अविनाश एलीगेंस के मामले में प्रशासन का रवैया समझ से परे : दो मजदूरों की मौत, गिरफ्तारी किसी की नहीं????……
जिस बिल्डर ने कर्मचारियों को बनाया शिकार उस पर पुलिस प्रशासन मेहरबान.... राजधानी में प्रशासन का दोहरा चेहरा सामने आया।अशोका बिरयानी मामले में जागने वाला प्रशासन अविनाश एलीगेन्स के मामले में आंख बंद करके बैठ गया है।सत्ता धारी दल के विधायक को यह मामला शायद नजर नही आया।छत्तीसगढ़ में गजब का सुशासन.....
रायपुर @ छत्तीसगढ़ उजाला.
राजधानी के वीआईपी रोड स्थित अविनाश एलीगेस में बिल्डर की लापरवाही का खामियाजा मजदूरों को जान गंवाकर चुकानी पड़ी है, तो दूसरी ओर कंपनी के कर्मचारियों को एफआईआर की मार झेलनी पड़ रही है। पूरे मामले में लापरवाही अविनाश बिल्डर की है, लेकिन एफआईआर प्रोजेक्टर मैनेजर अजय गौतम, इंजीनियर वेदप्रकाश और ठेकेदार निशांत साहू के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। अपराध दर्ज करने के बाद मामले की जांच भी पुलिस ने सुस्त कर दी है। इसमें 8 मजदूर प्रभावित हुए थे। दो मजदूरों की मौत के बाद सभी मजदूरों को उनके गांव भेज दिया गया है, ताकि मजूदरों से कोई जानकारी निकल न पाए। दूसरी ओर चार अन्य मजदूरों को गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले शनिवार को अविनाश बिल्डर के अविनाश एलीगेंस में ढलाई के दौरान सेंटिंग गिरने से मलबा ढह गया था। इससे दो मजूदरों की मौत हो गई थी। घटना से बिल्डिंग निर्माण की गुणवत्ता और मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए है।
बिल्डिंग की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे है।जल्दबाजी में बिल्डिंग बनाकर जल्दी बेचने के चक्कर मे इतनी बड़ी घटना घट गई पर इससे बिल्डर को कोई फर्क नही पड़ा। अविनाश एलीगेंस को 30 मार्च 2025 तक पूरा करने का टारगेट बिल्डर ने तय कर रखा है। सूत्रों के मुताबिक इसके चलते प्रोजेक्ट को पूरा करने जल्दबाजी में काम लिया जा रहा है। दिनरात काम लिया जा रहा है, जो श्रम कानूनों के उल्लंघन के दायरे में भी आ रहा है। बताया जाता है कि ऐसे बिल्डर जल्दबाजी में प्रोजेक्ट पूरा करने के चक्कर में बिल्डिंग की गुणवत्ता से भी खिलवाड़ करते हैं। इसमें ईंट, रेत और सीमेंट के अलावा अन्य मर्टेरियलों की गुणवत्ता की भी अनदेखी की जाती है। इससे बिल्डिग की लॉन्ग लाइफ पर असर पड़ सकता है।इस मामले में जिला प्रशासन लगता है कि आंख बंद करके बैठ गया है।एक मजदूर की जान की कोई कीमत नही है।ऐसा लगता है कि पैसे वालो पर कोई नियम कानून लागू नही होते है।
पुलिस जांच के दायरे से बाहर बिल्डर…..
इस पूरे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी अविनाश बिल्डर की है। इसके बावजूद पुलिस ने अविनाश बिल्डर के डायरेक्टरों को जांच के दायरे से दूर रखा है।यह अपने आप मे समझ से परे है।प्रशासन ने मजदूरों की मौत पर डायरेक्टरों को कोई नोटिस जारी नहीं किया है और न ही उनसे सवाल-जवाब किए गए हैं।इससे पूरे मामले की जांच को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बिल्डर के आदेश पर घटना स्थल पर किसी के भी जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके जरिए महत्वपूर्ण साक्ष्यों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस की जांच भी थाने तक ही सिमट गई है।कुछ समय पहले इसी मार्ग पर एक घटना अशोका बिरयानी में घटी थी जिसमे रेस्टोरेंट के मालिक पर भी अपराध दर्ज किया गया था।
दो कर्मचारियों की मौत के मामले में अशोका बिरयानी के मालिक समेत 6 पर गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ था….फिर अविनाश बिल्डर पर मेहरबानी किसके इशारे में……
तेलीबांधा स्थित अशोका बिरयानी सेंटर में गुरुवार को दो कर्मचारियों की मौत के मामले में पुलिस ने गृहमंत्री विजय शर्मा की नाराजगी की बात भी सामने आई थी।आधी रात को ही तेलीबांधा पुलिस ने होटल के मालिक केके तिवारी, सीईओ सनाया तिवारी, जनरल मैनेजर रोहित चंद, ब्रांच मैनेजर रोमिना मंडल समेत छह गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है।आनन फानन में होटल मालिक सहित सभी को गिरफ्तार भी कर लिया गया था।पर अविनाश एलिगेंस के मामले में क्षेत्र के विधायक,राज्य सरकार के मंत्री,जिला प्रशासन के साथ ही पुलिस विभाग का दोहरा चेहरा नजर आ रहा है।
अशोका बिरयानी की घटना पर जिले के कलेक्टर और एसएसपी भी पहुंच गए थे। इसके बाद ही होटल प्रबंधन मृतकों के परिवारवालों को 15-15 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा गया।अंततः होटल प्रबंधन की ओर से ये वादा भी करवाया गया कि दोनों परिवारवालों को हर महीने आजीवन 15-15 हजार रुपए गुजारा भत्ता भी दिया जाएगा।इस मामले में मृतक के परिवार वाले शव लेकर अशोका बिरयानी के बाहर ही बैठ गए थे।प्रशासन के द्वारा समझौता करवाने के बाद मृतक के परिवार वाले शव लेकर गांव रवाना हुए थे।वही अविनाश बिल्डर पर इतनी मेहरबानी कई सवाल खड़े करता है।बिल्डर की मनमानी से इतनी बड़ी घटना के बाद प्रशासन व सत्ताधीश का मुंह बंद है।अब क्या यही सुशासन है।ऐसा सुशासन तो कोई काम का नही है।इस मामले में प्रशासन के अफसरों पर भी कार्रवाही करने की आवश्यकता है।जो मजदूरों की मौत में अपना मुंह बंद करके बैठे हुए है।