रायपुर

छत्तीसगढ की नई सरकार ने शपथ के दो महीने बाद प्रशासन और पुलिस में की बड़ी सर्जरी, आचार संहिता लगने से ठीक एक दिन पहले में ही 35 से अधिक पुलिस अधिकारियों के तबादले में संशोधन पर उठने लगे सवाल, बिना ज्वाइनिंग के करा लिए संशोधन

छत्तीसगढ उजाला

 

रायपुर (छत्तीसगढ उजाला)। नई सरकार ने शपथ के दो महीने बाद प्रशासन और पुलिस में बड़ी सर्जरी की। पिछले सरकार में मलाईदार और प्रभावशाली पदों में रहे अधिकारियों को हटा दिया गया। कुछ को बिना विभाग के बैठाया तो कुछ को नक्सल क्षेत्र में पोस्टिंग की गई।

यह दावा किया गया था कि पिछली सरकार में जिनके साथ अन्याय हुआ और लूपलाइन में रहे, उन्हें फ्रंट लाइन में लाया जाएगा। जारी तबादला सूची को देखकर ऐसा ही लगा। लेकिन 10 दिन के भीतर ही सूची फिर बदल दी गई। थोक में पुलिस, प्रशासन और अन्य विभाग में किए गए तबादले में संशोधन कर दिया गया।

आचार संहिता लगने से ठीक पहले एक दिन में ही 35 से अधिक पुलिस अधिकारियों के तबादले में संशोधन कर दिया गया। अधिकांश को यथावत रखने, अच्छे जगह पर पदस्थ करने के आदेश जारी होने से विभाग और सरकार की मंशा पर भी सवाल उठने लगे है।

जानकारों का कहना है कि तबादला करते समय विचार नहीं किया गया या जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा नहीं की गई। तबादला करने के बाद यथावत रखने का आदेश जारी क्यों करना पड़ गया। यहां तक की भ्रष्टाचार के आरोप में खाली बैठाए गए आईएएस को भी कमाऊ विभाग दे दिया गया।

इसी तरह से पीएचई, पीडब्ल्यूडी, परिवहन, पंचायत से लेकर सभी विभागों में भी ऐसे ही तबादले किए गए है। छह मार्च को इसके आदेश जारी कर सभी को तत्काल नए स्थान पर ज्वाइनिंग करने कहा गया था, लेकिन नौ दिन बाद ही गृह विभाग के अवर सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से संशोधित आदेश होने से कई सवाल उठने लगे है।
बताया जाता है कि तबादला सूची जारी होने के बाद गड़बड़ी का अहसास होते ही एक आदेश जारी किया गया। इसमें स्थानांतरण आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में कैविएट दायर करने से पहले महाधिवक्ता को सूचना को देने कहा गया था। राज्य पुलिस में ऐसा पहली बार हुआ कि कैविएट दायर करने की सूचना सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की गई।

कहा जा रहा है कि जल्दीबाजी में जारी किए गए आदेश को लेकर राज्य पुलिस और गृह विभाग के अफसरों को संशय था। उन्हें आशंका थी कि स्थानांतरण आदेश को चुनौती देने अधिकारी हाईकोर्ट जा सकते है। वहीं जिन अफसरों के तबादले को लेकर संशय था उन सभी का संशोधित आदेश 15 मार्च को जारी किया गया। थोक के भाव में किए गए तबादला आदेश जारी करने के बाद दोबारा संशोधित आदेश जारी होना सवालों के घेरे में है।
संशोधित तबादला आदेश में 15 निरीक्षक, 12 उपपुलिस अधीक्षक और आठ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों के नाम शामिल है। छह मार्च को जारी किए गए तबादला आदेश के बाद अधिकांश लोगों ने ज्वाइन ही नहीं किया था। जारी आदेश में विसंगति को देखते हुए संशोधित आदेश जारी किए गए।

इसके चलते रायपुर सिविल लाइन सीएसपी, डीएसबी, खैरागढ़,गंडई एसडीओपी, परिवहन विभाग और एटीएस चीफ समेत कई पद खाली हैं। आदेश जारी होने के बाद से अधिकांश अधिकारी इसे संशोधित कराने में लगे थे। कुछ निरीक्षक, डीएसपी शुरू से यह दावा कर रहे थे कि उनका आदेश निरस्त हो जाएगा और पुरानी जगह पर ही रहेंगे। जारी आदेश में हुआ भी यहीं।
ट्रांसफर उद्योग चलाने का भाजपा ने लगाया था आरोप, अब खुद ही घेरे में
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विपक्ष में रहे भाजपा के नेता ट्रांसफर उद्योग चलाने का आरोप लगाते थे।अब खुद ही तबादला आदेश में संशोधन को लेकर भाजपा सरकार सवालों के घेरे में है।

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