड़ गाड़ियों में नहीं, आखिर इनको क्यों खुलेआम ट्रांसपोर्टिंग करने की छूट दी गई है ? उन्होंने बताया कि रेफेक्स, ग्लोबल, पशुपतिनाथ जैसे और अन्य कई कंपनियों के द्वारा ओवरलोड कानून का बड़े पैमाने में उल्लंघन कर धोखाधड़ी से कई करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है । ऐसे ठेकेदारों की ठेका परमिट और लाइसेंस को रद्द किया जाकर इनके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए। जिससे इस प्रकार के आपराधिक और असंवैधानिक कार्य करने वाले लोगों में डर हो कि ऐसे कृत्य करने पर केवल ऐसी ही सजा मिलती है। अतः हम शासन-प्रशासन से केवल यही मांग करते है कि इस प्रकार के असंवैधानिक कार्य करने वाले लोगों की निष्पक्ष जांच कर शासन के नियमानुसार इनके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जाए। उन्होंने कुछ समय पहले हुए घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उक्त घटनाक्रम के बाद से हम सभी क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टरों को NTPC के अधिकारी, राखड़ परिवहन ठेकेदारों और ओवरलोड गाड़ियां चलाने वाले ट्रांसपोर्टरों से जान का खतरा बना हुआ है। जिसकी हमने जानकारी शासन – प्रशासन को भी दे दी है ताकि जरूरत पड़ने पर हम लोगो के परिवार के काम आ सके।
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