12 साल का अर्नव उर्फ आदि अपने माता-पिता और बहन के साथ रुड़की से देघाट के लिए निकला। वह खुश था कि अब नए शिक्षा सत्र से वह और उसकी बहन देघाट में पढ़ाई करेंगे, लेकिन उसे यह मालूम नहीं था कि रास्ते में एक दर्दनाक हादसा इंतजार कर रहा है। देघाट पहुंचने से पहले ही उनकी कार खाई में गिर गई। वह गहरी खाई में अंधेरे के बीच मदद का इंतजार करता रहा। उसे उम्मीद थी कि किसी तरह रात कटेगी और सुबह अपने माता-पिता और बहन से मिल सकेगा लेकिन तीनों उसका साथ हमेशा के लिए छोड़ गए और वह अनाथ हो गया।
देघाट सीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स शशि सोमवार सुबह अपने पति मुनेंद्र, बेटी अदिति और बेटे अर्नव के साथ अपने घर से कार्यस्थल के लिए रवाना हुईं। रुड़की में पढ़ रहे दोनों बच्चों का देघाट में दाखिला होना था ताकि बेटा-बेटी अपनी मां के साथ रह सकें। आदि भी इससे काफी खुश था लेकिन एक घटना ने उसकी खुशियां छीन लीं। चारों ने एक-दूसरे के साथ हंसी-खुशी के पल बिताते हुए रुड़की से चौनिया बैंड तक 288 किमी का सफर तय किया लेकिन कार्यस्थल पहुंचने से सिर्फ 15 किमी पहले ही कार खाई में गिर गई। माता-पिता और बहन कार से अलग-अलग जगह छिटक गए और अंधेरी रात और सुनसान गहरी खाई में आदि के लिए माता-पिता, बहन का पता लगाना मुश्किल हुआ। मजबूर होकर वह मदद के लिए सुबह होने का इंतजार करता रहा।
किसी तरह खौफ के साए में रात बिताने के बाद वह सुबह माता-पिता के पास पहुंचा तो वे अचेतावस्था में पड़े मिले। काफी देर तक वह बहन को भी खोजता रहा लेकिन उसका शव चट्टान पर अटके होने की वजह से वह नजर नहीं आई। माता-पिता को बचाने की उम्मीद में वह हौसला दिखाते हुए किसी तरह खाई से निकला और दो किमी का पैदल सफल कर बिजौली गांव पहुंच गया। ग्रामीणों को आपबीती बताई तो पुलिस को घटना का पता चला। टीम मौके पर पहुंची लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आदि को परिजन उपचार के लिए रामनगर ले गए और पुलिस ने उसके माता-पिता और बहन के शवों को खाई से रेस्क्यू किया। उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि उसके माता-पिता और बहन उसका साथ हमेशा के लिए छोड़ गए हैं।