नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के दौरान वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में व्यापक बदलाव की तैयारी की जा रही है जिसके तहत जीएसटी ढांचे को चार स्लैब से घटाकर तीन स्लैब किया जा सकता है। इसकी जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीएसटी परिषद के तहत केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की फिटमेंट समिति ने राजस्व तटस्थ ढांचा तैयार करने के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया पर नए सिरे काम करना शुरू कर दिया है। इसमें कुछ दरों और विशेष तौर पर 12 फीसदी दर को हटाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। मौजूदा दर ढांचे में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी की मानक दरें और 28 फीसदी की अधिकतम दर शामिल है। इसके अलावा इसमें कुछ वस्तुओं और सेवाओं के लिए शून्य और विशेष दरें भी हैं।
फिटमेंट समिति ने इसको लेकर बैठक भी शुरु कर दी है। समिति कर की दरों और उसमें संभावित सुधार के लिए इनपुट तैयार कर रही है। इसे जीएसटी दरों में बदलाव का सुझाव देने के लिए मंत्रियों के समूह के सामने पेश किया जाएगा। राजस्व विभाग ने उम्मीद जताई है कि जीएसटी की संशोधित दरें चालू वित्त वर्ष में ही लागू हो जाएंगी। अधिकारी ने कहा कि दरों को तर्कसंगत बनाना पहली प्राथमिकता है क्योंकि कुछ कमियों को दूर करने के लिए मौजूदा कर ढांचे को उपयुक्त बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जुलाई में बजट के बाद परिषद की बैठक में दरों में बदलाव की रूपरेखा पर चर्चा हो सकती है।
यह पहल ऐसे समय हो रही है जब जीएसटी संग्रह अप्रैल में 2 लाख करोड़ रुपये के पार हो चुका था। साल के दौरान मासिक जीएसटी संग्रह 1.7 से 1.8 लाख करोड़ रहने उम्मीद है। इस पर टिप्पणी के लिए वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दरों को तर्कसंगत बनाए जाने से सभी स्लैब में चीजें बदल सकती हैं। इसलिए इस मुद्दे पर कोई भी निर्णय विचार करने के बाद ही लिया जाएगा।