धर्म

हमेशा शिवलिंग की ओर नंदी का क्यों होता है मुंह, इस घटना ने बनाया महादेव का सबसे बड़ा भक्त

अक्सर हम देखते हैं कि नंदी की प्रतिमा शिव परिवार के साथ या कुछ दूरी पर मंदिर के बाहर होती हैं. मंदिर में जहां भी भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाती है, उनके गण नंदी महाराज सदैव सामने विराजमान रहते हैं. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया हैं कि भगवान भोलेनाथ के मंदिर में उनके सामने ही हमेशा नंदी को क्यों बिठाया जाता है. उनका मुंह हमेशा शिवलिंग की ओर ही क्यों होता है. तो आइए जानते है उज्जैन के ज्योतिष आचार्य रवि शुक्ला से.

कैसे बने शिवजी के प्रिय नंदी
पौराणिक कथाओं में एक रोचक किस्‍से के बारे में बताया गया है कि एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया और फिर समुद्र से निकली वस्‍तुओं के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच में लड़ाई होने लगी. ऐसे में शिवजी ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पीकर इस संसार की रक्षा की तो विष की कुछ बूंदें छलककर जमीन पर गिर पड़ीं. इन बूंदों को नंदी से अपनी जीभ से चाट लिया. नंदी का अपने प्रति लगाव और प्रेम देखकर शिव ने उन्‍हें सबसे बड़े भक्‍त की उपाधि दी. यह वरदान दिया कि लोग उनके दर्शन करने के साथ ही नंदी को भी जरूर प्रणाम करेंगे.

आत्‍मा व शरीर का बंधन नंदी और शिव
हर मंदिर में जहा शिव विराजमान है. वहा देखा होगा कि नंदी की नजर शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी नजर भी आत्मा की ओर हो. हर व्यक्ति को अपने दोषों को देखना चाहिए. हमेशा दूसरों के लिए अच्छी भावना रखना चाहिए.नंदी का इशारा यही होता है कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही हर व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है. इसे ही आम भाषा में मन का साफ होना कहते हैं. जिससे शरीर भी स्वस्थ होता है और शरीर के निरोग रहने पर ही मन भी शांत, स्थिर और दृढ़ संकल्प से भरा होता है. इस प्रकार संतुलित शरीर और मन ही हर कार्य और लक्ष्य में सफलता के करीब ले जाता है.

आखिर क्यों बोली जाति है नंदी के कान में मनोकामना
मान्यताओं के अनुसार नंदी के दर्शन मात्र से ही मन को असीम शांति प्राप्त होती है. मान्यता है कि शिवजी अधिकतर अपनी तपस्या में ही लीन रहते हैं. भगवान शिव की तपस्या में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े इसलिए नंदी चैतन्य अवस्था में रहते हैं. मान्यता है कि अगर अपनी मनोकामना नंदी के कानों में कही जाए तो वे भगवान शिव तक उसे जरूर पहुंचाते हैं. फिर वह नंदी की प्रार्थना हो जाती है. जिसे भगवान शिव अवश्य पूरी करते हैं. मान्यता ये भी है कि शिवजी ने नंदी को खुद ये वरदान दिया था कि जो भक्त निश्छल मन से तुम्हारे कान में अपनी मनोकामना कहेंगे, उस व्यक्ति की सभी इच्छाएं जरूर पूरी हो जाएंगी.
 

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button