नई दिल्ली । शाहदरा के मानसरोवर पार्क थाने में 26 जनवरी की शाम 5:22 बजे से 5:47 बजे के बीच एक बिल्डिंग में आग लगने की 11 कॉल आईं थीं। पांच मंजिला मकान के ग्राउंड फ्लोर में भीषण आग लगी थी। छह को रेस्क्यू किया गया। गौरी सोनी (40), इनका बेटा प्रथम सोनी (17), रचना (28) और इनकी बेटी रूही (9 महीने) की मौत हो गई थी। पुलिस ने लापरवाही से मौत के तहत केस दर्ज किया था। करीब साढ़े पांच महीने की जांच के बाद पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट में अब गैर इरादतन हत्या (आईपीसी धारा 304) और ज्वलनशील चीज को लेकर लापरवाही (आईपीसी धारा 285) के तहत चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस ने पोते मोहित कुमार (27), दादा भरत सिंह (72) और दादी प्रभावती (70) को आरोपी बनाया है। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, राम नगर एक्सटेंशन स्थित पांच मंजिला बिल्डिंग में मकान मालकिन प्रभावती और उनके पति भरत सिंह की सहमति से पोता मोहित अवैध रूप से रबड़ और प्लास्टिक का काम करता था। दरअसल ये जगह ऊपरी मंजिल पर रहने वालों के लिए पार्किंग की थी। लेकिन मोहित इसका इस्तेमाल कमर्शल मकसद के लिए कर रहा था। किराएदारों के आने-जाने के लिए काफी संकरा रास्ता छोड़ रखा था। किराएदारों के कई बार कहने के बावजूद वो नहीं माना, जिससे चार लोगों की जान चली गई। आग बुझाने वाले इक्विपमेंट भी नहीं लगा रखे थे। चार्जशीट में कहा गया कि आरोपी अच्छी तरह जानता था कि प्रोडक्ट काफी ज्वलनशील हैं। फिर भी अपनी गतिविधियां जारी रखी, क्योंकि उसका एकमात्र मकसद पैसा कमाना था। मकान मालकिन प्रभावती देवी और बिल्डिंग की देखभाल का जिम्मा संभालने वाले उनके पति भरत सिंह को अपने पोते मोहित को रेजिडेंशल एरिया में ज्वलनशील चीज होने की जानकारी होने के बावजूद कमर्शल एक्टिविटी की इजाजत देने, अवैध काम करने से नहीं रोकने और आग से बचाव के एहतियाती कदम नहीं उठाने का दोषी माना गया है। इनकी निष्क्रियता से इतना बड़ा जानलेवा हादसा हुआ।