सीजीएमएससी में चल रहा नियम विरुद्ध कारोबार…. पर्चेस कमेटी का यहाँ कोई काम ही नही???….सारा फैसला अफसरों का…..सीबीआई जांच से हो सकता है बड़ा खुलासा….
सीजीएमएससी में लंबे समय से दवा खरीदी का खेल चला आ रहा है।सरकारें आती है और चली जाती है।पर पैसे की चाह में कुछ दानवी लोग आम जनता के जीवन से खिलवाड़ करने से भी बाज नही आते।अमानक दवाओं की भी सप्लाई कर दी जाती है।इन मदमस्त अफसरों के ऊपर कब कोई सरकार कार्यवाही करेगी।
सीजीएमएससी दवा का टेंडर फाइनल करने में पर्चेस कमेटी की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है पर यहाँ तो नियम विरुद्ध ही काम होता आ रहा है।कमेटी बनी तो जरूर है पर कमेटी की राय ही नहीं ली जाती, सीजीएमएससी में बैठे अधिकारियों का ही बोलबाला रहता है।सीजीएमएससी में पर्चेस कमेटी सिर्फ नाम की,कई माह से अब तक कोई भी बैठक नहीं हुई है।सीजीएमएससी में जो भी दवा और इक्यूपमेंट सप्लाई करने वाली कंपनियां न ही नामचीन है न ही प्रतिष्ठित कंपनियां है।सीजीएमएससी में जिस कंपनी या दवा के लाइजनर ने पैठ बनाई, उनकी कंपनियों की ही दवा यहाँ चलती है। तभी तो एक ही लाइजनर का माल अस्पतालों में खपाया जा रहा है।कमीशन का बड़ा खेल सीजीएमएससी में चला आ रहा है। यहाँ पदस्थ एक बाबू की भी चर्चा बडी गजब है।कहते है कि यह बाबू ने यहाँ रहते हुए अकूत संपत्ति बनाई है।कई बिल्डरों के यहाँ इस बाबु का पैसा इन्वेस्ट है।अब आप समझ सकते है जब एक बाबु का यह जलवा है तो यहाँ पदस्थ अफसरों का हाल होगा।पर्चेस कमेटी केवल औपचारिकता के लिए बनाई गई है। मीटिंग लेने के बजाय पर्चेस कमेटी में शामिल डॉक्टरों का हस्ताक्षर करवा लिया जाता है। डॉक्टर भी इसमें हस्ताक्षर कर देते हैं। पेंटाप्राजोल टेबलेट सब स्टैंडर्ड का मामला भी सामने आया था। 2012 में गठन के बाद से कार्पोरशन विवादों में ही रहा है। दवा खरीदी के लिए बनी पर्चेस कमेटी की भूमिका नगण्य कर दी गई,यहाँ पदस्थ रहे आईएएस अफसरों की जांच अगर सरकार के द्वारा करवाई जाए तो बड़े खुलासे सामने आ सकते है।
सीजीएमएससी के द्वारा आम जनता की जान से खिलवाड़ खुलेआम किया जा रहा है मामले की सीबीआई से हो जांच:
सीजीएमएससी लैब में पास हुई दवाई निर्धारित लेब में फेल होती है।इससे समझ मे आता है कि सीजीएमएससी में दवा में कहा तक का खेल किया जाता है।कॉर्पोरशन में कमेटी की बैठक नहीं होना कई सवाल खड़ कर रहा है।दवा टेंडर को फाइनल करने में कॉपेरिशन के अधिकारियों की ही चलती है। कमेटी बस नाम की है।पिछले 5 वर्षों में यहाँ पदस्थ अफसरों की भी जांच की जानी चाहिए।पैसे के लालच में आम जनता के जीवन से खेलने वालों के ऊपर कड़ी कार्यवाही करने की आवश्यकता है।प्रदेश की साय सरकार को इस मामले की सीबीआई जांच करवानी चाहिए इससे यहाँ हुए करोड़ो के घोटाले सामने आएंगे।