ग्वालियर। नए कानून के तहत देश भर में पहला मामला ग्वालियर के हजीरा थाने में दर्ज किया गया। यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी है। भारतीय न्याय संहिता लागू होते ही ग्वालियर के हजीरा थाने में रात 12.24 बजे जिले की पहली एफआईआर बाइक चोरी की दर्ज हुई। हालांकि अमित शाह ने नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने का समय रात 12.10 का बताया है। सीएसपी महाराजपुरा नागेंद्र सिंह सिकरवार ने बताया कि मूलरूप से भिंड के गोरमी स्थित ग्राम कल्याणपुरा में रहने वाले सौरभ पुत्र नागेंद्र सिंह नरवरिया ग्वालियर के हजीरा इलाके में यादव धर्मकांटा के पास मां पीतांबरा कालोनी में किराये से रहते हैं। रविवार रात करीब 12 बजे वह घर आए। बाइक घर के बाहर खड़ी की। महज पांच मिनट बाद ही जब लौटकर आए तो बाइक गायब थी। वह हजीरा थाने पहुंच गए। टीआई शिवमंगल सिंह सेंगर यहां मौजूद थे। उन्होंने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता- 2023 की धारा 303(2) के तहत एफआईआर दर्ज की। देश का नया कानून रविवार रात 12 बजे के बाद लागू हो गया। नए कानून की कई विशेषताएं हैं। सबसे खास बात है कि अब हर तरह के अपराध से अर्जित संपत्ति पर कानून का शिकंजा कसा जा सकेगा। इसमें थाने से नोटिस पर छूटने वाले सट्टेबाज, बड़े जुए के अड्डे चलाने वाले भी नहीं बच सकेंगे। यह दो अपराध ऐसे हैं, जिनमें पुलिस को थाने से ही आरोपितों को छोड़ना पड़ता है, जिसके चलते बार-बार पकड़े जाने के बाद भी सट्टे और जुए के काले कारोबार से जुड़े लोग बेखौफ रहते हैं। अब इनकी संपत्ति भी पुलिस कुर्क करा सकेगी। पुलिस को यह साबित करना होगा, इनकी जो संपत्ति है वह सट्टे और जुए के काले कारोबार से अर्जित की गई है।
अब हर तरह के अपराध से अर्जित संपत्ति पर शिकंजा
पहले सिर्फ यहां तक सीमित था कानून: भारतीय न्याय संहिता में धारा 107 बढ़ाई गई है। इस धारा को परिभाषित करते हुए भारतीय न्याय संहिता में लिखा गया है। हर तरह के अपराध से अर्जित संपत्ति को पुलिस राजसात करा सकेगी। इसमें अपराध कोई भी हो सकता है, पुलिस को यह साबित करना होगा। अपराधी ने संपत्ति अपराध के जरिये अर्जित की है। भारतीय दंड संहिता में ऐसा नहीं था। पहले एनडीपीएस एक्ट, डकैती अधिनियम जैसे अपराधों में ही संपत्ति राजसात करने का प्रावधान था। फरार अपराधियों को हाजिर कराने के लिए भी पुलिस द्वारा धारा 83 के तहत उद्घोषणा की जाती थी, इसमें हाजिर न होने की स्थिति में संपत्ति राजसात करने का निर्णय लिया जाता था। इसके बाद संपत्ति राजसात करने की प्रक्रिया लंबी थी।
यह होगी प्रक्रिया
अगर पुलिस को लगता है कि किसी अपराधी ने संपत्ति अपराध के जरिये अर्जित की है। पुलिस इसके सबूत इकट्ठे कर सकती है। इसके बाद जिले के पुलिस अधीक्षक या जिन शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है, वहां पुलिस आयुक्त के अनुमोदन के बाद विवेचक द्वारा संपत्ति राजसात करने के लिए न्यायालय में आवेदन किया जाएगा। न्यायालय अपराधी को अपना पक्ष रखने के लिए 14 दिन का समय देगा। इसके बाद अगर वह तर्कपूर्ण पक्ष नहीं रख पाता तो संपत्ति राजसात होगी। कोर्ट द्वारा इसका आदेश जारी किया जाएगा। पुलिस के प्रतिवेदन के बाद भी संपत्ति राजसात करने का निर्णय कोर्ट द्वारा ही किया जाएगा। ग्वालियर शहर के कई ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने क्रिकेट पर ऑनलाइन सट्टे का काला कारोबार शहर की गली-गली में फैला दिया। युवाओं को बर्बाद कर दिया। कई लोगों ने आत्महत्या तक कर ली। यह सट्टेबाज कानून का मजाक बनाते रहे। पुलिस इन पर एफआईआर दर्ज करती और मजबूरी में इन्हें थाने से ही छोड़ना पड़ता था। इसमें सभी चेहरे ऐसे हैं, जो कभी दो पहिया गाड़ियों पर घूमते थे अब करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं और लक्जरी गाड़ियों में घूमते हैं। गोवा, मुंबई, दिल्ली, गुड़गांव, बेंगलुरु और दुबई के महंगे होटल में बैठकर सट्टे का नेटवर्क चलाते हैं। पुलिस पर भी बहाना था- कानून का, इसकी आड़ में सांठगाठ की गुंजाइश भी खब होती थी, लेकिन अब इसका तोड़ नए कानून ने निकाला है। अब छोटे से छोटे और बड़े से बड़े अपराध में संपत्ति राजसात करने का प्रविधान है, बशर्ते संपत्ति अपराध से ही अर्जित की गई हो।
सुनो, सुनो, सुनो- नहीं चलेगा अंग्रेजों के जमाने का कानून
नया कानून लागू होने से पहले ग्वालियर के हस्तिनापुर और उटीला इलाके में पुलिस ने मुनादी कराई। गांव के लोगों को कोतवार ने बोला-सुनो, सुनो ,सुनो-अब अंग्रेजों के जमाने का कानून नहीं चलेगा, अब भारत का नया कानून लागू होने जा रहा है। सभी लोग एक जुलाई को थाने आएं, यहां नए कानून के प्रविधानों की जानकारी पाएं और मिठाई भी खाकर जाएं। जब गांव के लोगों ने नए कानून का प्रचार पुराने तरीके से सुना तो वहां के युवाओं ने वीडियो बनाना शुरू कर दिया। एसपी धर्मवीर सिंह ने सभी थाना प्रभारियों को थाने में ही मौजूद रहने के निर्देश दिए। जिससे नए कानून के तहत होने वाली पहली एफआईआर खुद थाना प्रभारी की मौजूदगी में हो। थाना प्रभारी को खुद ही एफआईआर की कॉपी फरियादी को देनी है।