छत्तीसगढ

*छत्तीसगढ़ में शराब में पानी मिलावट का खेल,अफसरों की मिलीभगत की चर्चा जोरों पर,आखिर इस खेल में किसका हांथ…..*

●छत्तीसगढ़ उजाला रायपुर●

सरकार बदल गई परंतु दारू में आज भी पानी की मिलावट जारी,बिलासपुर के बाद कोरबा में पकड़े गए दारू में पानी मिलाकर बेचने वाले मुफ्तखोर

बाजार से नामी गिरामी ब्रांडेड शराब और बियर गायब, कांग्रेसी राज के बाद अब भाजपा राज में भी राजधानी के बड़े शराब कारोबारी की एक ब्रांड का जलवा आज भी बरकरार है।भूपेश सरकार के आबकारी घोटाले के सरगना के लोग आज भी मजा करते नजर आ रहे है।

रायपुर । इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती है कि प्रदेश की सत्ता पर किसी भी पार्टी का राज हो, आबकारी महकमें के सिस्टम को बदलना बड़ा कठिन ही है।अरबो के इस विभाग में कइयों का जीवन बनाया है।आबकारी को मलाईदार विभाग में गिना जाता है।

भूपेश  राज में लगभग 22 सौ करोड़ के आबकारी घोटाले में अनवर ढेबर से लेकर निरंजन दास,एपी त्रिपाठी जैसे रसूखदार नप गए, परंतु पूरे प्रदेश में जिला आबकारी अधिकारी तथा सहायक आयुक्त बनकर बैठे उनके खासमखास अफसर भाजपा राज में भी मौज कर रहे हैं।पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में शराबबंदी की मांग की जाती रही है, ऐसे में सवाल उठता है कि बेवड़े पियेंगे नहीं, तो जियेंगे कैसे ? शाम होते ही शराब दुकानों में बेवड़ों की उमड़ती भीड़ से सरकार को कोई लेना-देना नहीं है।छत्तीसगढ़ के सभी शहरों की स्थिति शाम को देखने लायक रहती है।शराबियों की भीड़ से सड़कों में चलना कठिन हो गया है।यातायात अलग बाधित होता है।इन शराबियों के चक्कर मे कई व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बर्बाद हो रहे है।प्रशासन व सरकार को इन सब समस्याओं से कोई सरोकार ही नही है।सरकार जब खुद दारू बेचने में उतर जाए तो इसका कोई समाधान नही है।आखिर सरकार को शराब से बहुत बड़े राजस्व की प्राप्ति भी होती है।ऐसा लगता है कि सरकार के पास कमाई का इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता ही नही है।


कुछ दिन पहले ट्रांसपोर्ट नगर कोरबा में एक सरकारी शराब दुकान में ब्रांडेड शराब में पानी की मिलावट करने वाले सुपरवाइजर और सेल्समैन के खिलाफ आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 38 (क) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया । आबकारी विभाग के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान सुपरवाइजर प्रतिपाल यादव,सेल्समेन प्रवीण जायसवाल तथा होलिका सिंह के कब्जे से 6 नग मेकडॉवेल्स नंबर एक बोतल में भरी मिलावटी शराब, छह नग गोवा व्हिस्की तथा चार नग आफ्टरडार्क बोतल की भरी बोतलों के साथ उतने ही नग खाली बोतल तथा ढक्कन बरामद किए गए । इससे पहले साल 2021 में बिलासपुर के तोरवा स्थित देसी शराब दुकान के सुपरवाइजर निर्मल शर्मा तथा दो सेल्समैन रमेश राव तथा प्रदीप लुनिया को शराब में पानी मिलाते हुए पकड़ा गया था । दरअसल सत्ता पर काबिज सरकारें शराब के ठेके तथा उसे प्राप्त होने वाली आय के साथ करोडों की दो नंबर की कमाई को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती और शराब बंदी के नाम पर आम जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करती रही है । कोरोना काल में शराब उपलब्ध न होने की स्थिति में पियक्कड़ों ने सैनिटाइजर और स्पिरिट पीना शुरू कर दिया था आखिरकार सरकार को पियक्कड़ों की भावना का सम्मान करते हुए शराब की होम डिलीवरी करनी पड़ी थी। बताया जाता है कि एक कई कांग्रेसी नेताओ ने सरकारी नंबर वाले वाहनों में शराब की तस्करी से करोड़ों कमाए थे।कोरोना में बड़ा खेला किया गया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बिलासपुर में तत्कालीन आबकारी उपायुक्त नीतू नूतानी के पास तोरवा देसी शराब दुकान में बड़े पैमाने पर पानी मिलाने की लगातार शिकायत पहुंच रही थी । आबकारी निरीक्षक धीरज कनौजिया ने तीन पेटी शराब ( 190 पाव ) में मिलावट करते तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था । दरअसल शराब में पानी मिलाकर बेचने का धंधा आबकारी अधिकारियों से सांठ गांठ के बिना संभव नहीं है । पिछली सरकार में हुए 22 सौ करोड़ के आबकारी घोटाले से जुड़े कई आला अधिकारी सरकार बदलने के बाद भी बड़े पदों पर जमे हुए हैं।

पिछली सरकार के समय शराब घोटाला में आबकारी के कई अफसरों की जांच हुई थी साथ ही इन अफसरों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध भी किया गया था।
इस सूची में दर्जनों बड़े नाम शामिल हैं,जिनसे ई डी द्वारा पूछताछ की गई थी । साल 2013 से 2018 के भाजपा शासन काल में कई छोटे बड़े आबकारी अधिकारियों के खिलाफ मामले तो बनाए गए, परंतु 2018 से 2023 के कालखंड में कांग्रेस की भूपेश सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की । सरकार की शह पर त्रिपाठी तथा निरंजन दास जैसे आला अधिकारियों ने विभाग में बड़ा खेल किया था।

अब भाजपा की साय सरकार को अंधेरे में रखकर पुराने आबकारी ठेकेदारों द्वारा आबकारी विभाग के मौजूदा आलाधिकारियों से मिली भगत कर कांग्रेसी राज्य में हुए घोटाले की पुनरावृत्ति की जा रही है । बाजार से ओल्ड मंक,1000 तथा किंगफिशर जैसे ब्रांड गायब कर दिए गए हैं तथा पूरे प्रदेश में सीमित कंपनियों के अलावा अन्य दूसरा ब्रांड उपलब्ध नहीं है । राज्य सरकार को इस बात की जांच करनी चाहिए कि देश में उच्च कोटि के शराब तथा बियर के सैकड़ो ब्रांड उपलब्ध होने के बावजूद प्रदेश में केवल सीमित कंपनी की शराब और बियर क्यों परोसी जा रही है ?इस खेल में बड़े अफसरों मिलीभगत उजागर होती है।सरकार इस मामले को अपने संज्ञान में लेकर क्या कार्रवाई करेगी यह देखना बाकी है।

Anil Mishra

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