विदेश

‘योग दुनिया के लिए भारत के सबसे बड़े उपहारों में से’, नॉर्वे की राजदूत ने की PM मोदी के कदम की सराहना

योगा ही है जो स्वस्थ जीवन जीने का प्रमुख आधार है। भारत तो आदिकाल से प्रकृति की इस खूबी से परिचित था, लेकिन 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक मिशन बना दिया। उनके प्रयासों के कारण ही अब 21 जून को हर साल अंतरराष्टीय योग दिवस मनाया जाता है। उन्होंने न सिर्फ देशवासियों को बल्कि दुनिया भर के लाखों लोगों को योग करने के लिए प्रेरित किया। इसी को लेकर नॉर्वे की राजदूत मेय एलिन स्टीनर ने भारत की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को सबसे बड़ा उपहार दिया है वो है योग। दरअसल, पीएम मोदी ने हाल ही में सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि अब से 10 दिन बाद दुनिया योग के 10वें अंतर्राष्ट्रीय दिवस को मनाने के लिए तैयार है। योग ने सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमाओं को पार कर लिया है, समग्र कल्याण की खोज में दुनिया भर में लाखों लोगों को एकजुट किया है। 

राजदूत ने दिया यह जवाब
राजदूत स्टीनर ने पीएम के इसी पोस्ट का जवाब देते हुए यह बात कही। साथ ही उन्होंने योगा करते हुए अपनी तस्वीरें और वीडियो भी साझा किया। उन्होंने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरी तरह सहमत हूं। योग दुनिया के लिए भारत के सबसे बड़े उपहारों में से एक है। जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग को लेकर बढ़ावा दिया तो मैंने शीर्षासन करने का लक्ष्य रखा। क्या आप मेरे साथ हो? यह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है, तो चलो योग चैलेंज करते हैं!' पीएम मोदी ने मंगलवार को लोगों से योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का आह्वान किया। उन्होंने एक्स पर विभिन्न आसनों का वीडियो भी साझा किया। इस वीडियो में योग के लाभ बताए गए हैं। 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। पीएम मोदी ने कहा था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है, तो आएं एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।’

तीन माह में पारित हो गया था प्रस्ताव
प्रस्ताव के बाद 11 दिसंबर 2014 को 130 देशों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के तत्कालीन राजदूत अशोक मुखर्जी ने उस वक्त बताया था कि भारत के प्रस्ताव पर 130 देशों का समर्थन अपने आप में एक कीर्तिमान है, तीन माह के अंदर इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। यह भी संयुक्त राष्ट्र की ओर से पारित किए गए प्रस्तावों में सबसे कम समय लेने वाला है, खास बात ये है कि प्रस्ताव के पारित होते वक्त समर्थन करने वाले देशों की संख्या 130 से बढ़कर 177 हो गई थी।

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button