यहां एक ऐसा ऐतिहासिक शिव मंदिर है, जिसका इतिहास अनादि काल से जुड़ा है. यह मंदिर पांडवों द्वारा पूजा-अर्चना किए जाने के कारण खास महत्व रखता है. यहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. इस मंदिर में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है, और यह शिव भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है.
बागपत के यमुना किनारे पक्का घाट पर स्थित पूज्य कृष्णबोध आश्रम शंकराचार्य मठ मंदिर का इतिहास अनादि काल से जुड़ा है. इस मंदिर की विशेष मान्यता है और कहा जाता है कि यहां पांडवों ने आकर पूजा-अर्चना की थी. कहा जाता है कि बागपत के बरनावा में मोम के लाक्षागृह में जब दुर्योधन ने पांडवों को मारने की साजिश रची थी, तो विदुर द्वारा बताई गई सुरंग के माध्यम से पांडव बागपत के यमुना किनारे पर निकले थे और इसी मंदिर में उन्होंने पूजा-पाठ किया था. तभी से इस मंदिर की मान्यता चली आ रही है और यह भक्तों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है. यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
मंदिर के मुख्य पुजारी उद्धव स्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि इस मंदिर में पांडवों ने पूजा-अर्चना की थी और जैसे भगवान शिव ने पांडवों का कल्याण किया था, वैसे ही प्रत्येक भक्त का भी यहां पूजा करने से कल्याण होता है. भगवान शिव बहुत दयालु हैं और पूजा करने से बहुत जल्दी फल देने वाले हैं. यहां पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और हर एक भक्त की मुराद पूरी होती है.