बिलासपुर

असंवैधानिक जनसुनवाई के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता ने खोला मोर्चा, साथ ही स्थानीय जनता के साथ कलेक्टर परिसर का होगा घेराव

छत्तीसगढ़ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। आचार संहिता के दौरान जनसुनवाई के नोटिफिकेशन जारी हो रहे हैं। हालांकि जनसुनवाई लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद रखी गई है पर एक बात स्पष्ट है कि जनसुनवाई की तारीखें इस तरह रखी जा रही है कि जनसुनवाई हो जाए जनता ना रहे। पहली जनसुनवाई जिसका नोटिफिकेशन आज एक हिंदी दैनिक अखबार में छपा है वह समाचार के रूप में है और यही से विभाग और कंपनी की बदमाशी प्रारंभ होती है।
लोहरसी में एसीसी सीमेंट कंपनी के लिए जनसुनवाई हो रही है यह इस कंपनी की दूसरी जनसुनवाई है। जनसुनवाई अपने पक्ष में निपटाने की तैयारी है तभी तो ऐसे समय जनसुनवाई रखी गई है जब मस्तूरी क्षेत्र का सर्वाधिक मानव पलायन हो चुका है। कंपनी की रणनीति यह है कि स्थानीय नागरिकों के स्थान पर अपने पैड दर्शन खड़े कर दिए जाएं। लोहरसी जहां पर एसीसी प्लांट प्रस्तावित है वहां से जांजगीर जिले की सीमा मात्र 2.9 किलोमीटर दूर है। और यही स्थिति बलौदाबाजार जिले की भी है। ऐसे में जनसुनवाई का नियम यह कहता है कि जन सुनवाई तीनों जिले में अलग-अलग होगी। मस्तूरी में दो ऐतिहासिक मंदिर हैं और प्रस्तावित खनन क्षेत्र से इसकी दूरी महज 4.3 किलोमीटर से कम है।

इन सब बातों को इन सभी तथ्यों को सामजिक कार्यकर्ता दिलीप अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि कंपनी के लोग इस क्षेत्र में जानबूझकर जातिवाद फैला रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि जनसुनवाई के पूर्व सक्षम जाति अपना वर्चस्व कायम कर ले। पूर्व में जनसुनवाई हुई थी जिसमे सामजिक कार्यकर्ता द्वारा क्षेत्र में एक महीने तक नागरिकों के बीच रह कर के उन्होंने अपना मत व्यक्त कर जनता को क्षेत्र में जन जागरुकता के साथ जनसुनवाई निरस्त कराया। इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने दिया।
असल में जनसुनवाई की यह प्रक्रिया केवल मस्तूरी में नहीं हो रही है पूरे जिले में फिर से जनसुनवाई का दौर प्रारंभ हो रहा है। कोटा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में भी जनसुनवाई प्रस्तावित है इसी बीच दो नए तथ्य उभर कर सामने आए। पर्यावरण विभाग के अधिकारी उद्योगों के संदर्भ में मीडिया से दूरी बनाते हैं दूसरी ओर कंपनियां जिनकी जनसुनवाई होनी है उन्होंने ठेके पर अपने एचआर और सीआर बना दिए हैं। वर्ष 2024 में जनसुनवाई की तारीख आचार संहिता में अखबारों में प्रकाशित हुई। जबकि एसीसी सीमेंट प्लांट के पास E.I.A. रिपोर्ट में प्रभावित पंचायत के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं जारी किया गया है। अतएव E.I.A रिपोर्ट 2021 की है जबकि दो साल से अधिक समय होने के उपरान्त नयी E.I.A रिपोर्ट देनी होती है। सामाजिक कार्यकर्ता ने 29 मई को सबंधित दस्तावेज को लेकर भारी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ कलेक्टोरेट परिसर में घेराव एवं ज्ञापन देने की बात कही है।

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