झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि रात बारह बजे के बाद किसी भी हाल में बार एवं रेस्टोरेंट खुले नहीं रहे। इसकी निगरानी बढ़ाई जाए और नियमों का सख्ती से पालन हो।
अदालत ने मामले में अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी।
बार-रेस्टोरेंट पर नजर रखेगी पुलिस टीम
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पुलिस की टीम बनाई गई है, जो बार एवं रेस्टोरेंट पर नजर रखेगी। रांची शहर में चल रहे बार एवं रेस्टोरेंट के बंद होने एवं खुलने का समय कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
ड्रग्स के खिलाफ सख्त एक्शन का निर्देश
हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि अफीम, चरस, गांजा के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को लेकर सरकार का शपथ पत्र अदालत को गुमराह वाला नहीं होना चाहिए।
जिन पुलिस अधिकारियों ने मादक पदार्थों को रोकने में लापरवाही बरती है। उन्हें सिर्फ निंदक की कार्रवाई करना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है। महाधिवक्ता राजीव रंजन इस मामले में अधिकारियों से बात कर जानकारी प्राप्त करेंगे।
बिना लाइसेंस वाले बार-रेस्टोरेंट पर एक्शन का निर्देश
अदालत ने कहा कि रांची शहर में बार एवं रेस्टोरेंट की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इनमें से कई ऐसे भी बारे में रेस्टोरेंट है, जिन्होंने बार का लाइसेंस नहीं लिया है और उनके यहां शराब पीने की व्यवस्था रहती है। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पुलिस नशा रोकने के अभियान को सामाजिक दायित्व की तरह चलाएं।
अदालत ने कहा रांची के लालपुर, डोरंडा, बिरसा चौक और तुपुदाना में कई रेस्टोरेंट खुले हैं, जहां लोग रात में शराब का सेवन करते हैं। इन रेस्टोरेंट में बिना लाइसेंस के ही शराब की व्यवस्था रहती है।
सरकार के विज्ञापन पर भी उठा सवाल
झालसा की ओर से अधिवक्ता अतनु बनर्जी ने कहा कि अखबारों में प्रकाशित सरकारी विज्ञापन में 18 वर्ष से कम उम्र वालों को नशीला पदार्थ बेचने की मनाही है।
इससे प्रतीत होता है कि 18 वर्ष अधिक उम्र वालों को नशीला पदार्थ बेचने की छूट है। अदालत ने सरकार को इस पर ध्यान देने की बात कही।
नारकोटिक्स ब्यूरो के अधिवक्ता ने क्या कहा ?
नारकोटिक्स क्राइम ब्यूरो के अधिवक्ता ने कहा कि सैटेलाइट मैपिंग के माध्यम से पुलिस को कई जगहों पर अफीम की खेती के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसे पुलिस ने ध्वस्त कर दिया। बता दें कि खूंटी में अफीम, चरस, गांजा आदि ड्रग्स के कारोबार में वृद्धि पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।