छत्तीसगढ

*सियासत* हमसे क्या भूल हुई जो ये सजा हमको मिली…….. *●सैलजा का आना और तोहमत के चले जाना…*

सियासत●

रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रभारी बनकर कुमारी सैलजा का आना और साल भर बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार के साथ रुखसत हो जाना बिल्कुल भी अचंभित नहीं कर रहा। ये तो होना ही था। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मौसम की तरह बदलते रहे हैं। पीएल पुनिया अपवाद रहे। वे 2018 के चुनाव जिताने आए थे और चुनाव जिताकर 2023 के चुनाव के साल भर पहले हीरो की तरह वापस लौटे। वैसे आखिरी समय में वे भी विवाद में घिर गए थे। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में उन्हीं के समय शुरू हुई कलह को कुमारी सैलजा दूर नहीं कर सकीं। टिकट कटने को लेकर कांग्रेस विधायकों के तेवर कांग्रेस और सैलजा पर भारी पड़े। हार के सारे कारक तो सुरक्षित रहे लेकिन सैलजा हटा दी गईं। जब भाजपा ने अपनी प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी को अचानक हटाकर ओम माथुर को प्रभारी बनाया था, तब कांग्रेस उसके पीछे पड़ गई थी। माथुर तो अपना जलवा बिखेरने में सफल रहे लेकिन सैलजा छत्तीसगढ़ में गच्चा खा गईं। ऊपर से एक दिखने वाली कांग्रेस दरअसल खेमेबाजी का शिकार रही। अब कांग्रेस ने राजस्थान के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट का प्रमोशन कर उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभार सौंपा है तो समझा जा सकता है कि कांग्रेस राजस्थान की खटपट खत्म कर रही है। अब भाजपा सवाल उठा रही है कि कुमारी सैलजा को कांग्रेस ने किस बात की सजा दी है। कॉन्ग पर भाजपा के दो प्रवक्ताओं ने एक साथ हमला बोला है।

भाजपा प्रवक्ता पूर्व विधायक रंजना साहू ने पूछा है कि क्या कुमारी सैलजा को कांग्रेस के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह के आरोपों के मद्देनजर हार का जिम्मेदार माना गया है? जब बृहस्पत सिंह कुमारी सैलजा पर गम्भीर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रहे थे, तब तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस सैलजा के पीछे खड़ी थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी हार के लिए स्थानीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहरा रहे थे तो अब अचानक हार का ठीकरा कुमारी सैलजा के सिर पर क्यों फोड़ दिया गया, इसका जवाब कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को देना होगा। उनका कहना है कि कांग्रेस में हार की जिम्मेदारी लेने कोई तैयार नहीं है। सब के सब अपना चेहरा छुपा रहे हैं। जबरदस्त कलह चल रही है। कांग्रेस बिखर गई है। कांग्रेस जिनकी सरकार के काम के नाम पर चुनाव लड़ी, उन भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है। जिस प्रदेश संगठन के नेतृत्व में कांग्रेस हारी, उन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को अध्यक्ष पद पर बरकरार रखा गया है। क्या कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा को महिला होने की सजा दी गई है? महिलाओं का तिरस्कार कांग्रेस के संस्कार में है। यह पार्टी एक परिवार विशेष की महिलाओं के सम्मान तक सीमित है।

कांग्रेस में बाकी महिलाओं का कोई सम्मान नहीं है। इसलिए कई स्वाभिमानी महिला नेता कांग्रेस छोड़कर अन्य राजनीतिक दलों में चली गईं। कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 साल तक महिलाओं को धोखा दिया और अब हार के बाद अपनी ही महिला प्रभारी को रुखसत कर दिया। महिला होने के नाते हमारी संवेदनाएं कुमारी सैलजा के साथ हैं। भाजपा के एक और प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता कह रहे हैं कि गहलोत सरकार के विमान को ज़मीन पर ला पटकने वाले ‘पायलट’ छत्तीसगढ़ में क्या करेंगे? उनका कहना है कि भ्रष्टाचार कांग्रेस के डीएनए में जिस तरह रच-बस गया है, उसके चलते कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे संगठन पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने का नैतिक साहस नहीं जुटा पा रहा है। क्या कांग्रेस भ्रष्टाचार की पनाहगाह हो चली है जो एक जगह बेनकाब होने के बाद भ्रष्टाचार के लिए राज्यों को बतौर प्रयोगशाला इस्तेमाल कर रही है?

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस प्रभारी सैलजा को प्रदेश प्रभारी से हटाकर उत्तराखंड का प्रभार सौंपने के ताजे फरमान के मद्देनज़र श्री गुप्ता ने यह भी जानना चाहा कि क्या कांग्रेस पार्टी में भ्रष्टाचार की यही सजा है? छत्तीसगढ़ में संगठन के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि सैलजा ने कांग्रेस की चुनाव टिकटों की ख़रीदी- बिक्री की है और किसी एक नेता को तव्वजो देते हुए बाक़ी संगठन को दरकिनार कर दिया था। भाजपा ने कांग्रेस के नए प्रभारी का बड़ा चुभता हुआ स्वागत किया है तो सैलजा की विदाई पर भी खूब निशाना साधा है। खैर, कांग्रेस कह रही है कि उसका ध्यान लोकसभा चुनाव पर है तो यदि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नहीं पनप सकी तो क्या पायलट 5 महीने के मेहमान साबित होंगे?

Anil Mishra

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button